जानिए क्या कहा वसुंधरा राजे ने
हालांकि, राजे ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनका इशारा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्माकी तरफ था, जो पहली बार विधायक बनने के बाद ही मुख्यमंत्री बन गए हैं। राजे ने आगे कहा कि माथुर से लोगों को सीख लेनी चाहिए कि जीवन में ऊंचे लक्ष्य रखने चाहिए, लेकिन जमीन से जुड़े रहना भी जरूरी है। उन्होंने माथुर को सिक्किम का राज्यपाल नियुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार व्यक्त किया। राजे ने कहा कि माथुर प्रधानमंत्री के करीबी हैं और उन्होंने छत्तीसगढ़ में भाजपा को जीत दिलाकर असंभव को संभव कर दिखाया है।
कुछ लोग राज्यपाल के पद को कमजोर समझते हैं-वसुंधरा राजे
जयपुर के बिड़ला सभागार में हुए इस कार्यक्रम के दौरान राजे ने कहा कि कुछ लोग राज्यपाल के पद को कमजोर समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘विपक्षी कुछ भी कहें , लेकिन गवर्नर रबर स्टांप नहीं होता है। फिर जैसा घुड़सवार होगा घोड़ा वैसे ही दौड़ेगा। माथुर कुशल घुड़सवार हैं। जिन्हें लगाम खींचना और चाबुक चलाना अच्छे से आता है’। राजे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ किया है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोकने का अधिकार रखते हैं। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि राज्यपाल किसी भी विधेयक को रोक सकता है। वह मंत्री परिषद की सलाह से काम तो करता हैं, लेकिन अनुच्छेद 166(2) के अनुसार उसका निर्णय ही अंतिम है।’ उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राज्यपाल की सिफारिश पर किसी भी राज्य सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है।
राजे ने आगे कहा कि ‘अनुच्छेद 356 में राज्यपाल की सिफ़ारिश पर किसी भी बहुमत की सरकार को हटा कर उस प्रदेश में सरकार के सारे अधिकार राज्यपाल को मिल जाते हैं। इसलिए राज्यपाल शक्ति रहित नहीं, शक्ति सहित होता है’। उन्होंने कहा कि देश में जैसे राष्ट्रपति होते हैं, वैसे ही राज्यों में राज्यपाल का पद होता है, ‘संविधान बनाते वक्त यह तय हुआ कि देश में जैसे राष्ट्रपति हैं, वैसे ही राज्य को गवर्न करने के लिए गवर्नर होंगे। इसलिए राज्य में गवर्नर ही सबसे शक्तिशाली होता है’।