
गुजरात में 4 साल में दलितहिंसा के मामले 35% तक बढ़े
आरटीआई से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस गृहराज्य में उच्च जाति के लोगों द्वारा दलित बिरादरी के खिलाफ हिंसा को काफी बढ़ावा दिया गया। 2018 में दर्ज हुए डेढ़ हजार से ज्यादा मामलों में 22 हत्या के, 81 मारपीट के, 7 घरों में आग लगाने और 104 मामले बलात्कार के थे। इसी तरह वर्ष 2014 में कुल 1,122 मामले दर्ज हुए। दलित-अत्याचारों से जुड़े सर्वाधिक मामले कच्छ, महेसाणा जिलों में सामने आए।

अहमदाबाद में एक साल में 140 केस दर्ज हुए
दलित संगठनों का कहना है कि गुजरात में दलित अत्याचार के मामलों में सजा की दर केवल 3% होने की वजह से घटनाएं बढ़ रही हैं। वैसे तो राजनेता स्पष्ट रूप से कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, लेकिन पुलिस आरोपियों के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठा पाती। अकेले अहमदाबाद में ही दलित-हिंसा की एक साल में 140 घटनाएं बतौर केस दर्ज की गईं। जिनमें से 5 हत्या और 8 दुष्कर्म के मामले थे।

30 गांवों के दलित पुलिस-सुरक्षा में जी रहे
गुजरात पुलिस की एससी-एसटी सेल के मुताबिक, राज्य के 30 गांव ऐसे हैं, जहां बसने वाले दलितों को सुरक्षा दी गई है। जिसमें 20 गांव तो सिर्फ सौराष्ट्र के इलाके से हैं।