संयुक्त
राष्ट्र महासभा के 79वें सत्र में भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भाषण
दिया है. उन्होंने इस दौरान ‘पाकिस्तान के आतंकवाद’ से लेकर, ग़ज़ा और यूक्रेन में जारी हिंसा और संयुक्त
राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार पर बात की है.
उन्होंने शुक्रवार
को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के दिए भाषण पर भी तंज़ कसा और
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर कहा कि वो उसके
‘कर्मों का फल’है.
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान
पर अपनी बात शुरू करते हुए कहा, “कई देश अपने नियंत्रण
से बाहर परिस्थितियों
की वजह से पीछे छूट जाते हैं, लेकिन कुछ देश जानबूझकर
ऐसे फ़ैसले लेते हैं, जिनके परिणाम विनाशकारी होते हैं. इसका एक
बेहतरीन उदाहरण हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान है. दुर्भाग्य से, उनके
पापों का असर दूसरों पर भी पड़ता है, ख़ासतौर पर पड़ोस पर.”
“उसकी
जीडीपी को केवल कट्टरता और आतंकवाद के रूप में इसके निर्यात के तौर पर ही मापी जा सकती
है. आज हम देखते हैं कि दूसरों पर जो बुराइयाँ लादने
की कोशिश की गई, वे उसके अपने समाज को निगल रही हैं. इसके
लिए दुनिया को दोष नहीं दिया जा सकता. यह केवल कर्म है. दूसरों की ज़मीनों पर नज़र
रखने वाले एक नाकारा देश के बारे में पता चलना चाहिए और उसका मुक़ाबला किया
जाना चाहिए.”
इसके साथ ही
एस. जयशंकर ने शहबाज़ शरीफ़ के भाषण पर भी प्रतिक्रिया दिया. उन्होंने कहा, “हमने कल इसी मंच से कुछ अजीब बातें सुनीं. मैं भारत की
स्थिति बिलकुल साफ़ कर देता हूं कि पाकिस्तान की सीमापार आतंकवाद की नीति कभी कामयाब
नहीं होगी. और इसको लेकर किसी सज़ा से छूट की भी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती. इसके
उलट, हर काम के परिणाम ज़रूर होंगे.”
“हमारे बीच इस मुद्दे को हल किया जाना बचा है
कि पाकिस्तन अवैध रूप से क़ब्ज़ा किए गए भारतीय क्षेत्र को ख़ाली करे, आतंकवाद से
लंबे समय से चले आ रहे लगाव का पाकिस्तान त्याग करे.”
इसके साथ ही
भारतीय विदेश मंत्री ने ग़ज़ा में और यूक्रेन-रूस के बीच जारी युद्ध के लिए जल्द
से जल्द समाधान निकालने की अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की.