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Supreme Court: ‘विधवा के मेकअप पर पटना हाईकोर्ट की टिप्पणी अत्यधिक आपत्तिजनक’, सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी

Byadmin

Sep 26, 2024


सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक विधवा और मेकअप सामग्री से जुड़ी हाई कोर्ट की टिप्पणी को अत्यधिक आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि यह अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है। हाई कोर्ट ने पांच लोगों की दोषसिद्धि बरकरार रखी और दो सह-आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट का निर्णय रद कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक विधवा और मेकअप सामग्री से जुड़ी हाई कोर्ट की टिप्पणी को अत्यधिक आपत्तिजनक बताते हुए कहा कि यह अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है। अदालत एक हत्या मामले में पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।

हाई कोर्ट ने पांच लोगों की दोषसिद्धि बरकरार रखी और दो सह-आरोपितों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट का निर्णय रद कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

पीठ ने कही ये बात

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस सवाल की जांच की थी कि क्या मृतका वास्तव में उस घर में रह रही थी जहां से उसके अपहरण का आरोप लगाया गया था। मृतका के मामा और बहनोई के साथ-साथ जांच अधिकारी की गवाही पर भरोसा करते हुए कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला था कि वह उसी घर में रह रही थी।

घर की जांच में कुछ मेकअप से जुड़े सामान के अलावा कोई प्रत्यक्ष सामग्री नहीं जुटाई गई, जिससे पता चले कि वह वास्तव में वहीं रह रही थी। एक विधवा भी घर के उसी हिस्से में रहती थी। पीठ ने कहा कि अदालत ने विधवा वाले तथ्य पर ध्यान तो दिया, लेकिन यह कहकर छुटकारा पा लिया कि चूंकि दूसरी महिला विधवा थी इसलिए मेकअप का सामान उसका नहीं हो सकता, क्योंकि विधवा होने के कारण उसे मेकअप की कोई आवश्यकता नहीं थी।

हाईकोर्ट की टिप्पणी असमर्थनीय

पीठ ने कहा कि हमारी राय में हाई कोर्ट की टिप्पणी न केवल कानूनी रूप से असमर्थनीय है, बल्कि अत्यधिक आपत्तिजनक भी है। इस तरह की व्यापक टिप्पणी अदालत से अपेक्षित संवेदनशीलता और तटस्थता के अनुरूप नहीं है। केवल कुछ मेकअप सामग्रियों की मौजूदगी इस बात का निर्णायक सबूत नहीं हो सकती है कि मृतका घर में रह रही थी, वो भी तब जब कोई अन्य महिला वहां रह रही थी।

पीठ ने कहा कि मेकअप सामग्री को पूरी तरह से अस्वीकार्य तर्क के आधार पर और बिना किसी पुष्ट सामग्री के मृतका के साथ जोड़ा गया था। पूरे घर से कपड़े और जूते जैसे कोई निजी सामान नहीं मिले।

अगस्त 1985 में मुंगेर जिले में मृत्यु के बाद उसके बहनोई ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि सात लोगों ने घर से उसका अपहरण कर लिया था। प्राथमिकी दर्ज करने के बाद सात आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया।

ट्रायल कोर्ट ने पांच को दोषी ठहराया और अन्य दो बरी कर दिया। हत्या साबित करने के लिए रिकार्ड पर कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने सातों आरोपितों को सभी आरोपों से बरी कर दिया

पीठ ने आगे कहा कि जहां तक मकसद का संबंध है, हमारा यह कहना पर्याप्त होगा कि मकसद का महत्व तभी है जब रिकार्ड पर मौजूद सबूत अपराधों को साबित करने के लिए पर्याप्त हों। मौलिक तथ्यों से जुड़े सबूत के बिना, सिर्फ मकसद की मौजूदगी के आधार पर अभियोजन प्रक्रिया सफल नहीं हो सकती है। इन टिप्पणियों के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सातों आरोपितों को सभी आरोपों से बरी कर दिया और निर्देश दिया कि अगर वे हिरासत में हैं तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।

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