उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा के दौरान, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों को सख्त चेतावनी दी है। गाजियाबाद में जलाभिषेक करने और बागपत में पुष्पवर्षा करने के बाद, मेरठ में उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा की और यात्रा को अनुशासित रखने का आह्वान किया।
दिल्ली से लौटते समय सीएम योगी ने गाजियाबाद के प्रसिद्ध दूधेश्वरनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया और फिर बागपत में हेलिकॉप्टर से कांवड़ियों पर पुष्पवर्षा की। इसके बाद उनका काफिला मेरठ पहुंचा, जहां मोदीपुरम स्थित दुल्हेड़ा चौकी के पास विशेष मंच पर योगी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कांवड़ को हाथ से रोककर उस पर 4-5 बार पुष्पवर्षा की।
कांवड़ियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “शिवभक्ति का यह पर्व लोकमंगल का प्रतीक है। हर शिवभक्त को चाहिए कि वह दूसरों की असुविधा को समझे और यात्रा को अनुशासित रखे।” उन्होंने प्रशासन और स्वयंसेवी संस्थाओं की व्यवस्थाओं की भी सराहना की और यातायात की सुचारू व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया।
संगीत सोम और पुलिस आमने-सामने
सीएम योगी के कार्यक्रम से पहले सरधना के पूर्व विधायक और भाजपा के फायरब्रांड नेता संगीत सोम की निजी गाड़ी को पुलिस ने कार्यक्रम स्थल के पास रोक दिया। इस पर संगीत सोम नाराज़ हो गए और एसपी ट्रैफिक व एडीएम सिटी से लगभग 20 मिनट तक बहस हुई। अधिकारियों ने उनसे सरकारी वाहन से आगे जाने का आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने।
एसपी सिटी को करना पड़ा हस्तक्षेप
स्थिति इतनी गरमा गई कि एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह को मौके पर आना पड़ा। उन्होंने भी स्पष्ट कहा कि सुरक्षा कारणों से बैरिकेडिंग नहीं हटाई जाएगी। दो बार गर्मागर्म बहस हुई, लेकिन अंततः पुलिस को सख्ती दिखानी पड़ी और संगीत सोम को लौटना पड़ा। हालांकि बाद में वे पीछे के रास्ते से मंच तक पहुंचे और सीएम योगी के साथ नजर आए।
राज्यसभा सांसद की भी गाड़ी रोकी गई
इसी कार्यक्रम के दौरान राज्यसभा सांसद डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी की कार को भी पुलिस ने सुरक्षा के तहत रोक लिया। अफसर उन्हें पहचान नहीं सके, जिससे नाराज होकर सांसद ने कहा, “यहीं गाड़ी खड़ी कर दूंगा, सबको पता चल जाएगा।” बाद में पहचान बताने पर उन्हें आगे बढ़ने की अनुमति दी गई।
यात्रा में श्रद्धा और सुरक्षा दोनों जरूरी
कांवड़ यात्रा के इस विशाल आयोजन में भक्ति और अनुशासन के साथ-साथ प्रशासन की सतर्कता भी दिख रही है। मुख्यमंत्री का यह स्पष्ट संदेश कि “श्रद्धा के पर्व में उपद्रव नहीं चलेगा”, पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था और धार्मिक मर्यादा बनाए रखने की दिशा में एक मजबूत पहल के रूप में देखा जा रहा है।