लखनऊ में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि मतदाता सूची के सघन पुनरीक्षण अभियान (एसआईआर) का उनकी पार्टी विरोध नहीं करती है, लेकिन इसकी समय सीमा बेहद कम है। इसकी वजह से बीएलओ दबाव में हैं। कई अपनी जान भी गवां चुके हैं। जहां करोड़ों मतदाता हैं, वहां बीएलओ को उचित समय मिलना चाहिए। खासकर यूपी में, जहां जल्द कोई चुनाव नहीं है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि यूपी में करीब 15.40 करोड़ मतदाता हैं। एसआईआर का कार्य जल्दबाजी में करने का नतीजा होगा कि अनेकों वैध-मतदाता खासकर गरीब और काम करने बाहर गए लोगों का नाम मतदाता सूची में नहीं दर्ज हो पाएगा। यह वोट डालने के संवैधानिक अधिकार से वंचित कर देगा, जो अनुचित होगा। लिहाजा समय सीमा बढ़नी चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि जिन प्रत्याशियों का कोई भी आपराधिक इतिहास है, उन्हें अपने हलफनामे में इसका ब्योरा देना होगा।
स्थानीय अखबारों में भी पूरा विवरण प्रकाशित करना होगा। जिस दल से चुनाव लड़ रहे हैं, उसे भी इसकी सूचना राष्ट्रीय अखबारों में प्रकाशित करानी होगी। बसपा का मत है कि जिस व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया जाता है, उनमें से कुछ अपना आपराधिक इतिहास पार्टी को नहीं बताते हैं।
ऐसे प्रत्याशियों के संबंध में सभी औपचारिकताएं पूरी करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर डालनी चाहिए। आगे यदि मालूम होता है कि किसी प्रत्याशी ने अपना आपराधिक इतिहास छुपाया है तो पार्टी की जगह उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
बैलेट पेपर से हो चुनाव
उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव प्रक्रिया में सभी का पूर्ण रूप से विश्वास पैदा करने के लिए ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से ही मतदान की प्रक्रिया लागू की जाए। अगर किसी वजह से ऐसा अभी नहीं किया जा सकता है तो कम से कम वीवीपैट में जो वोट डालते समय पर्ची गिरती है, उन सभी पर्चियों की गिनती सभी बूथों में करके ईवीएम के वोटों से मिलान किया जाये। बैलेट पेपर से वोटिंग कराने पर अधिक समय लगने का चुनाव आयोग का तर्क उचित नहीं है। अगर सिर्फ कुछ और घंटे वोटों की गिनती में लगते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिये।