लेबनानी आतंकवादी संगठन हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की इजरायली हवाई हमले में मौत ने पश्चिम एशिया में एक नया तनाव खड़ा कर दिया है। 64 वर्षीय नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह को एक मजबूत अर्धसैनिक और राजनीतिक ताकत में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इजरायल का अगला निशाना यमन के हूथी विद्रोही होंगे, जो लगातार मिसाइल हमले कर रहे हैं?
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अमेरिका की यात्रा से लौटते ही तेल अवीव अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित पूरे मध्य इजरायल में हवाई हमले के सायरन बजने लगे। इजरायली सेना ने कहा कि सायरन बजने के कुछ ही देर बाद यमन से दागी गई मिसाइल को मार गिराया गया। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। यह तत्काल पता नहीं चल पाया है कि मिसाइल हमला नेतन्याहू के विमान को लक्ष्य करके किया गया था या नहीं। यमन और हूथियों की ताकत इजरायल के मुकाबले कितनी है इसका समीकरण और इतिहास क्या है, आइए विस्तार से समझते हैं।
हसन नसरल्लाह की भूमिका और इजरायल के साथ संघर्ष
हसन नसरल्लाह हिजबुल्लाह का शीर्ष नेता था। वह लंबे समय से इजरायल के खिलाफ संघर्ष में शामिल रहा है। 1980 के दशक में ईरान की मदद से हिजबुल्लाह का गठन हुआ था, और नसरल्लाह के नेतृत्व में यह संगठन लेबनान में राजनीतिक और सैन्य तौर पर बेहद शक्तिशाली बन गया। 2006 में इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्ध हुआ, जिसमें हिजबुल्लाह की ताकत बढ़ती दिखाई दी। इस संगठन को ईरान और सीरिया से व्यापक समर्थन मिला है, जो पश्चिम एशिया में इसके प्रभाव को और मजबूत बनाता है। नसरल्लाह की मौत इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच तनावपूर्ण संघर्ष की दिशा बदल सकती है।
यमन और हूथी विद्रोहियों का उदय
हूथी विद्रोही यमन का एक शिया समूह है, जो देश के उत्तरी हिस्से में सक्रिय है। 2014 में उन्होंने राजधानी सना पर कब्जा कर लिया और यमन की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया। इसके बाद यमन में गृहयुद्ध शुरू हुआ, जिसमें सऊदी अरब के नेतृत्व वाले गठबंधन ने हस्तक्षेप किया। हूथियों को भी ईरान का समर्थन प्राप्त है, जिसके कारण उन्हें इजरायल और पश्चिमी देशों की निगाहों में एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में देखा जाता है। हूथी विद्रोहियों की इजरायल विरोधी रुख और उनकी मिसाइल क्षमताएं उन्हें इजरायल के लिए एक संभावित खतरा बनाती हैं। उन्होंने कई बार यमन के बाहर भी हमले किए हैं, विशेषकर सऊदी अरब और यूएई के क्षेत्रों पर, और इन हमलों में उनकी मिसाइल और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। अगर ये हमले इजरायल की ओर और तेजी से बढ़ते हैं, तो यह पश्चिम एशिया में एक नए संघर्ष को जन्म दे सकता है।
हूथी विद्रोहियों का नेतृत्व कौन करता है?
हूथी विद्रोहियों का नेतृत्व अब्दुल मलिक अल-हूथी करता है। वह यमन के इस शिया समूह का प्रमुख नेता है और 2004 से इस हिंसक आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है। उसके नेतृत्व में हूथी विद्रोही यमन के उत्तरी हिस्सों में प्रभावी हो गए हैं और उन्होंने देश की राजनीति और संघर्ष में एक खास हिंसक भूमिका निभाई है। यमनी सेना ने अल-हौथी को मार गिराया था। तब से विद्रोह का नेतृत्व उसका एक भाई अब्दुल-मलिक अल-हौथी ने किया है, जबकि उसके पिता बदरेद्दीन अल-हौथी समूह के आध्यात्मिक नेता बन गए।
हूथियों की शक्ति और मिसाइल क्षमता
हूथी विद्रोही अपनी मिसाइल और ड्रोन क्षमताओं के लिए जाने जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने कई बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं, जो यमन के बाहर स्थित लक्ष्यों पर केंद्रित थे। इन हमलों में प्रमुख तौर पर सऊदी अरब के तेल प्रतिष्ठानों और यूएई के आर्थिक केंद्रों को निशाना बनाया गया है। हूथियों को ईरान द्वारा तकनीकी और सैन्य सहायता प्राप्त होती है, जिससे उनकी सैन्य क्षमता में वृद्धि हुई है।
हूथी विद्रोही यमन की अशांत राजनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए अपनी शक्ति को बढ़ाने में सफल रहे हैं। वे न केवल देश के उत्तरी हिस्सों पर नियंत्रण रखते हैं, बल्कि उन्होंने अपने हमलों की पहुंच को भी बढ़ाया है। हाल के वर्षों में, उनकी सैन्य शक्ति में वृद्धि हुई है, और उन्हें इजरायल के लिए संभावित खतरे के रूप में देखा जाने लगा है।
हूथियों और इजरायल के बीच संबंध
हूथी विद्रोहियों ने हमेशा इजरायल को अपना दुश्मन माना है। उन्होंने कई बार इजरायल के खिलाफ बयानबाजी की है और इजरायल पर हमला करने की धमकी भी दी है। ईरान द्वारा समर्थित होने के कारण, हूथियों की इजरायल विरोधी रणनीति भी ईरान की पश्चिम एशिया में चल रही रणनीतिक गतिविधियों का हिस्सा मानी जाती है। हालांकि अभी तक हूथियों ने सीधे इजरायल पर कोई हमला नहीं किया है, लेकिन उनकी बढ़ती मिसाइल क्षमताओं को देखते हुए यह संभावना जताई जा रही है कि वे इजरायल के खिलाफ सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं।
यमन हमेशा से इजरायली पासपोर्ट या किसी भी पासपोर्ट पर इजरायली मुहर लगी होने पर प्रवेश देने से इनकार करता रहा है। इजरायली कानून के अनुसार, यमन को एक “शत्रु देश” के रूप में परिभाषित किया गया है। इजरायल-हमास युद्ध के दौरान, यमन में हूथी आतंकियों ने इजरायल और लाल सागर में जहाजों के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इस अभियान का उद्देश्य इजरायल को कमजोर करना और संघर्ष में अपनी भूमिका को मजबूत करना था।
क्या यमन और हूथी विद्रोही इजरायल का अगला निशाना होंगे?
हसन नसरल्लाह की मौत के बाद, पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव और बढ़ सकता है। इजरायल अब ईरान के प्रभाव को रोकने के लिए अपनी रणनीति को और मजबूत कर सकता है। हिजबुल्लाह के साथ जारी संघर्ष के अलावा, इजरायल के लिए यमन के हूथी विद्रोही भी एक गंभीर चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि हूथी लगातार मिसाइल हमले कर रहे हैं और उनकी सैन्य क्षमता में बढ़ोतरी हो रही है।
अगर हूथी विद्रोही इजरायल के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने की कोशिश करते हैं, तो इजरायल के लिए यह जरूरी हो जाएगा कि वह इस खतरे को तुरंत और प्रभावी ढंग से समाप्त करे। इस प्रकार, यह संभावना बनी हुई है कि यमन और हूथी विद्रोही इजरायल के अगले निशाने हो सकते हैं, खासकर अगर उनके हमले बढ़ते हैं।
कुल मिलाकर हसन नसरल्लाह की मौत ने पश्चिम एशिया में एक नए संघर्ष की संभावना को जन्म दिया है। यमन के हूथी विद्रोही, जिनकी सैन्य क्षमता में लगातार वृद्धि हो रही है, वे इजरायल के लिए एक नए खतरे के रूप में उभर सकते हैं। इजरायल और हूथियों के बीच किसी भी संघर्ष का असर पूरे पश्चिम एशिया में व्यापक रूप से महसूस किया जा सकता है, जिससे क्षेत्र की स्थिरता को खतरा हो सकता है। आने वाले समय में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इजरायल की रणनीति क्या होती है और यमन और हूथियों के साथ उनका रिश्ता किस दिशा में जाता है।