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Women’s Safety: महिला की सुरक्षा के लिए जरूरी है परवरिश में बदलाव, सिर्फ कानून नहीं; समाज को भी निभाना होगा फर्ज

Byadmin

Sep 3, 2024


 डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। महिला सुरक्षा के मुद्दे का समाधान केवल कानून के माध्यम से संभव नहीं है। इसके लिए समाज के प्रत्येक सदस्य को अपनी भूमिका समझनी होगी। सबसे पहले, लड़कियों और लड़कों दोनों को समानता और सम्मान के मूल्य सिखाने की जरूरत है। यह शिक्षा न केवल परिवार में, बल्कि स्कूलों और कॉलेजों में भी दी जानी चाहिए।

इसके अलावा, महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। उन्हें यह पता होना चाहिए अगर वे किसी तरह की हिंसा का सामना करती हैं तो क्या कदम उठा सकती हैं। समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है।

पितृसत्तात्मक सोच को खत्म करने के लिए सांस्कृतिक और सामाजिक परिवर्तन आवश्यक हैं। इसके लिए फिल्मों, टीवी कार्यक्रमों, और अन्य माध्यमों के जरिए महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिए।

महिला अपराध के प्रति संवेदनशीलता जरूरी

महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति समाज की संवेदनशीलता बढ़ाई जानी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि महिलाएं अगर किसी अपराध की रिपोर्ट करती हैं तो उन्हें ही दोषी ठहराया जाता है। इस मानसिकता को बदलने की आवश्यकता है।  

कानून का सख्ती से पालन और त्वरित न्याय महिलाओं की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि महिलाएं बिना किसी डर के अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें।

कानून बनाने और उन्हें लागू करने के बीच के अंतर को खत्म करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। महिला सुरक्षा एक जटिल और बहुआयामी मुद्दा है, जिसे केवल कानून, शिक्षा या समाज के किसी एक हिस्से के प्रयास से हल नहीं किया जा सकता। इसके लिए एक समग्र और सामूहिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।  

महिला सुरक्षा में सभी का हो समान योगदान

समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका समझनी होगी और महिलाओं के प्रति सम्मान और समानता का दृष्टिकोण अपनाना होगा। तभी हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं, जहां महिलाएं वास्तव में सुरक्षित महसूस कर सकें और अपने सपनों को साकार कर सकें। महिला सुरक्षा के इस संघर्ष में समाज, सरकार, और कानून सभी का समान रूप से योगदान आवश्यक है।

जब तक हम सभी मिलकर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाते, तब तक महिला सुरक्षा का सपना अधूरा ही रहेगा। समाज को बदलना एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है, जिसमें कई कारकों का योगदान होता है। हालांकि, यह एक आवश्यक कदम है ताकि समाज अधिक न्यायपूर्ण, समावेशी और प्रगतिशील बन सके।

समाज में बदलाव लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण उपकरण शिक्षा है। स्कूलों और कालेज में बच्चों और युवाओं को समानता, मानवाधिकार, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक न्याय के बारे में शिक्षित किया जाना चाहिए।

शिक्षा केवल अकादमिक नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसमें नैतिक और सामाजिक मूल्यों का समावेश होना चाहिए। बच्चों को शुरू से ही ईमानदारी, समानता, और सहिष्णुता के मूल्यों की शिक्षा दी जानी चाहिए।

फ़िल्‍में और टीवी शो बनाते वक्‍त बरतें सावधानी

मीडिया और मनोरंजन समाज पर गहरा प्रभाव डालते हैं। फिल्मों, टीवी शो, और सोशल मीडिया पर सकारात्मक और सशक्त कंटेंट का प्रसार होना चाहिए। ये माध्यम समाज में मौजूद रूढ़ियों को चुनौती देने और जागरूकता फैलाने का एक शक्तिशाली साधन हो सकते हैं। मीडिया और इंटरनेट मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों और नकारात्मक कंटेंट का सामना करना जरूरी है।

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इसके लिए डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना और लोगों को सचेत करना आवश्यक है।  सरकार को समाज की बदलती जरूरतों के हिसाब से प्रगतिशील नीतियां बनानी चाहिए। इनमें समानता, रोजगार, शिक्षा, और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार लाने वाली नीतियां शामिल होनी चाहिए।

सामाजिक बदलाव के लिए प्रभावी कानूनों की आवश्यकता होती है। केवल कानून बनाना ही नहीं, बल्कि उनका सही तरीके से कार्यान्वयन भी सुनिश्चित करना आवश्यक है।

इससे समाज में अनुशासन और नैतिकता को बढ़ावा मिलता है। पितृसत्तात्मक सोच,और लैंगिक भेदभाव जैसी रूढ़िवादी धारणाओं को बदलना जरूरी है।

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(सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य विजन कुमार पाण्डेय से बातचीत)

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