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दवाओं का कम होता असर, ग्लोबल पब्लिक हेल्थ के लिए बड़ा खतरा… UNGA की बैठक में बोलीं अनुप्रिया पटेल – decreasing effectiveness medicines big threat to global public health anupriya patel unga meet

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Sep 27, 2024


नई दिल्ली : बीमारियों के इलाज में दवाओं का कम होता असर एक वैश्विक संकट बनकर उभर रहा है। Antimicrobial Resistance (AMR) यानी रोगाणुरोधी प्रतिरोध को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ और विकास के लिए बड़े खतरों में से एक माना गया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस मसले पर उच्च स्तरीय बैठक हुई, जिसमें भारत की केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि AMR के खतरे से निपटने की रणनीति बनानी होगी और सभी देशों को साथ आकर काम करना होगा।

अनुप्रिया पटेल ने क्या कहा

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि AMR के कारण इंफेक्शन का इलाज मुश्किल हो जाता है, साथ ही यह सर्जरी की प्रक्रिया को भी जोखिम भरा बनाता है। एंटीबायोटिक दवाओं का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से एंटीबायोटिक प्रतिरोध होता है, ऐसी स्थिति में बैक्टीरिया उन एंटीबायोटिक दवाओं का प्रतिरोध करने लगते हैं जो उनका प्रभावी ढंग से इलाज करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।

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बार-बार दवाओं के प्रयोग से खत्म होता है असर

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इससे कुछ जीवाणु संक्रमणों का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का भी कहना है कि आजकल हर छोटी- बड़ी बीमारी में एंटीबॉयोटिक्स के साथ- साथ अनावश्यक रूप से दवाईयां दे दी जाती है, जिनका फायदा नहीं होता लेकिन बार- बार उन दवाओं के प्रयोग से उनका असर खत्म हो जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में केंद्रीय मंत्री

संयुक्त राष्ट्र सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘AMR वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा है, जो आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में हुए दशकों की प्रगति को कमजोर कर रहा है।’ उन्होंने विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों में एएमआर रोकथाम रणनीतियों का एकीकरण करने की बात की। भारत में अप्रैल 2017 में राष्ट्रीय कार्य योजना की शुरूआत के बाद से एएमआर से निपटने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

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केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत आने वाले कार्यक्रमों के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छता, सफाई और संक्रमण नियंत्रण में सुधार किया गया है। भारत ने एक सूक्ष्मजीवरोधी प्रबंधन तैयार किया है, जिसका उद्देश्य अनावश्यक एंटीबायोटिक पर्चे और बढ़ते हुए एएमआर खतरे से निपटना है। यह कार्यक्रम संसाधन-सीमित सेटिंग्स के लिए तैयार किया गया है और इसे देश के कई अस्पतालों में अपनाया जा रहा है।

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