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सांकेतिक तस्वीर
27 साल से लटके महिला आरक्षण बिल को संसद के विशेष सत्र में पास किया जा सकता है.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के मुताबिक़, केंद्र सरकार मंगलवार को महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश कर सकती है.
इस बिल के पास हो जाने से संसद और विधानसभा में एक तिहाई सीटों पर महिलाओं के लिए आरक्षण रहेगा.
अख़बार लिखता है कि इस बिल को मोदी कैबिनेट की मंज़ूरी सोमवार को मिल गई है. संसद के विशेष सत्र में इस बिल को दोनों सदनों में पास करवाया जाएगा.
हालांकि सरकार की ओर से इस बारे में आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं आया है.
सोमवार रात केंद्रीय राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि कैबिनेट ने महिला आरक्षण बिल को मंज़ूरी दे दी है. लेकिन थोड़ी देर बाद ही उन्होंने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया.
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2024 या 2029, कब से लागू होगा आरक्षण?
द टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि ये महिला आरक्षण 2024 से नहीं, 2029 के चुनावों से लागू होगा.
महिला आरक्षण बिल सबसे पहले 1996 में पेश किया गया था. साल 2010 में राज्यसभा ने इसे पास भी कर दिया था लेकिन लोकसभा में ये बिल पास नहीं हो पाया था.
पीएम मोदी ने सोमवार को पुरानी संसद के विदाई भाषण में कहा था कि विशेष सत्र में ऐतिहासिक फ़ैसले लिए जाएंगे.
अख़बार लिखता है कि इस बिल पर बुधवार को बहस की जाएगी. सरकार को उम्मीद है कि वो राज्यसभा में इसे संसद के विशेष सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को पास करवा लेगी.
महिला आरक्षण बिल को पास करवाए जाने की लंबे वक़्त से मांग होती रही है.
कुछ दिन पहले ही कांग्रेस कार्य समिति ने मोदी सरकार से संसद के विशेष सत्र में इस बिल को पास करवाए जाने की मांग की थी.
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा था, ”कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, जो पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराया जाना चाहिए.”
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने लिखा, ”आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं. यह 40 फ़ीसदी के आसपास है. महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए. विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ लेकिन लोकसभा में नहीं ले जाया जा सका.”
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महिलाओं का प्रतिनिधित्व: कुछ तथ्य
- 543 सीटों वाली लोकसभा में फिलहाल सिर्फ़ 78 महिला सांसद
- 238 सीटों वाली राज्यसभा में सिर्फ़ 31 महिला सांसद
- छत्तीसगढ़ विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 14 फीसदी
- पश्चिम बंगाल विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 13.7 फीसदी
- झारखंड विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 12.4 फ़ीसदी
- बिहार, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और दिल्ली विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या 10-12 फ़ीसदी
- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा में महिला विधायकों की संख्या 10 फ़ीसदी से कम
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महिला आरक्षण बिल का इतिहास?
1975 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं, तब ‘टूवर्ड्स इक्वैलिटी’ नाम की एक रिपोर्ट आई थी. इस रिपोर्ट में हर क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति का विवरण दिया गया था और आरक्षण पर भी बात की गई थी.
रिपोर्ट तैयार करने वाली कमेटी में अधिकतर सदस्य आरक्षण के ख़िलाफ़ थे. वहीं महिलाएं चाहती थीं कि वो आरक्षण के रास्ते से नहीं बल्कि अपने बलबूते राजनीति में आएं.
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1980 के दशक में पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिलाने के लिए विधेयक पारित करने की कोशिश की थी, लेकिन राज्य की विधानसभाओं ने इसका विरोध किया था. उनका कहना था कि इससे उनकी शक्तियों में कमी आएगी.
महिला आरक्षण विधेयक को एचडी देवेगौड़ा की सरकार ने पहली बार 12 सितंबर 1996 को पेश करने की कोशिश की थी.
इस गठबंधन सरकार को कांग्रेस बाहर से समर्थन दे रही थी. मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद इस सरकार के दो मुख्य स्तंभ थे, जो महिला आरक्षण के विरोधी थे.
जून 1997 में एक बार फिर इस विधेयक को पास कराने का प्रयास हुआ. उस वक़्त शरद यादव ने इस विधेयक की निंदा करते हुए एक विवादास्पद टिप्पणी की थी.
उन्होंने कहा था, ”परकटी महिलाएं हमारी महिलाओं के बारे में क्या समझेंगी और वो क्या सोचेंगी.”
साल 1998 में 12वीं लोकसभा में अटल बिहारी वाजपेयी की एनडीए की सरकार में तत्कालीन क़ानून मंत्री एन थंबीदुरई ने इस विधेयक को पेश करने की कोशिश की. पर सफलता नहीं मिली.
इसके बाद एनडीए की सरकार ने दोबारा 13वीं लोकसभा में 1999 में इस विधेयक को पेश करने की कोशिश की.
साल 2003 में एनडीए सरकार ने फिर कोशिश की लेकिन प्रश्नकाल में ही सांसदों ने ख़ूब हंगामा किया कि वे इस विधेयक को पारित नहीं होने देंगे.
2010 में राज्यसभा में यह विधेयक पारित हुआ. लेकिन ये लोकसभा में तब पास नहीं हो सका था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2019 चुनावों से पहले वादा किया था कि अगर उनकी सरकार बनी तो वो सबसे पहले महिला आरक्षण बिल को पास करेंगे.
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एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक से मिले जवाबों से सरकार संतुष्ट नहीं
द इकोनॉमिक टाइम्स ने पहले पन्ने पर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक से जुड़ी ख़बर को जगह दी है.
स्टारलिंक सैटेलाइट के एक बड़े नेटवर्क की मदद से इंटरनेट सेवा देता है. ये उन लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया है जो दूर दराज़ के इलाकों में रहते हैं और उन्हें तेज़ इंटरनेट की ज़रूरत होती है.
इन सैटेलाइट को निचली ऑर्बिट में रखा जाता है ताकि धरती से तेज़ी से कनेक्शन स्थापित हो सके और बेहतर स्पीड मिले.
द इकोनॉमिक टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत सरकार एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक से मिले जवाबों से संतुष्ट नहीं है.
स्टारलिंक भारतीय बाज़ार में एंट्री करना चाहती है. माना जा रहा है कि कंपनी की ओर से किए गए आवेदन को इस हफ़्ते मंज़ूरी दी जा सकती है.
सरकार ने स्टारलिंक से कहा है कि डाटा शेयरिंग, स्टोरेज और ट्रांसफर से जुड़ी जानकारियां मुहैया करवाएं.
एलन मस्क की कंपनी की ओर से पहले भी भारत में एंट्री करने की कोशिश की गई थी.
अखबार लिखता है कि स्टारलिंक के आवेदन पर फिलहाल गृह मंत्रालय सुरक्षा की दृष्टि से विचार कर रहा है. इस हफ़्ते के आख़िर तक कोई बैठक हो सकती है.
एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी के पास भारत में लाइसेंस होगा और उसे भारत में बने रहने के लिए नियमों का पालन करना होगा.
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डायरेक्ट टैक्स में 23 फ़ीसदी की वृद्धि
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक़, चालू वित्तीय वर्ष में 16 सितंबर तक डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में क़रीब 23 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.
अब तक नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन क़रीब 8.65 लाख करोड़ रुपये का हो गया है.
सरकार के मुहैया कराए आंकड़ों के मुताबिक़, टैक्स कलेक्शन में वृद्धि कंपनियों की ओर से एडवांस टैक्स के भुगतान के चलते हुई है.
16 सितंबर तक के आंकड़ों के मुताबिक़, एडवांस टैक्स क़रीब 21 फ़ीसदी बढ़कर 3.55 लाख करोड़ रुपये हो गया था.
पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में ये रकम 2.94 लाख करोड़ रुपये ज़्यादा है.
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मणिपुर: सेना की वर्दी में घूमते पांच उपद्रवी गिरफ़्तार
जनसत्ता अखबार ने पहले पन्ने पर ख़बर दी है कि मणिपुर पुलिस ने सेना की वर्दी में घूम रहे पांच लोगों को गिरफ़्तार किया है.
इन लोगों के पास अत्याधुनिक हथियार भी थे.
एक अधिकारी ने बताया है कि हथियार लिए बदमाश लोगों से वसूली कर रहे थे और धमका भी रहे थे. ऐसी कई शिकायतों के बाद पुलिस ने अभियान चलाकर पांच लोगों को पकड़ा है.
3 मई के बाद से मणिपुर में हिंसा जारी है. अब तक 160 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों लोग बेघर हो चुके हैं.
जिन पांच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उनकी गिरफ़्तारी के विरोध में लोगों की भीड़ जुटी और पुलिस थाने पर हमला करने की कोशिश की.
इस दौरान आंसू गैस के गोले छोड़ गए.
मणिपुर में कुकी और मैतई समुदाय के बीच बीते चार महीने में कई हिंसक झड़पें हुई हैं.
ऐसे भी कई मामले देखने को मिले हैं, जिनमें किसी की गिरफ़्तारी के बाद लोगों की भीड़ ने विरोध प्रदर्शन किया और थानों को घेराव किया.