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अजमेर शरीफ़ दरगाह: सूफ़ीवाद, सियासत और संत परंपरा के रहस्यवाद का अनूठा गुलिस्तान

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Nov 30, 2024


राजस्थान के अजमेर में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह

इमेज स्रोत, Getty Images

इमेज कैप्शन, राजस्थान के अजमेर में ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह (फ़ाइल फ़ोटो)

”जिस समय भारत में सामाजिक न्याय की जगह भीषण अंधेर मची थी, उस समय ब्रह्म के रेख में मेख लगाने के लिए कोई नहीं दिख पड़ता था. इसी समय में निर्धन और पीड़ित लोगों की आह को सुनने वाले कुछ संत हुए. वे उन्हीं की तरह गुरबत में रहते और कई-कई दिन भूखों रहकर आर्थिक विषमताओं को दूर करने की कोशिश करते.”

– राहुल सांकृत्यायन (प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार)

राहुल सांकृत्यायन ने अकबर और उनके समकालीन समय पर लिखी अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ”अकबर” में कुछ संतों को मुस्लिम साम्यवादी कहा है और इनमें सूफ़ी संत और रहस्यवादी दार्शनिक ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती सबसे पहले हैं.

वे ईरान के संजार (सिजिस्तान) में पैदा हुए. एक वही ऐसे मुस्लिम संत हैं, जिनकी कीर्ति और यश भारतीय उपमहाद्वीप को भी पार कर गया और धर्म-पंथ या संप्रदायों की संकीर्णताओं को भी लांघ गया.

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