इमेज स्रोत, KAMAL NATH TWITTER
नवगठित ‘इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ या इंडिया की पहली रैली भोपाल में अक्टूबर के पहले हफ़्ते में प्रस्तावित थी. पर इस रैली को स्थगित कर दिया गया है.
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी रणदीप सुरजेवाला के साथ एक पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी दी.
प्रेस वार्ता के बाद जब पत्रकारों ने अलग से उनसे रैली के बारे में पूछा तो उनका जवाब था, ”रैली नहीं हो रही है, स्थगित हो गई है.”
वहीं सुरजेवाला का कहना था कि रैली कब और कहाँ होगी इस पर अभी कांग्रेस अध्यक्ष और ‘इंडिया’ के नेताओं के बीच बातचीत चल रही है.
उन्होंने कहा कि रैली कहाँ और कब होगी इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. इस गठबंधन में कांग्रेस सहित कुल 28 विपक्षी दल शामिल हैं.
भोपाल रैली स्थगित करने का फ़ैसला किसका?
इमेज स्रोत, GETTY IMAGES
इस सवाल पर बहस छिड़ी हुई है. लेकिन न तो कांग्रेस आलाकमान की तरफ़ और न ही ‘इंडिया’ के किसी घटक दल की तरफ़ से इसको लेकर कोई संकेत मिला है. तो क्या ये फ़ैसला सिर्फ़ और सिर्फ़ कमलनाथ ने लिया है ?
इस मुद्दे पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में राजनीतिक बयानबाजी जारी है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि विपक्षी गठबंधन का यह क़दम द्रमुक नेताओं के सनातन धर्म के ख़िलाफ़ की गई टिप्पणी पर ‘जनता के ग़ुस्से’ के कारण उठाया गया है.
वहीं जानकार भी बताते हैं कि उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए गए बयान के बाद से कांग्रेस बहुत असहज महसूस कर रही है, क्योंकि कमलनाथ ने पिछले कुछ सालों में अपनी छवि ‘हनुमान भक्त कमलनाथ’ की बनाई है.
क्या अकेले कमलनाथ ने लिया फ़ैसला
इमेज स्रोत, INDIAN NATION CONGRESS TWITTER
हैदराबाद में संपन्न कांग्रेस की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी ने अपने नेताओं को सुझाव दिया कि वो सनातन धर्म को लेकर अनावश्यक बयानबाजी से बचें. पार्टी ने नेताओं को बेरोज़गारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर ही अपना ध्यान देने को कहा है.
कमलनाथ के बारे में राजनीतिक हलकों और आम लोगों में चर्चा है कि वो भाजपा के हिंदुत्व की पिच पर खेल रहे हैं.
विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही प्रदेश कांग्रेस ने 40 से 45 प्रकोष्ठों का गठन किया.
इनमें से जिन तीन प्रकोष्ठों की सबसे ज़्यादा चर्चा है, उनमें पुजारी प्रकोष्ठ के अलावा मठ-मंदिर प्रकोष्ठ और धार्मिक उत्सव प्रकोष्ठ शामिल हैं.
इन 45 प्रकोष्ठों का संचालन वरिष्ठ पार्टी नेता जेपी धनोपिया कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने बीबीसी से कहा था, ”कांग्रेस, समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चल रही है. चाहे वो पुजारी हों, सिंधी समाज के लोग हों, आदिवासी समाज या फिर अन्य समाज के लोग हों. संगठन में सबकी आवाज़ और मुद्दों के लिए इन प्रकोष्ठों का गठन किया गया है.”
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ‘इंडिया’ के घटक दल डीएमके के नेता का सनातन धर्म को लेकर दिया गया बयान क्या कमलनाथ की कुछ सालों में बनाई गई हिंदूवादी कांग्रेसी नेता की छवि पर असर डाल सकता था? इस सवाल पर कांग्रेस के नेता संभलकर बयान दे रहे हैं.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव और ‘इंडिया’
इमेज स्रोत, INC MP TWITTER
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मीडिया विभाग के अध्यक्ष और प्रवक्ता केके मिश्रा कहते हैं, ”इंडियन नेशनल डिवेलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस की साझेदारी की मंशा को दयानिधि स्टालिन के बयान से आंका नहीं जा सकता है.
वो कहते हैं कि विपक्षी दलों का जो गठबंधन बना है वो सिर्फ़ लोकसभा चुनाव के लिए बनाया गया है.
उनका कहना था, ”लोकसभा चुनाव के लिए ये गठबंधन बनाया गया है. मध्य प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. यहां आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी भी अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे. विधानसभा चुनाव को लेकर कोई गठबंधन नहीं हुआ है. ऐसे में सभी के लिए दुविधा हो जाती.”
वो कहते हैं कि ऐसे समय में जब कांग्रेस पार्टी पूरे प्रदेश में जनाक्रोश रैलियां निकाल रही है, वैसे में ‘इंडिया’ की रैली निकालना संभव नहीं था क्योंकि पार्टी के पास उतने पैसे भी नहीं हैं और एक रैली को रोककर दूसरी रैली निकालना संभव नहीं था.
उदयनिधि स्टालिन के बयान पर राजनीति
इमेज स्रोत, ANI
वरिष्ठ पत्रकार और राजनितिक टिप्पणीकार शुभाब्रता भट्टाचार्य ने अपने एक लेख में कहा है कि गठबंधन की रैली को स्थगित करने का फ़ैसला कमलनाथ का ही था.
उन्होंने लिखा कि कमलनाथ कांग्रेस के एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ‘भारत सनातन धर्म का देश है.’ भट्टाचार्य कहते हैं कि भाजपा के ख़िलाफ़ विपक्षी दलों का रास्ता मुश्किलों से भरा हुआ है.
भारतीय जनता पार्टी ने ‘उदयनिधि स्टालिन’ के बयान को लपक लिया है. उसने इस बयान के बहाने विपक्षी दलों ख़ास तौर पर कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.
मध्य प्रदेश में चुनावी सभाओं में भाजपा के नेता स्टालिन के सनातन धर्म के बयान को लेकर कांग्रेस पर ही निशाना साध रहे हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘इंडिया’ की भोपाल रैली स्थगित करने पर कहा कि कांग्रेस डर गई.
वहीं राज्य के दौरे पर आईं केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने तो इस चुनाव को ‘अधर्म और धर्म के बीच की लड़ाई’ बताया.
भाजपा की भी सहयोगी रही है डीएमके
इमेज स्रोत, GETTY IMAGES
मध्य प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने बीबीसी से कहा, ”पूरे देश में ‘इंडिया’ सनातन धर्म को ख़त्म करने की बात कर रहा है. कांग्रेस ने अभी तक इसको लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया है. कांग्रेस के अध्यक्ष माल्लीकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियांक खड़गे भी स्टालिन के बयान का खुलकर समर्थन कर रहे हैं.”
वहीं वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई अलग राय रखते हैं. उनका कहना है कि भले ही स्टालिन के बयान को भाजपा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हो, मगर गठबंधन के किसी भी घटक ने स्टालिन के बयान का समर्थन नहीं किया है.
वो कहते हैं कि डीएमके का नास्तिक होना और जाति व्यवस्था को लेकर उसका स्टैंड स्पष्ट रहा है, इसके बाद भी भाजपा ने दो बार उससे गठबंधन किया है.
वो कहते हैं, ”नए गठबंधन में 28 दल हैं और सब अलग-अलग विचारधारा के हैं. भाजपा ने भी अपनी विचारधारा से कई बार समझौता किया है. बीफ़ के सवाल पर पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में भाजपा का बिलकुल अलग स्टैंड है.”