नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को इन आरोपों को खारिज कर दिया कि वह आम नागरिकों की बात नहीं सुनता है और कहा कि उसने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मुद्दे पर देश और कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी है।
दरअसल, वकील मैथ्यूज नेदुंपारा ने शीर्ष अदालत को ईमेल भेजकर दावा किया था कि सुप्रीम कोर्ट केवल संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई कर रहा है। इसमें कोई सार्वजनिक हित शामिल नहीं है। वह आम नागरिकों के मामले नहीं सुनता।
क्या कुछ बोले प्रधान न्यायाधीश?
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा,
मिस्टर नेदुंपारा, मैं आपके साथ इस मुद्दे में शामिल नहीं होना चाहता, लेकिन महासचिव ने मुझे आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट को लिखे गए ईमेल के बारे में सूचित किया है। इसमें आपने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई नहीं करनी चाहिए। उसे केवल गैर संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई करनी चाहिए।
नेदुंपारा ने स्वीकार किया कि उन्होंने शीर्ष अदालत को ईमेल लिखा था और कहा कि गैर संविधान पीठ के मामलों से उनका तात्पर्य आम लोगों के मामलों से था।
सीजेआइ ने संविधान पीठ के मामलों के महत्व पर जोर देते हुए कहा,
मैं आपको बस यह बताना चाहता था कि आपको नहीं पता कि संविधान पीठ के मामले क्या हैं? आप संविधान पीठ के मामलों के महत्व से अनभिज्ञ प्रतीत होते हैं। इनमें अक्सर संविधान की व्याख्या शामिल होती है, जो देश में कानूनी ढांचे की नींव बनाती है।
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जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप अनुच्छेद 370 के बारे में सोच सकते हैं-यह मुद्दा प्रासंगिक नहीं है। मैंने नहीं सोचा कि सरकार या याचिकाकर्ता इस मामले में क्या सोचते हैं? इस मामले में हमने व्यक्तियों के समूहों और उन लोगों को सुना जो घाटी से अपनी बात कहने आए थे। इसलिए इस मामले में हमने देश की आवाज सुनी।
बताते चलें, शीर्ष अदालत ने 16 दिनों की मैराथन सुनवाई के बाद अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पांच सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।