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CJI चंद्रचूड़ का केंद्र को संदेश- यौन रुझान का जजों की योग्यता से कोई लेना-देना नहीं

Byadmin

Mar 19, 2023


AgencyPublish Date: Sun, 19 Mar 2023 08:55 AM (IST)Updated Date: Sun, 19 Mar 2023 08:55 AM (IST)

नई दिल्ली, एजेंसी। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ कृपाल को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर दूसरी बार पदोन्नति देने की सिफारिश पर एक बार फिर बयान दिया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा पदोन्नति देने की सिफारिश पर उठे विवाद पर सीजेआई ने कहा कि एक उम्मीदवार के यौन रुझान का उसकी पेशेवर क्षमता से कोई लेना-देना नहीं है।

न्यायाधीश के जीवन के हर पहलू को नहीं बता सकते

एक कॉन्क्लेव में बोलते हुए CJI ने कहा कि जब कॉलेजियम उच्च न्यायालयों या सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों पर विचार करता है, तो यह इस तथ्य के बारे में भी विचार होता है कि उनके जीवन के हर पहलू को समाज के सामने नहीं रखा जा सकता है।

आईबी रिपोर्ट का किया जिक्र

सीजेआई ने सम्मेलन में कहा कि जिस उम्मीदवार (किरपाल) का आप जिक्र कर रहे हैं, उसके हर पहलू का उल्लेख इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में किया गया था, वह सार्वजनिक डोमेन में था। वे अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में खुले हैं। उन्होंने कहा कि कोई कह सकता है कि यदि आप आईबी की रिपोर्ट को सार्वजनिक डोमेन में रखते हैं, तो आप राष्ट्रीय सुरक्षा, किसी के जीवन को खतरे में डाल सकते हैं। हालांकि, यहां कोई ऐसा मामला नहीं था। आईबी की रिपोर्ट भावी न्यायाधीश के लिए खुले तौर पर घोषित समलैंगिक उम्मीदवार के यौन रुझान पर आधारित थी। 

यौन रुझान का पात्रता से लेना-देना नहीं

सीजेआई ने केंद्र को संदेश देते हुए कहा कि कॉलेजियम द्वारा प्रस्ताव में जो कुछ कहा वह यह था कि किसी उम्मीदवार के यौन रुझान का उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के उच्च संवैधानिक पद को ग्रहण करने की क्षमता या उम्मीदवार की संवैधानिक पात्रता से कोई लेना-देना नहीं है।

कॉलेजियम और केंद्र के बीच खींचतान

बता दें कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कृपाल को नियुक्त करने की अपनी सिफारिश को दोहराया था, जिसके बाद केंद्र से टकराव देखा गया था। कोर्ट ने केंद्र के इस तर्क को खारिज कर दिया था कि भारत में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है, लेकिन समलैंगिक विवाह अभी भी मान्यता से वंचित है।

Edited By: Mahen Khanna