एक साल की आयु में हुआ था पोलियो
गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के एक छोटे से गांव में 6 नवंबर 1986 को भाविना का जन्म हुआ था। महज एक साल की उम्र में उन्हें पोलियो गया। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि उनका इलाज कराया जा सके। जब वह चौथे ग्रेड में थीं तब पिता ने विशाखापट्टनम में कराई, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। रिहैब के दौरान भाविना के ज्यादा ध्यान नहीं देने के कारण उनकी स्थिति ऐसी ही रह गई। मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाली भाविना को फिर अपनी पूरी जिन्दगी के लिए व्हीलचेयर को अपनाना पड़ा। भाविना ने इसी स्थिति में 12वीं तक की पढ़ाई की। गुजरात यूनिवर्सिटी से डिस्टेंस लर्निंग के तहत स्नातक की डिग्री ली।
शौक बना पैशन
भाविना ने शौक के तौर पर टेबल टेनिस खेलना शुरू किया। बाद में यह उनका पैशन बन गया। अब वे पैरा टेबल टेनिस में भारत को बड़े मंचों पर मेडल दिलाती दिख रही हैं। पेशेवर टेबल टेनिस खेलते के 3 साल के बाद बैंगलोर में पैरा टेबल टेनिस में अपना पहला गोल्ड पदक जीतकर भाविना ने अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी थी। 2011 पीटीटी थाईलैंड टेबल टेनिस चैंपियनशिप जीतने के बाद उनकी वर्ल्ड रैंकिंग नंबर दो पर पहुंच गई। अक्टूबर 2013 में बिजिंग एशियन पैरा टेबल टेनिस चैंपियनशिप में उन्होंने महिलाओं के सिंगल क्लास 4 इवेंट में सिल्वर मेडल जीता।
2018 में एशियाई पैरा खेलों में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 2019 में बैंकाक में उन्होंने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एकल गोल्ड मेडल जीता। टोक्यो पैरालंपिक्स में उन्होंने सिल्वर जीत कर इतिहास बनाया और अब कॉमनवेल्थ गेम्स में जीत के उस क्रम को जारी रखा है।