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क्या हैं ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’? जिन्हें चाहकर भी फोन से नहीं किया जा सकता डिलीट

Byadmin

Dec 7, 2025


डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नया फोन खरीदने के बाद आपने अक्सर देखा होगा कि कुछ एप फोन में पहले से मौजूद होते हैं। गूगल से लेकर यूट्यूब, प्ले स्टोर, क्रोम समेत कई एप इन्हीं में से एक हैं। तकनीकी की भाषा में इन्हें ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ (Pre Installed Apps) कहते हैं।

हाल ही में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने संचार साथी एप को लेकर हल्ला बोल दिया। सरकार ने संचार साथी एप को फोन में प्री-इंस्टॉल करने का आदेश दिया, जिसके लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। विपक्ष का कहना है कि इससे लोगों का डेटा चोरी हो सकता है। मगर, क्या आप जानते हैं कि भारत में प्री-इंस्टॉल्ड एप को लेकर क्या नियम हैं?

2023 में प्रस्ताव लाई थी सरकार

2023 में भारत सरकार इसके लिए प्रस्ताव लेकर आई थी, लेकिन अभी तक इसे पास नहीं किया जा सका है। फोन में मौजूद कई ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को डिलीट भी नहीं किया जा सकता है। ऐसे में क्या वाकई इन एप के जरिए लोगों का डेटा चोरी हो सकता है?

‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को डिलीट करने का प्रस्ताव

2023 में केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए प्रस्ताव में ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को डिलीट करने का विकल्प देने की बात कही गई थी। अभी कई ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को लोग चाहकर भी फोन से नहीं हटा सकते हैं। हालांकि, यह प्रस्ताव पास न होने के कारण नियम लागू नहीं हो सका।

Pre Installed Apps (1)

भारत में क्या हैं नियम?

भारत में ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को हटाने का कोई कानून नहीं है। कई कंपनियां पहले से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में एप इंस्टाल करके देती हैं। भारत में अभी यूजर्स के पास इन एप को हटाने का कानूनी अधिकार नहीं है। यही वजह है कि इन्हें हटा पाना भी आसान नहीं होता है।

अन्य देशों में क्या हैं नियम?

‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को हटाने के लिए यूरोपीय यूनियन में सबसे सख्त कानून है। इसे हटाने की सुविधा देना अनिवार्य है। यह नियम एप्पल और गूगल जैसी कंपनियों पर भी लागू होता है। ऐसे में अगर यूजर चाहे तो फोन का कोई भी एप डिलीट कर सकता है और अपनी मर्जी का एप डाउनलोड करके यूज कर सकता है।

अमेरिका में ‘प्री-इंस्टॉल्ड एप’ को लेकर कोई कानून नहीं है। अमेरिका में फोन या इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एप को प्री-इंस्टॉल्ड किया जा सकता है। मगर, अगर कोई दूसरी कंपनी चाहे तो इसके खिलाफ एंटी-ट्रस्ट नियम के तहत शिकायत दर्ज करवा सकती है।

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