- चंद्रशेखर लूथरा
- वरिष्ठ खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए

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न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ भारत ने लगातार दो मैच जीत लिए हैं, श्रृंखला में निर्णायक बढ़त हासिल कर ली है.
अब तक के दोनों मुक़ाबलों के नतीजे जिस तरह के देखने को मिले हैं, उससे अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.
भारतीय गेंदबाज़ों को जहां पहले मुक़ाबले में 349 रन के स्कोर बचाने में मुश्किल नज़र आने लगी थी वहीं दूसरे मुक़ाबले में न्यूज़ीलैंड की टीम महज 108 रन पर सिमट गई.
कह सकते हैं कि शुभमन गिल दोनों मैचों में कामयाब रहे हैं, दोहरे शतक के बाद नाबाद 40 रनों की पारी से उन्होंने टीम की उस मुश्किल को ही बढ़ाया है जिसका सामना मौजूदा टीम इंडिया कर रही है.
दरअसल क्रिकेट का सबसे बड़ा मुक़ाबला वनडे वर्ल्ड कप टूर्नामेंट, नौ महीने बाद भारत में ही होना है.
लेकिन इस वर्ल्ड कप के लिए भारत की ओर से कौन कौन से खिलाड़ी हिस्सा लेंगे, इसको लेकर आपसी होड़ बढ़ती जा रही है.
कम से कम 20 खिलाड़ी ऐसे हैं जो ज़ोरदार प्रदर्शन करके अपना दावा पेश कर रहे हैं. भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान रोहित शर्मा की अगुवाई में प्रयोगों का दौर पिछले 18 महीनों से चल रहा है.
अब इसकी तुलना आज से 12 साल पहले यानी 2011 की वर्ल्ड कप टीम से कीजिए, उस वक्त जब पहली बार महेंद्र सिंह धोनी को पता चला कि उनकी कप्तानी में ही टीम वर्ल्ड कप में हिस्सा लेगी, उन्होंने उसी दिन से तैयारी शुरू कर दी थी.
यह एक बड़ी वजह रही थी जिसके चलते टीम एकजुट होकर खेली और 28 साल के लंबे अंतराल के बाद टीम इंडिया वर्ल्ड कप जीतने का करिश्मा दोहराने में कामयाब रही थी.
आईपीएल ने वर्कलोड बढ़ाया
दूसरी तरफ़ मौजूदा स्थिति है, जहां श्रीलंका के ख़िलाफ़ सिरीज़ के बाद भारतीय खिलाड़ी न्यूज़ीलैंड के सामने खेल रहे हैं और इसके बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम से भी तीन मैचों की सिरीज़ होगी. इसके बाद इंडियन प्रीमियर लीग का दौर शुरू हो जाएगा.
हालांकि आधिकारिक तौर पर बीसीसीआई की प्रेस रिलीज़ से यह मालूम होता कि अक्टूबर-नवंबर में खेले जाने वाले वर्ल्ड कप को ध्यान में रखते हुए खिलाड़ियों के वर्क लोड का ध्यान रखा जा रहा है, लेकिन टीम इंडिया के प्रमुख खिलाड़ियों के आईपीएल में हिस्सा लेने या नहीं लेने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है.
दरअसल आईपीएल में बेहतर करने का दबाव इतना ज़्यादा होता है कि खिलाड़ी चोटिल भी हो जाते हैं, क्या टीम के अहम खिलाड़ियों के पास चोट से बचने के लिए आईपीएल में हिस्सा नहीं लेने का विकल्प होगा? इस पर कोई चर्चा नहीं है.
संभव है कि सभी स्टार खिलाड़ी आईपीएल में हिस्सा लेंगे.
यह तब होगा जब बीते 18 महीने से लगातार खेलने की वजह से जसप्रीत बुमराह और रविंद्र जडेजा चोटिल हुए हैं. इसमें सड़क दुर्घटना में घायल हुए ऋषभ पंत को भी जोड़ लें तो तीन खिलाड़ी अभी चोटिल हैं.
खिलाड़ियों का वर्क लोड मैनेजमेंट हो या फिर इंज्यूरी रिहैबिलिटेशन हो, पिछले कुछ सालों में बीसीसीआई इन दो क्षेत्र में अब तक बहुत कामयाब नहीं हुई है.
हालांकि बीसीसीआई के अधिकारी गर्व से बताते हैं कि टीम के पास मजबूत बेंच स्ट्रैंथ है, लेकिन इस दावे के उलट वास्तविक सवाल यह है कि पूरी तरह से फिट और बेस्ट खिलाड़ियों की टीम आख़िरी बार कब मैदान में उतरी है?
आप याद करके देखिए और पाएंगे कि इस सवाल का जवाब देना बहुत मुश्किल है.
कप्तान के सामने चुनौती


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वैसे टीम की कहानी कप्तान रोहित शर्मा के बिना पूरी नहीं होती. न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ दूसरे मैच में उन्होंने सबसे ज़्यादा रन बनाए, उनके बल्ले से रन भी निकल रहे हैं लेकिन इन दिनों उनकी फ़िटनेस, उनका साथ नहीं दे रही है.
टीम के कप्तान होने का एक संकट ये भी है कि उन्हें जल्दी जल्दी आराम करने का मौका नहीं मिलता.
ऐसे में वे क्या 2023 के वर्ल्ड कप तक पूरी तरह फिट रहेंगे? तब तक उनकी उम्र भी 36 साल हो जाएगी. अभी मार्च तक लगातार क्रिकेट खेलने के बाद वर्ल्ड कप तक फ़िट रहने के लिए बेहतर तो यही होता कि वे आईपीएल से ब्रेक ले लेते, लेकिन उनके जैसे स्टार खिलाड़ी की कमी मुंबई इंडियंस नहीं उठाना चाहेगी.
बीसीसीआई के एक सूत्र का दावा यह भी है कि वर्ल्ड कप की तैयारियों को ध्यान में रखकर ही, भारतीय टीम का कैलेंडर तैयार किया गया है.
जनवरी में न्यूज़ीलैंड की टीम भारत में खेल रही है, इसके बाद फरवरी में ऑस्ट्रेलियाई टीम गावस्कर बॉर्डर ट्रॉफ़ी के लिए भारत का दौरा करेगी.
टेस्ट मैचों वाली सिरीज़ के परिणाम से ही तय होगा कि भारत जून में होने वाली वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में हिस्सा लेगा या नहीं. ऐसे में ज़ाहिर है कि रोहित शर्मा और दूसरे महत्वपूर्ण खिलाड़ी, ऑस्ट्रेलिया वाली अहम सिरीज़ में भी हिस्सा लेंगे.
रोहित शर्मा और कोच राहुल द्रविड़ पर घरेलू मैदान पर होने वाले वर्ल्ड कप को जीतने का दबाव बहुत ज़्यादा है. दोनों भारत के लिए पांच बार वर्ल्ड कप में हिस्सा ले चुके हैं.
राहुल द्रविड़ ने भारत के लिए 1999, 2003 और 2007 के वर्ल्ड कप में हिस्सा लिया है, वहीं रोहित शर्मा 2015 और 2019 का वर्ल्ड कप खेल चुके हैं, लेकिन दोनों वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा नहीं रहे हैं.
बीसीसीआई की अहम भूमिका


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वैसे राहुल द्रविड़ की तुलना में रोहित शर्मा का वर्ल्ड कप मैचों में अच्छा रिकॉर्ड रहा है. 2019 के वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा ने पांच शतक लगाए थे, यह किसी भी वर्ल्ड कप में किसी भी भारतीय बल्लेबाज़ का सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड है.
ऐसे में, हर हाल में वे इस साल का वर्ल्ड कप जीतना चाहेंगे, अपने वनडे क्रिकेट करियर को वे वर्ल्ड कप की जीत के साथ अलविदा कहना चाहेंगे.
भारतीय कप्तान रोहित शर्मा के करियर प्रबंधन में बीसीसीआई की भूमिका भी अहम होने वाली है. भारतीय क्रिकेट चयन समिति के अध्यक्ष चेतन शर्मा, इस बात को स्वीकार करें या नहीं करें, वास्तविकता यही है कि टीम इंडिया मौजूदा समय में बदलाव के दौर से गुजर रही है.
सबसे बेस्ट प्लेइंग इलेवन का स्वरूप नहीं बन सका है और ऋषभ पंत जैसा मैच विनर भी समय रहते टीम के अंदर आ पाएगा, इसको लेकर संदेह बना हुआ है.
चयन समिति में एक तरह से विश्वास की कमी भी होगी. आख़िरकार, चयन समिति के अध्यक्ष पिछले ही दिनों अपनी स्थिति को बचाए रखने की जुगत में थे, जब बीसीसीआई ने चयन समिति को भंग कर दिया था. ऐसे में समझना मुश्किल नहीं है कि उन पर भी बीसीसीआई के कर्ताधर्ताओं की बात मानने का कितना दबाव रहता होगा.
एक सच्चाई यह भी है कि पिछले कुछ सालों से भारतीय क्रिकेट के लिए वनडे मैच एक समस्या बनी हुई है. सारा ध्यान टी-20 पर होने की वजह से इस फॉर्मेट पर बहुत ध्यान नहीं दिया गया है.
लेकिन इस दौरान टीम इंडिया को न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और बांग्लादेश में वनडे सिरीज़ में हार का सामना करना पड़ा. हालांकि केवल इंग्लैंड के ख़िलाफ़ टीम उनके मैदानों पर जीत हासिल करने में कामयाब हुई.
वर्ल्ड कप से ज़्यादा आईपीएल को तरजीह?


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अक्टूबर-नवंबर में होने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम की सबसे बड़ी चुनौती हार्दिक पांड्या, जसप्रीत बुमराह, रविंद्र जडेजा, केएल राहुल और खुद कप्तान रोहित शर्मा को सौ फ़ीसद फ़िट रखने की है. ये टीम इंडिया के वैसे खिलाड़ी हैं जो फ़िटनेस के स्तर पर संघर्ष करते नज़र आए हैं.
एक तो भारतीय टीम का कार्यक्रम बहुत व्यस्त है और दूसरी तरफ़ अब आईपीएल भी दस टीमों का हो चुका है. ऐसे में खिलाड़ियों के लिए ये सीज़न लंबा खिंचने वाला है और आईपीएल टीम के प्रमोटर भी हर मैच में अपने स्टार खिलाड़ी को खेलते हुए देखना चाहेंगे.
ज़ाहिर है ज़्यादा मैचों में हिस्सा लेने से खिलाड़ियों के चोटिल होने की आशंका भी ज़्यादा होगी. पुराना इतिहास यह बताता है कि ऐसी स्थिति में खिलाड़ी नेशनल टीम की तुलना में आईपीएल टीम को तरज़ीह देते हैं.
आईपीएल इतिहास की दो सबसे कामयाब टीमें- मुंबई इंडियंस और चेन्नई सुपर किंग्स, को भारत से बाहर की टी-20 लीग में भी हिस्सा लेना है. ऐसे में रोहित शर्मा अगर चोटिल हुए तो केएल राहुल को कप्तानी मिल सकती है, यहीं से मुश्किल शुरू होती है क्योंकि मौजूदा समय में केएल राहुल की जगह ही टीम में पक्की नहीं है.
क्या होगा बल्लेबाज़ी का क्रम


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टीम के मौजूदा प्रदर्शन को देखें तो टॉप बैटिंग ऑर्डर तो लय में दिख रहा है. ईशान किशन और शुभमन गिल दोनों ने हाल ही में दोहरा शतक लगाकर अपनी दावेदारी पेश कर दी है. इन दोनों ने एक तरह से केएल राहुल की मुश्किलें बढ़ा दी है.
अगर रोहित शर्मा पूरी तरह से फिट रहे तो केएल राहुल को टीम में वापसी होने पर निचले क्रम में खेलना पड़ सकता है.
इसके बाद मिडल ऑर्डर को लेकर भी काफ़ी मुश्किलें दिख रही हैं. लगातार दो शतक बनाकर विराट कोहली ने यह तय कर दिया है कि वे टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी के तौर पर वर्ल्ड कप में रहेंगे. हालांकि ये बात दूसरी है कि कोहली का खौफ़ अब दुनिया भर के गेंदबाज़ों में उतना नहीं रहा, जितना कभी हुआ करता था.
ऐसे में अगले आठ महीने तक उनका प्रदर्शन किस तरह का रहता है, इस पर सबकी नज़रें टिकी रहेंगी. अगर कोहली के फॉर्म में किसी तरह की गिरावट आती है या फिर वे अनफ़िट होते हैं तो निश्चित तौर पर टीम इंडिया के अभियान को झटका लगेगा.
टीम के दूसरे स्तंभ सूर्यकुमार यादव हैं, जिन्हें भारत का 360 डिग्री बल्लेबाज़ माना जा रहा है, लेकिन जिस तरह से मौजूदा टीम प्रबंधन वनडे में उनको मौके दे रहा है, ऐसे में वे असमंजस की स्थिति में होंगे और इसका असर उनके शाट्स खेलने की काबिलियत पर दिख सकता है.
टी-20 क्रिकेट में दुनिया के शीर्ष बल्लेबाज़ को अब तक टीम के कोच और कप्तान का भरोसा पूरी तरह नहीं मिल पाया है.
यह स्थिति तब है जब वनडे क्रिकेट में भी सूर्यकुमार यादव ने शानदार शुरुआत की थी. पहले आठ वनडे मैचों में उन्होंने 103 से ज़्यादा की स्ट्राइक रेट और 53.40 की औसत से रन बटोरे थे. जबकि अगले आठ वनडे मैचों में वे चार बार दोहरे अंक तक नहीं पहुंच सके और दो बार 20 से आगे नहीं बढ़ पाए.
बावजूद इसके सूर्यकुमार यादव अपने मौजूदा फॉर्म के आधार पर किसी भी फॉर्मेट में तीन नंबर पर बल्लेबाज़ी करने के लिए सबसे उपयुक्त हैं, लेकिन मौजूदा टीम प्रबंधन उन पर इतना भरोसा नहीं जता रहा है.
नंबर पांच बल्लेबाज़ के तौर पर या तो केएल राहुल या फिर श्रेयस अय्यर को मौका मिल सकता है. इन दोनों के अलावा संजू सैमसन और दीपक हुडा भी दावेदारों में शामिल हैं.
टीम के उपकप्तान और ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या नंबर छह पर बल्लेबाज़ी के लिए सबसे भरोसेमंद चेहरा हैं. अगर रविंद्र जडेजा फ़िट रहे तो नंबर सात पर बल्लेबाज़ की मुश्किल भी नहीं होगी. जडेजा का कोई विकल्प भी नहीं दिखता.
तेज़ गेंदबाज़ों की मुश्किल


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वर्ल्ड कप की तैयारियों को देखते हुए भारतीय टीम की सबसे बड़ी मुश्किल गेंदबाज़ी आक्रमण का कमजोर होना है. भारतीय गेंदबाज़ी आक्रमण कितनी कमजोर है, इसका अंदाज़ा भारत और बांग्लादेश के बीच सिरीज़ के पहले वनडे से लगाया जा सकता है.
बांग्लादेश की टीम के दसवें विकेट ने 51 रनों की साझेदारी की. दूसरे वनडे में बांग्लादेशी टीम छह विकेट पर 69 से 271 रन तक पहुंचने में कामयाब रही.
न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ सिरीज़ के दूसरे मैच में ज़रूर गेंदबाज़ों का प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन पहले वनडे में छह विकेट पर 131 रन होने के बावजूद न्यूज़ीलैंड की टीम 337 रन के स्कोर तक पहुंचने में कामयाब रही.
चाहे विकेट झटकना हो या फिर रन गति पर अंकुश लगाना हो, दोनों पहलू में भारतीय गेंदबाज़ संघर्ष करते नज़र आए हैं. हालांकि तेज़ गेंदबाज़ों का प्रदर्शन हाल के दिनों में बेहतर हुआ है लेकिन स्पिन की चुनौतियां बनी हुई हैं.
जसप्रीत बुमराह की फ़िटनेस, वर्ल्ड कप में भारत की किस्मत तय करेगी. उन्होंने भारत के लिए आख़िरी मैच सितंबर में खेला है, उन्हें पीठ की तकलीफ़ है, हालांकि उन्हें फ़िट घोषित कर दिया गया था लेकिन बाद में उनका नाम वापस लिया गया है.
बुमराह की गैर मौजूदगी में मोहम्मद शमी को वापसी का मौका मिला है, हालांकि फ़िटनेस उनकी भी समस्या रही है.
अगर वे फ़िट रहे तो चयनकर्ताओं का भरोसा जीतने की चुनौती भी होती है. चेतन शर्मा की अगुवाई वाली चयन समिति ने युवा चेहरों को मौका देने के नाम पर उन्हें टी-20 क्रिकेट से बाहर रखा है.
इससे उनका फ़ॉर्म भी प्रभावित हुआ है और पिछले दिनों वे कंधे की चोट से परेशान भी रहे हैं, लेकिन अर्शदीप सिंह, मोहम्मद सिराज़ और उमरान मलिक ने समय के साथ खुद को साबित किया है. हालांकि इन तीनों को अपने प्रदर्शन में निरंतरता लानी होगी.
स्पिन गेंदबाज़ी में विविधता तो है. एक तरफ़ अक्षर पटेल और वाशिंगटन सुंदर जैसे ऑलराउंडर हैं तो दूसरी तरफ़ कलाई से स्पिन कराने वाले कुलदीप यादव और यजुवेंद्र चहल हैं.
लेकिन वर्ल्ड कप को लेकर सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अनुभवी रविचंद्रन अश्विन को मौका मिलेगा, यह ऐसी गुत्थी है जिसकी जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं है.
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