कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है.
चार और पांच सितंबर की दरमियानी रात भी अस्पताल के परिसर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान हुआ और बड़े पैमाने पर लोग यहां जुटे.
ये रात इसलिए भी ख़ास थी क्योंकि पीड़ित के माता-पिता और परिवार के दूसरे लोग अस्पताल में प्रदर्शनस्थल पर पहली बार मौजूद थे.
इस दौरान पीड़िता के पिता ने सार्वजनिक मंच से पुलिस पर कई गंभीर आरोप लगाए.
बीबीसी हिन्दी ने इन आरोपों पर पुलिस का पक्ष जानने की कोशिश की है, प्रतिक्रिया मिलते ही इस ख़बर को अपडेट किया जाएगा.
पीड़िता के पिता ने लगाए गंभीर आरोप
बुधवार की रात नौ से दस बजे तक पूरे शहर ने अपनी लाइटें बंद कर विरोध दर्ज किया. शहर के अलग-अलग स्थानों पर पूरी रात महिलाएं, सामाजिक संगठन, सिविल सोसाइटी के लोग और आम लोग भी सड़कों पर उतरे हुए थे.
इस बीच अस्पताल परिसर में जमा लोगों को पीड़िता के पिता ने पहली बार संबोधित किया.
उन्होंने भरे मन से कोलकाता के डीसीपी (नॉर्थ) पर आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी ने उन्हें मामले को रफ़ा-दफ़ा करने के लिए पैसे देने की पेशकश की थी.
उन्होंने कई और गंभीर आरोप भी लगाए, जैसे कि श्मशान घाट पर अंत्येष्टि के लिए जो शुल्क देना पड़ता है, उसे भी हटा दिया गया था.
उन्होंने सवाल पूछा, “क्यों?”
पीड़िता के पिता के संबोधन के दौरान प्रदर्शनस्थल पर वो डॉक्टर भी मौजूद थे, जो इसी अस्पताल में उनकी बेटी के साथ पढ़ाई कर रहे थे.
पीड़िता के पिता ने माइक पर कहा, “जब पोस्टमॉर्टम के बाद मेरी बेटी का शव घर लाया गया तो घर के पास की गली में डीसीपी (नॉर्थ) आए. उन्होंने मुझे पैसे देने की कोशिश की. मैं इस पेशकश से चौंक गया और उन्हें मना करते हुए इसका कारण पूछा. उन्हें जो जवाब देना था, मैंने उन्हें फौरन दे दिया. इससे पहले पुलिस ने मुझसे सादे कागज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए भी दबाव बनाया था. मैंने मना कर दिया था.”
इस बलात्कार और हत्याकांड की प्राथमिकी टाला थाने में दर्ज की गई थी क्योंकि आरजी कर मेडिकल कॉलेज इसी थाना क्षेत्र में आता है.
पीड़िता के पिता का दावा है कि उन्हें और उनकी पत्नी को ‘एक घंटे तक थाने में बिठाए रखा गया’ और भारी पुलिस बल ने उन्हें घेरे रखा और ‘दबाव बनाने की कोशिश की.’ “फिर हम वहां से चले जाने पर मजबूर हो गए.”
डीसीपी (नॉर्थ) के क्षेत्राधिकार में आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आता है.
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पहली बार सार्वजनिक मंच से बोले पीड़िता के पिता
पीड़ित के पिता ने घटना के बाद से किसी भी सार्वजनिक मंच से पहली बार बोला है.
इससे पहले प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया था कि पीड़ित के माता-पिता को पश्चिम बंगाल की सरकार ने “नज़रबंद कर रखा है.”
इन आरोपों का सरकार ने खंडन किया है.
लेकिन बुधवार की देर रात पीड़िता के पिता और अन्य परिजनों ने जो आरोप कोलकाता पुलिस पर लगाए हैं, वे काफ़ी गंभीर हैं.
मंच से पिता ने ये भी आरोप लगाया कि परिवार के लोग पीड़ित के शव को कुछ देर तक घर पर ही रखना चाहते थे लेकिन पुलिस ने ऐसा होने नहीं दिया.
उन्होंने कहा, “पुलिस ने बहुत ज्यादा दबाव बनाया और आनन-फानन में अंत्येष्टि करने पर मजबूर कर दिया. हम जब घर पहुंचे तो हमारे घर के पास भी बहुत ही बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया था. इतना दबाव था… इतना दबाव था कि हम उनके दबाव के सामने झुकने को मजबूर हो गए और अंत्येष्टि कर दी.”
लेकिन परिवार के लोगों और खासतौर पर पिता को जिस बात से सबसे ज़्यादा दुख हुआ है वो ये है कि श्मशान घाट में उनसे शुल्क नहीं लिया गया.
वो कहते हैं, “जब हम श्मशान गए तो पता चला कि वहाँ का जो खर्च है वह फ्री कर दिया गया है. किसने किया ऐसा? हमें यह बात आज तक पता नहीं चल सकी. ऐसा क्यों किया गया? मेरी बेटी की आत्मा को बहुत दुख हुआ होगा कि आखिरी क्षणों में भी मेरे पिता पैसा खर्च नहीं कर पाए. कितनी पीड़ादायक घड़ी थी वो मेरे लिए… इस सवाल का जवाब कौन देगा?”
“वो सब झूठ है”
पीड़िता के पिता ने कोलकाता पुलिस के उस बयान को भी झूठा बताया जिसमें पुलिस का कहना था कि परिवार पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया गया.
वो कहते हैं, “वो (कोलकाता पुलिस की डीसीपी-सेंट्रल इंदिरा मुखर्जी) जो बार-बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कह रही हैं वो झूठ है.”
दरअसल, इंदिरा मुखर्जी ने समय-समय पर बयान जारी कर कोलकाता पुलिस का पक्ष रखते हुए कहा था कि न तो परिवार पर कोई दबाव बनाया गया और न ही आनन-फानन में अंत्येष्टि करने के लिए परिवार को बाध्य किया गया.
उन्होंने 29 अगस्त को कोलकाता पुलिस के लालबाज़ार मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि पुलिस पर सबूतों को नष्ट करने या घटना स्थल के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप भी गलत हैं.
पीड़िता के पिता द्वारा लगाए गए आरोपों को लेकर बीबीसी ने डीसीपी (नॉर्थ) अभिषेक गुप्ता से संपर्क करने की कोशिश की. मगर उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया. बीबीसी ने उन्हें मैसेज भेजकर आरोपों के बारे में जानने की कोशिश की है. जब उनका जवाब आएगा तो हम इस ख़बर को अपडेट करेंगे.
तृणमूल कांग्रेस ने क्या कहा?
इसी बीच तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद साकेत गोखले ने पीड़िता के पिता के आरोपों को ख़ारिज कर दिया है और एक पुराना वीडियो शेयर किया है जिसमें पीड़िता के माता-पिता कह रहे हैं कि उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है.
ऐसे में यह भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब पीड़िता के पिता ने धरनास्थल से खुलकर बड़े आरोप लगाए हैं तो फिर वह वीडियो किसने और कैसे बनाया था जिसमें वह कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि उन्हें पुलिस से कोई शिकायत नहीं है?
इसी सवाल का जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष का कहना है कि पीड़िता के पिता ने जो आरोप लगाए हैं वो “गंभीर” हैं.
वो कहते हैं कि दो तरह के वीडियो सोशल मीडिया पर चल रहे हैं. एक में पिता को कहते हुए दिखाया गया है कि पुलिस की तरफ से पैसे देने की कोई कोशिश नहीं हुई और अब यह आरोप लगा है कि पुलिस ने पैसे देने की कोशिश की.
अपने एक्स हैंडल पर वो पूछते हैं, “क्या ये बात सीबीआई को बताई गई थी या नहीं? अगर बताई गई है तो फिर सीबीआई ने संबंधित पुलिस अधिकारी से इस बारे में पूछताछ की है या नहीं?”
जब से ये घटना हुई है, तब से अलग-अलग पत्रकारों से बातचीत में माता-पिता के बयान सामने आते रहे हैं. लेकिन बुधवार की रात ऐसा पहली बार हुआ जब पीड़ित के परिवार के लोग खुद आरजी कर अस्पताल में हो रहे प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे. जिस तरह से पिता ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया, उससे उनका दर्द और बेबसी साफ़ झलकती दिखी.
विपक्षी दलों ने अब तृणमूल कांग्रेस की सरकार पर फिर से निशाना साधा है. पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी का कहना है कि पीड़िता के पिता का जो दर्द छलक उठा, उससे साफ़ पता चलता है कि राज्य सरकार पीड़िता के परिवार को दबाव में रख रही थी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित