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women reservation will be implemented in 2029 what says norms

Byadmin

Sep 19, 2023


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महिला आरक्षण बिल लोकसभा में पेश हो चुका है। अगर बिल पास होता है तो करीब तीन दशकों के संघर्ष के बाद संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का रास्ता खुलने वाला है। हालांकि बिल में प्रस्तावित कानून के मुताबिक इसके लिए 2029 तक इंतजार करना पड़ेगा। विधेयक के कानून बनने के बाद पहले परिसीमन होगा, इसके बाद ही महिला आरक्षण कोटा लागू किया जा सकता है। गौरतलब है कि परिसीमन अगली जनगणना के बाद ही होगा और जनगणना 2027 में होने के आसार हैं। 2002 में संशोधित अनुच्छेद 82 के मुताबिक परिसीमन प्रक्रिया 2026 के बाद हुई पहली जनगणना के आधार पर की जा सकती है। 

2021 में कोविड के चलते नहीं हो सकी थी जनगणना

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मूल रूप से, 2026 के बाद पहली जनगणना 2031 में की जानी थी, जिसके बाद परिसीमन होगा। हालांकि यह जनगणना 2021 में होनी थी, लेकिन कोविड के चलते देरी हुई। इसलिए अब यह 2027 में हो सकती है। वहीं, जल्द परिसीमन के लिए, अनुच्छेद 82 में संशोधन करना होगा। उधर, दक्षिणी राज्य तत्काल परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ हैं। महिला आरक्षण बिल ऐक्ट बनने के बाद 15 साल तक लागू रहेगा, लेकिन इसका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। खास बात यह है कि प्रत्येक परिसीमन के बाद महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों को बदल दिया जाएगा। छह पेज के विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी और उन्हें प्रत्यक्ष चुनाव से भरा जाएगा। साथ ही यह कोटा राज्यसभा या राज्य विधान परिषदों पर लागू नहीं होगा। कोटे के भीतर, एक तिहाई सीटें अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए होंगी।

ओबीसी के लिए आरक्षण नहीं

विधेयक में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के लिए आरक्षण शामिल नहीं है, क्योंकि विधायिका के लिए ऐसा प्रावधान मौजूद नहीं है। यह वह मांग थी जिसे लेकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) जैसे दलों ने दशकों तक महिला कोटा विधेयक का विरोध किया। यह विधेयक 2010 में तैयार किए गए महिला आरक्षण विधेयक के समान है, जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। नए बिल में एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए कोटा लाने के लिए केवल दो संशोधनों को हटा दिया गया है।

विधेयक सक्षम लेकिन…

विधेयक में कहा गया है कि महिला कोटा विधेयक के प्रावधान निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या पुनर्निर्धारण के बाद प्रभावी होंगे। प्रभावी रूप से, नया विधेयक एक सक्षम प्रावधान है, एक कदम आगे है, लेकिन परिसीमन अधिनियम के लिए एक अलग विधेयक और अधिसूचना की जरूरत होगी। विधेयक में कहा गया है कि अनुच्छेद 239ए, 330ए और 332ए के प्रावधानों के अधीन रहते हुए लोक सभा, किसी राज्य की विधानसभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधानसभा में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटें उस तारीख तक जारी रहेंगी, जो संसद कानून द्वारा निर्धारित करे। 

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