बेस रेट और बीपीएलआर बैंक के पुराने बेंचमार्क हैं जिनके आधार पर बैंक लोगों को लोन देता है। नए लोन एक्सटर्नल बेंचमार्क बेस्ड लैंडिंग रेट (EBLR) या रेपो रेट लिंक्ड रेट (RLLR) के आधार पर दिए जाते हैं। बेस रेट और बीपीएलआर में बढ़ोतरी से उन लोगों की किस्त बढ़ जाएगी, जिनका लोन इन बेंचमार्क से जुड़ा है। बीपीएलआर को फंड्स की औसत लागत के आधार पर कैलकुलेट किया जाता था। इसमें पारदर्शिता की कमी थी। यही वजह है कि आरबीआई साल 2010 में बेस रेट लाया था। बेस रेट वह न्यूनतम ब्याज दर होती है जिस पर बैंक लोन दे सकते हैं। इससे नीचे के रेट पर लोन नहीं दिया जा सकता है। अप्रैल 2016 में आरबीआई ने बेस रेट की जगह मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड (MCLR) पेश किया था।
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बैंकों ने महंगा किया लोन
एमसीएलआर किसी वित्तीय संस्थान यानी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन के लिए एक इंटरनल बेंचमार्क है। MCLR प्रोसेस में लोन के लिए मिनिमम ब्याज दर तय की जाती है। MCLR एक न्यूनतम ब्याज दर है, जिस पर बैंक लोन दे सकता है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने एक बार फिर लोन (SBI interest rate) महंगे कर दिया है। एसबीआई ने हाल में सभी टेन्योर के लिए एमसीएलआर (MCLR) में 0.10 फीसदी का इजाफा किया था। बैंक इस साल दो बार MCLR में इजाफा कर चुका है। आरबीआई (RBI) ने हाल में छठी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। इसके बाद कई बैंकों ने लोन महंगा कर दिया है।