SC on Sambhal Violence संभल मस्जिद विवाद मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने जिला प्रशासन को शांति बनाए रखने और कोई नया एक्शन नहीं लेने का निर्देश जारी किया है। सुनवाई के दौरान मुस्लिम और हिंदू पक्ष में जमकर बहस भी हुई।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संभल मस्जिद में सर्वे के बाद हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कई अहम निर्देश दिए हैं। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने जिला प्रशासन को शांति बनाए रखने और कोई नया एक्शन नहीं लेने का निर्देश जारी किया है।
ट्रायल कोर्ट को SC का निर्देश
- निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट से कहा कि वह चंदौसी स्थित शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमे में तब तक कोई कार्यवाही न करे, जब तक सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति द्वारा दायर याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध न हो जाए।
- कोर्ट ने इसी के साथ हाई कोर्ट को अपील के तीन दिन के अंदर सुनवाई करने को कहा है।
बहस में क्या-क्या कहा गया?
संभल मामले में जैसे ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई पीठ ने मस्जिद समिति के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी से कहा, “आपको सीधा सुप्रीम कोर्ट आने से पहले इस आदेश को चुनौती देने के लिए हाई कोर्ट जाना होगा। अभी यह उचित मंच नहीं है।” सीजेआई ने आगे कहा कि तब तक हम इस याचिका को लंबित रखेंगे और ट्रायल कोर्ट कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
मुस्लिम और हिंदू पक्ष ने क्या कहा?
- मुस्लिम पक्ष के वकील ने आगे कहा कि निचली अदालत का आदेश बड़ी गड़बड़ पैदा कर सकते हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए।
- इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश के बिना ट्रायल कोर्ट 8 जनवरी तक कोई कदम नहीं उठाएगा। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि आप 6 जनवरी को इसे फिर से सूचीबद्ध करें।
- वहीं प्रतिवादियों (संभल मुकदमे में वादी) की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने अदालत को सूचित किया कि ट्रायल कोर्ट की अगली कार्यवाही 8 जनवरी को निर्धारित की गई है।
मुस्लिम पक्ष बोला- एक और गुहार सुन लीजिए
कोर्ट के आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष के वकील ने अनुरोध किया कि एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगाई जाए।
इस पर सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती है। हालांकि, उन्होंने आदेश में कहा कि एडवोकेट कमिश्नर द्वारा पेश की गई रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखा जाए