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एचआइवी रोगियों से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, एआरवी थेरेपी दवाओं की गुणवत्ता पर उठे रहे सवाल

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Nov 12, 2025


जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को सूचित किया गया कि इस मामले में पिछले साल सितंबर में याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर हलफनामे पर 16 राज्यों ने अपने जवाब दाखिल नहीं किए हैं।

पीठ ने कहा, ”अगर ये 16 राज्य चाहें तो अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।” वर्ष 2022 में नेटवर्क आफ पीपल लिविंग विद एचआइवी/एड्स नामक एनजीओ और अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रहा था।

याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेश हुए सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर ने कहा कि याचिका में एचआइवी रोगियों के इलाज के लिए दवाओं की गुणवत्ता से संबंधित एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है।

जब उन्होंने कहा कि 16 राज्यों ने अभी तक अपने हलफनामे दाखिल नहीं किए हैं तो पीठ ने पूछा, ”अगर राज्य हलफनामे दाखिल नहीं कर रहे हैं तो हम मामले को कब तक लंबित रख सकते हैं?”

केंद्र और कुछ राज्यों के वकीलों ने कहा कि उन्होंने पहले ही अपने हलफनामे दाखिल कर दिए हैं। उल्लेखनीय है कि फरवरी में कोर्ट ने राज्यों से एआरवी-थेरेपी दवाओं की गुणवत्ता पर एक महीने के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा था।

याचिकाकर्ताओं के वकील ने तब कहा था कि केवल चार राज्यों ने हलफनामे पर अपने जवाब दिए हैं, जिसमें खरीद प्रक्रिया और दवाओं की गुणवत्ता सहित कुछ मुद्दों पर प्रकाश डाला गया था।

केंद्र ने पिछले साल जुलाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत एआरवी-थेरेपी केंद्रों के माध्यम से एचआइवी से ग्रस्त सभी लोगों के लिए मुफ्त, आजीवन एआरवी दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहा है।

 

याचिकाकर्ताओं के वकील ने पहले कहा था कि याचिका दायर करने के बाद से हुए घटनाक्रमों को देखते हुए वर्तमान में दवाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन्होंने दवाओं की खरीद और गुणवत्ता से संबंधित मुद्दों को उठाया था। 

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