तमिलनाडु के अन्ना यूनिवर्सिटी की एक छात्रा के साथ कथित यौन उत्पीड़न का मामला अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है. इस बीच यूनिवर्सिटी परिसर में सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है.
बीजेपी, प्रदेश की डीएमके सरकार का विरोध कर रही है और छात्रा के लिए न्याय की मांग कर रही है.
शुक्रवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने प्रदेश सरकार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया और विरोध जताते हुए सार्वजनिक तौर पर खुद को छह कोड़े मारे.
अन्ना यूनिवर्सिटी में जारी विवाद के बीच प्रदेश के राज्यपाल और चांसलर आरएन रवि ने रविवार को सुरक्षा इंतज़ामों का जायज़ा लेने के लिए यूनिवर्सिटी का दौरा किया.
ये मामला पिछले सोमवार यानी 23 दिसंबर की रात सामने आया. एक छात्रा ने आरोप लगाया कि परिसर में रात को जब वो अपने एक दोस्त से बात कर रही थीं, उनका यौन उत्पीड़न किया गया.
राज्यपाल ने यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की. उन्होंने छात्रों और छात्राओं से भी अलग-अलग बात की और परिसर की सुरक्षा के बारे में उनकी राय ली.
उन्होंने कहा कि छात्रों की सुरक्षा सर्वोपरी है. उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रबंधन से कहा कि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाएं और छात्रों की सुरक्षा चिंताओं का निपटारा किया जाए.
विश्वविद्यालय के अन्य छात्रों का कहना है कि ‘विश्वविद्यालय परिसर में ही नहीं बल्कि क्लास रूम में भी उत्पीड़न की शिकायत आ रही हैं.’ छात्रों के अनुसार अगर वो इन मामलों की ‘शिकायत कमिटी से करते हैं तो भी यूनिवर्सिटी प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं देता.’
प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री कोवी चेलियन ने कहा कि विश्वविद्यालयों में मौजूद शिकायत कमिटियों की गतिविधियों की समय-समय पर जांच की जाती है.
छात्रों के क्या हैं आरोप और क्या छात्रों की शिकायतों को वाकई नज़रअंदाज किया गया?
क्या है मामला?
चेन्नई के गुइंडी में अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में 23 दिसंबर को रात क़रीब आठ बजे एक दोस्त से बात करते समय एक छात्रा का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया.
छात्रा ने कोट्टूरपुरम पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई. अगले दिन यानी 24 दिसंबर को पुलिस ने दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर जांच शुरू की और अड्यार में रेस्तरां चलाने वाले ज्ञानशेखरन नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार पुलिस ने बताया, “सांइटिफ़िक साक्ष्यों के आधार पर कोट्टूर (कॉलेज के पास का एक इलाक़ा) से ज्ञानशेखरन नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है. संदिग्ध ने इक़बालिया बयान दिया है और बताया है कि वो फुटपाथ पर बिरयानी की दुकान लगाता है.”
पुलिस के अनुसार अभी इस बात की जांच चल रही है कि क्या इस व्यक्ति ने और भी अपराधों को अंजाम दिया है.
साथ ही पुलिस ने ये भी बताया, “विश्वविद्यालय परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति की गई है.”
छात्रा के साथ हुई घटना की निंदा करते हुए 25 दिसंबर को छात्र संगठनों ‘स्टूडेंट्स फे़डरेशन ऑफ़ इंडिया’ (एसएफ़आई) और ‘एआईडीडब्ल्यूए’ ने कार्रवाई की मांग करते हुए ने विश्वविद्यालय परिसर में विरोध प्रदर्शन किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय परिसर में ‘छात्रों को उचित सुरक्षा नहीं मिल रही है.’
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार जे. प्रकाश ने छात्रों से बातचीत की. उन्होंने ने एक बयान जारी कर कहा कि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से कदम उठाए जा रहे हैं.
सुरक्षा को लेकर यूजीसी के दिशानिर्देश क्या कहते हैं?
उच्च शिक्षा संस्थानों के परिसरों में और बाहर छात्रों की सुरक्षा पर यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार धमकियों और शारीरिक, सामाजिक या मनोवैज्ञानिक स्तर पर उनपर हमलों से उन्हें सुरक्षा दी जानी चाहिए.
इसके अनुसार हॉस्टलों के चारों तरफ ऊंची दीवारें होनी चाहिए, वहां कम से कम तीन सुरक्षा कर्मियों की तैनाती होनी चाहिए और इसके अलावा वहां सीसीटीवी कैमरे और पहचान पुख्ता करने की व्यवस्था होनी चाहिए.
इसके साथ-साथ यूनिवर्सिटी में प्रॉक्सी उपस्थिति पर लगाम के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम होनी चाहिए. छात्रों और सभी को यूनिवर्सिटी पहचान पत्र जारी और प्रबंधन की तरफ़ से परिसर में पहचान पत्र पास रखना बाध्यकारी किया जाए.
इन दिशानिर्देशों के अनुसार हर तिमाही में एक बार शिक्षक छात्र के अभिभावकों से मुलाक़ात करें और उनकी शिकायतें सुनें. साथ ही शिकायत दर्ज करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था अपनाई जाए.
इसके अलावा भी यूनिवर्सिटी को कई और कदम उठाने के लिए कहा गया है, जिससे यूनिवर्सिटी परिसर में और बाहर (स्टडी ट्रिप के दौरान) उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. यूनिवर्सिटी परिसर में कैंटीन चलाने को लेकर भी कुछ दिशानिर्देश हैं.
अन्ना यूनिवर्सिटी परिसर
अन्ना यूनिवर्सिटी गुइंडी में लगभग 180 एकड़ के इलाक़े में है. इसके परिसर में गुइंडी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, एसीटी कैम्पस, स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर (एसएपी) भी मौजूद हैं.
इनमें 13 हज़ार से अधिक विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. विश्वविद्यालय के परिसर में छात्रों के लिए तीन छात्रावास भी मौजूद हैं.
यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी से कहा, “कोई भी किसी भी समय कैम्पस में प्रवेश कर सकता है. जो कोई भी चाहे, रात भर यहां रुकता है, कोई पूछने वाला नहीं है.”
उन्होंने कहा, ”कैम्पस में पैसे और ज्वेलरी की जबरन लूट की घटनाएं आम हो गई हैं, लेकिन इन मामलों में कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं की जाती है.”
छात्रों का कहना है कि उनकी शिकायतों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, बल्कि शिकायत करने पर उन्हीं से सवाल किए जाते हैं.
छात्र बताते हैं कि, “काउंटर पर प्रोफे़सर सवाल पूछते हैं- आपको उस जगह क्यों जाना है? आप वहां क्या करते हैं?”
छात्रों के अनुसार इस वजह से भी कई छात्र शिकायत दर्ज करने से भी डरते हैं.
विश्वविद्यालय की एक पूर्व छात्रा कृतिका (बदला हुआ नाम) कहती हैं, “यौन उत्पीड़न जैसी सभी शिकायतों की जांच की जानी चाहिए. लेकिन वो केवल नाममात्र के लिए ही काम करते हैं.”
वह बताती हैं, ”2019 में जब मैंने कुछ प्रोफे़सरों के बारे में शिकायत की कि कुछ लोग मुझे मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं, तो कमिटी ने मेरी शिकायत स्वीकार कर जांच के लिए मुझे नहीं बुलाया.”
वह कहती हैं, “यूनिवर्सिटी में मेरा आख़िरी साल था. इस दौरान एक साथी छात्र ने मेरा यौन उत्पीड़न किया था. मैंने इसके बारे में शिकायत तो की, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने कुछ नहीं किया. चूंकि मेरे लगातार संघर्ष के बावजूद मुझे न्याय नहीं मिला, इसलिए मैंने भविष्य को देखते हुए शिकायत को आगे नहीं बढ़ाया.”
वह कहती हैं कि अपने माता-पिता के समर्थन के कारण वो साहस के साथ इस मुद्दे को आगे बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी.
शिक्षकों की चिंता
बीबीसी से बात करते हुए एक प्रोफे़सर ने कैंपस में होने वाली घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी साझा की.
नाम न छापने की शर्त पर प्रोफे़सर ने कहा कि परिसर में कुछ लोग, जो विश्वविद्यालय से संबंधित नहीं हैं, वो छुपकर बैठे और बातचीत कर रहे प्रेमी जोड़ों का वीडियो बना रहे थे और उनसे पैसे वसूल रहे थे.
वह कहते हैं, “कुछ छात्रों को जब पता चला कि कोई इस तरह से पैसे वसूल रहा है तो उन्होंने उन लोगों को रंगे हाथों पकड़ लिया. इसके बाद छात्रों और उन लोगों के बीच तीखी झड़प हुई. यह घटना कुछ साल पहले घटी थी लेकिन पहले इसे सामने नहीं लाया गया.”
प्रोफे़सर ने कहा, “जब शिक्षक परिसर में आते हैं वो उनसे पहचान पत्र मांगा जाता है, लेकिन आम लोग बेरोकटोक, बिना किसी डर के अंदर चले जाते हैं. यहां तक कि यूनिवर्सिटी कमिटी को भी यह नज़र नहीं आता.”
क्या है मौजूदा स्थिति?
अन्ना विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी का कहना है, “छात्रों की सुरक्षा के लिहाज़ से पूरे विश्वविद्यालय परिसर में निगरानी के लिए 350 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं. लेकिन परिसर में प्रवेश करने वाले एक भी व्यक्ति की ठीक से निगरानी नहीं की जाती है.”
उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी कैंपस में एक कैंटीन है जहां छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में बाहर के भी लोग खाना खाने आ रहे हैं.”
उनका कहना है कि, “कैंटीन में खाने की क़ीमत कम है इसलिए बहुत से लोग वहां आते हैं. प्रबंधन छात्रों के अलावा बाहरी लोगों के प्रवेश पर सवाल नहीं उठाता.”
पास में ही चेन्नई विश्वविद्यालय का परिसर भी है. उनका कहना है कि आमतौर पर यहां से भी लोग अंदर आते हैं.
क्या कहते हैं यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार?
बीबीसी ने अन्ना यूनिवर्सिटी पर छात्रों के आरोपों पर यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार प्रकाश से बात की. लेकिन सवालों का उत्तर नहीं मिल सका.
यहां तक कि छात्रों के लगाए आरोपों को सूचीबद्ध करते हुए उन्हें व्हाट्सएप पर संदेश भेजा गया, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई.
इस संबंध में उच्च शिक्षा मंत्री कोवी चेलियन से कई बार संपर्क करने के बावजूद उनसे भी बात नहीं हो सकी.
वहीं, यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉक्टर जे. प्रकाश ने छात्रों की सुरक्षा को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है.
एक बयान में उन्होंने कहा कि “विश्वविद्यालय परिसर में सुरक्षाकर्मी हमेशा ड्यूटी पर रहते हैं और निगरानी कैमरे होने के बावजूद भी अप्रिय घटना हुई है.”
उन्होंने कहा कि “छात्रों की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है.” साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए विश्वविद्यालय स्तर पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय भी किए जा रहे हैं.
विश्वविद्यालय प्रबंधन में काम कर रहे एक प्रशासक ने छात्रों के लगाए गए आरोपों के संबंध में बीबीसी तमिल को बात की.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति शिकायत समिति, यौन उत्पीड़न निवारण समिति और संकाय शिकायत समिति जैसी विभिन्न समितियां कार्य कर रही हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा “यदि छात्र को कोई समस्या है तो प्रभावित छात्र को सबसे पहले फ़ैकल्टी एडवाइज़र (संकाय सलाहकार) से शिकायत करनी चाहिए. इस ज़िम्मेदारी के लिए एक प्रोफे़सर को नियुक्त किया गया है.”
वो कहते हैं, “ये संकाय सलाहकार उस कक्षा के चेयरमैन को रिपोर्ट करेगा. यदि वह ड्यूटी पर नहीं है तो शिकायत विभागाध्यक्ष तक पहुंचाई जाएगी. इस मामले में जांच की जा रही है और उसी के अनुसार कार्रवाई की जा रही है.”
उन्होंने कहा कि सेमेस्टर में दो बार समीक्षा बैठकें की जा रही हैं जिनमें देखा जाता है कि छात्रों की शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई है.
उन्होंने कहा, “अगर छात्रों ने प्रोफे़सर्स के ख़िलाफ़ शिकायत की हो तो उसे रजिस्ट्रार के ध्यान में लाया जाता है और कार्रवाई की जाती है.”
उच्च शिक्षा मंत्री कोवी चेलियन ने क्या कहा?
इसी सप्ताह 27 दिसंबर को उच्च शिक्षा मंत्री कोवी चेलियन ने इस मामले पर बयान दिया.
अन्ना यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कार्यालय में पत्रकारों से मुलाक़ात के दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह कॉलेज और यूनिवर्सिटी संस्थानों की जांच की जा रही है, उसी तरह आने वाले दिनों में शिकायत समितियों की गतिविधियों की भी जांच की जाएगी.
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर छात्रों के हितों की रक्षा के लिए विभिन्न योजनाएं लाई गई हैं और छात्रों के सामने आने वाली समस्याओं के संबंध में अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श भी किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “कॉलेजों में महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए यौन उत्पीड़न रोकथाम समितियां बनाई गई हैं.”
“अगर छात्रों के व्यवहार में किसी तरह का कोई बदलाव आता है तो कमिटी खुद उन्हें बुलाकर पूछताछ करेगी और उचित कार्रवाई करेगी.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित