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अलवर ज़िले की लक्ष्मणगढ़ तहसील के 22 साल के अजीत चौधरी रूस के उफा इलाक़े की बश्किर स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे.
19 दिन तक लापता रहने के बाद छह नवंबर को उनका शव यूनिवर्सिटी से कुछ दूरी पर एक नदी से बरामद हुआ था.
मृतक स्टूडेंट के परिजनों का दावा है कि अजीत की मौत की सूचना उन्हें यूनिवर्सिटी के ही एक पूर्व छात्र जितेंद्र गुर्जर से मिली.
इसके बाद रूस में भारतीय दूतावास से भी फ़ोन पर उन्हें इस घटना की जानकारी दी गई. हालांकि अब तक अजीत का शव उनके परिजनों को नहीं मिला है.
लक्ष्मणगढ़ तहसील मुख्यालय से लगभग पांच किलोमीटर दूर कफंवारा गांव है.
यहां अजीत का किसान परिवार अपने बेटे की मौत की ख़बर मिलने के बाद से सदमे में है.
परिवार ने अजीत की हत्या की आशंका जताई है और सरकार से जल्द शव को भारत लाने की गुहार लगाई है.
क्या है पूरा मामला?
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अजीत के जीजा दामोदर चौधरी बीबीसी से कहते हैं, “19 अक्तूबर की रात अजीत ने हमेशा की तरह घर पर सभी से बात की थी. अजीत की आखिरी बार मुझसे ही बात हुई थी. उसने कहा कि वह दिवाली की तैयारी कर रहे हैं और खीर बनाएंगे.”
इसके बाद सुबह सात बजे फ़ोन किया तो उसका फोन बंद था. तभी से उनका पता नहीं चला.
परिजनों का कहना है कि ’19 अक्तूबर से लापता हुए अजीत के बारे में जानकारी लेने के लिए हमने यूनिवर्सिटी से कई बार संपर्क किया. लेकिन, हमेशा एक ही जवाब मिला कि पुलिस तलाश कर रही है.’
परिवार का कहना है कि 19 दिन तक गुमशुदा रहे अजीत का शव छह नवंबर को यूनिवर्सिटी से करीब तीन किलोमीटर दूर एक नदी से मिलने का दावा किया गया.
अजीत के रिश्तेदार भोम सिंह ने बीबीसी को बताया, “अजीत के गुमशुदा होने की बात हमें यूनिवर्सिटी से नहीं मिली. ये जानकारी अजीत के दोस्तों से मिली. हमने कई बार यूनिवर्सिटी से संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला.”
वह बताते हैं कि छह नवंबर को अजीत के शव बरामद होने की सूचना भी उन्हें अलवर के रहने वाले जितेंद्र कसाणा से मिली थी. वह भी इसी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते थे.
भोम सिंह यूनिवर्सिटी पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि ‘सबसे पहले यूनिवर्सिटी को हमें बताना चाहिए था. लेकिन हमें अजीत की मौत की पहली सूचना जितेंद्र कसाणा से मिली.’
परिजनों को हत्या की आशंका
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परिजनों ने अजीत की हत्या की आशंका जताई है. उन्होंने आरोप लगाया कि जितेंद्र कसाणा अजीत की मौत की सच्चाई जानते हैं.
कसाणा ने बीबीसी से बातचीत में कहा कि परिवार के आरोप बेबुनियाद हैं. उनका कहना है कि वह एक साल पहले ही वापस भारत लौट गए थे.
भोम सिंह ने बताया कि उनके पास भारतीय दूतावास से किसी भावेश का कॉल आया था. उन्होंने कहा कि अजीत का शव मिला है और पुलिस ने अस्पताल की मॉर्चरी में शव रखवाया है. पुलिस जांच कर रही है.
परिवार का कहना है कि शव मिलने के बाद अभी तक पोस्टमॉर्ट्म नहीं किया जाना किसी साज़िश का हिस्सा लगता है.
शव जल्द भारत लाने की मांग
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अजीत के दादा बाबू लाल चौधरी बीबीसी से कहते हैं, “हम ग़रीब हैं इसलिए हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. हमें न्याय मिलना चाहिए. दोषियों को सज़ा मिलनी चाहिए और हमारे बच्चे का शव जल्द भारत लाना चाहिए.”
अजीत के पिता रूप सिंह किसान हैं. वह कहते हैं कि खेती की चार बीघा ज़मीन बेचकर अपने बेटे को डॉक्टर बनाने के लिए रूस भेजा था.
रूप सिंह कहते हैं, “अजीत हमेशा कहता था कि मैं डॉक्टर बन जाउंगा तब फिर से ज़मीन खरीद लूंगा और मकान भी बनवा दूंगा. लेकिन, अब सब सपने टूट गए हैं.”
अब परिवार की मांग है कि अजीत का शव जल्द ही भारत लाया जाए. इस मांग को लेकर परिजनों ने लक्ष्मणगढ़ एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है.
परिजनों ने अलवर से सांसद और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र यादव से मुलाकात की है. परिजनों ने दिल्ली में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह से मुलाक़ात कर अजीत के शव को जल्द लाने की मांग की है.
भोम सिंह का कहना है कि उन्होंने अलवर से पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय राज्य गृहमंत्री भंवर जितेंद्र सिंह से मुलाकात कर इस मामले में मदद की गुहार लगाई थी.
भंवर जितेंद्र सिंह ने बीबीसी से कहा, “मैं दूतावास के संपर्क में हूं. परिवार ने हत्या की आशंका जताई है. तस्वीरों में नज़र आ रहा है कि शव पर निशान हैं जबकि बताया जा रहा है कि वह पानी में बह गया था. यह संदेहास्पद है. इसलिए मैंने दूतावास में कहा है कि इसकी पूरी जांच हो, जल्द पोस्टमॉर्टम हो और शव को जल्दी भारत भेजा जाए.”
यूनिवर्सिटी से कोई ठोस जवाब नहीं
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परिवार का आरोप है कि उफा में जिस यूनिवर्सिटी में अजीत पढाई कर रहे थे, वहां से कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा रहा है. बस इतना कहा जाता है कि शव मॉर्चरी में रखा हुआ है और जांच जारी है.
यूनिवर्सिटी में अंबिका नाम की एक हॉस्टल वॉर्डन हैं जिनसे परिवार संपर्क में बना हुआ है.
परिवार के सदस्यों ने हमारे सामने अंबिका को कॉल कर मामले में अपडेट लेना चाहा. फ़ोन उठाने पर अंबिका ने परिवार को बताया कि जांच चल रही है. शव मॉर्चरी में रखा हुआ है. इससे ज्यादा कुछ नहीं बताया जा सकता.
जब अंबिका से बीबीसी ने अजीत की मौत से जुड़े सवालों का जवाब जानने के लिए कॉल किया तो उन्होंने कॉल काट दिया. मैसेज पर अंबिका ने कहा कि इस मामले में वह कुछ नहीं कह सकती हैं.
न्यूयॉर्क में रह रहे नॉर्थ अमेरिका राजस्थान एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम भंडारी को परिवार ने शव भारत लाने के लिए अधिकृत किया हुआ है. प्रेम भंडारी यूनिवर्सिटी और दूतावास के साथ संपर्क में हैं.
प्रेम भंडारी ने बीबीसी को बताया, “मैंने दूतावास से इस मामले में सबसे पहले पोस्टमॉर्टम करवा कर उसकी वीडियोग्राफ़ी भी करने के लिए कहा है. अजीत की मौत के कारणों के लिए निष्पक्ष जांच की मांग भी की है.”
वहीं, अजीत की मां संतरा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. उनकी तबीयत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है. अक्तूबर 2023 में उन्होंने अपने बेटे को रूस भेजा था. इसके बाद कभी उन्होंने अजीत को नहीं देखा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित