आगरा के किरावली स्थित गांव बाकंदा खास में पिता के सामने खेत पर बने कुएं में गिरे पांच साल के रिहांश उर्फ सत्तू का शव 33 घंटे बाद शनिवार रात करीब आठ बजे सेना के जवानों ने निकाल लिया। शुक्रवार सुबह 11 बजे कुएं में गिरे बच्चे की तलाश में रात 12:30 बजे राज्य आपदा मोचन दल (एसडीआरएफ) की टीम पहुंची थी मगर अंधेरे के कारण तलाशी अभियान नहीं शुरू हो सका था। शनिवार सुबह टीम ने तलाश शुरू की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद शाम को सेना बुलाई गई। सेना के स्कूबा डाइवरों की टीम ने दो घंटे में ही बच्चे को निकाल लिया, लेकिन तब तक उसकी माैत हो चुकी थी।
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माैके पर सेना के जवान।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
गांव बाकंदा खास निवासी रामगोपाल ने बताया कि उनके खेत में आलू की फसल है। शुक्रवार को वह खेत पर गए थे। उनका छोटा बेटा रिहांश उर्फ सत्तू भी पीछे-पीछे खेत पर पहुंच गया था। खेलते-खेलते उसका पैर फिसल गया और वह 50 फीट गहरे कुएं में गिर गया। उन्होंने शोर मचाया तो आसपास के खेतों पर काम कर रहे किसानों के साथ ग्रामीण भी पहुंच गए। उन्होंने तलाश की, लेकिन बच्चे का पता नहीं चला।
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50 फीट गहरे कुएं में समा गया मासूम रिहांश
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सूचना पर पहुंची पुलिस और अग्निशमन विभाग की टीम ने तलाश शुरू की और शाम को नगर निगम की टीम बुलाई गई थी। कुएं से पानी निकालने के लिए दो पंप लगाए गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। खारी नदी का स्रोत होने की वजह से कुएं में लगातार पानी भर रहा था। रात नाै बजे तलाशी अभियान बंद कर दिया गया था।
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ग्रामीणों की जुटी भीड़
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
एसीपी अछनेरा रामप्रवेश गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार रात करीब 12:30 बजे एसडीआरएफ की टीम माैके पर पहुंची थी, लेकिन वह भी अंधेरे की वजह से तलाशी अभियान शुरू नहीं कर सकी। शनिवार सुबह कुएं में तीन सबमर्सिबल पंप लगाकर पानी निकाला गया। टीम के सदस्य कुएं में भी उतरे, लेकिन अंदर दलदल होने की वजह से बच्चे का पता नहीं चल सका।
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आगरा हादसा
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
शाम को 5:30 बजे सेना के स्कूबा डाइवरों की टीम पहुंच गई। एक-एक कर तीन स्कूबा डाइवर कुएं में उतरे और रात आठ बजे बच्चे को बाहर निकाल लिया। तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं। स्कूबा डाइवरों की इसी टीम ने उटंगन नदी में डूबे 12 लोगों के शवों को गड्ढे से निकला था। तलाशी अभियान के दाैरान पुलिस और प्रशासनिक अफसर भी माैके पर उपस्थित रहे।