GST और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि GST और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तार लोगों पर भी BNSS/CrPC प्रावधान लागू होंगे।व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए अदालत जा सकता है भले ही उसके खिलाफ कोई FIR दर्ज न हुई हो। मुख्य याचिका 2018 में राधिका अग्रवाल द्वारा दायर की गई थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण फैसलों पर सुनवाई की। कोर्ट ने GST, सीमा शुल्क और FIR से संबंधित मामलों पर सुनवाई की। कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत का प्रावधान गुड और सर्विस एक्ट तथा सीमा शुल्क कानून पर लागू होता है और व्यक्ति गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए अदालत जा सकता है, भले ही उसके खिलाफ कोई FIR दर्ज न हुई हो।
पिछले साल SC ने सुरक्षित रखा था फैसला
- अदालत ने कहा है कि अगर गिरफ्तारी की आशंका है, तो पक्षकार राहत के लिए एफआईआर दर्ज हुए बिना कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
- न्यायालय ने यह भी कहा कि गिरफ्तारी के संबंध में GST विभाग द्वारा जारी परिपत्रों का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए
गिरफ्तार लोगों पर भी BNSS/CrPC प्रावधान लागू होंगे
इन याचिकाओं में कहा गया था कि ये दंड प्रक्रिया संहिता सीआरपीसी तथा संविधान के साथ असंगत हैं। फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अग्रिम जमानत जैसे मुद्दों पर सीआरपीसी तथा उसके बाद के कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधान सीमा शुल्क तथा जीएसटी अधिनियमों के तहत आने वाले व्यक्तियों पर लागू होंगे।
2018 में दायर हुई थी याचिका
इसने कहा कि जीएसटी तथा सीमा शुल्क अधिनियमों के तहत संभावित गिरफ्तारी का सामना कर रहे व्यक्ति प्राथमिकी दर्ज होने से पहले भी अग्रिम जमानत लेने के हकदार हैं। फैसले का इंतजार है। मुख्य याचिका 2018 में राधिका अग्रवाल द्वारा दायर की गई थी।
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