- Author, ख़ुर्रम हबीब
- पदनाम, खेल पत्रकार, बीबीसी हिंदी के लिए
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भारतीय महिला टीम ने कुआलालंपुर में फ़ाइनल में दक्षिण अफ़्रीका को नौ विकेट से हराकर अपना आईसीसी अंडर-19 टी20 विश्व कप ख़िताब बरकरार रखा है.
इस जीत का मतलब है कि भारत टूर्नामेंट से अपराजित लौटा है और कुछ शीर्ष खिलाड़ियों ने अपने खेल से यह सुनिश्चित किया कि उनका कोई भी प्रतिद्वंद्वी उन्हें परेशान करने के क़रीब भी न आए.
फ़ाइनल में, भारत ने दक्षिण अफ़्रीका की महिलाओं को 20 ओवरों में सिर्फ़ 82 रनों पर ऑलआउट कर दिया, जिसमें पार्ट-टाइम लेग स्पिनर गोंगाडी तृषा ने 3/15 और बाएं हाथ की स्पिनर परुनिका सिसोदिया (2/6), आयुषी शुक्ला (2/9) और वैष्णवी शर्मा (2/23) ने दो-दो विकेट लिए.
जवाब में उन्होंने 11.2 ओवर में लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत हासिल की, जिसमें गोंगाडी तृषा ने नाबाद 44 और सानिका चालके ने नाबाद 26 रन बनाए. इससे पहले भारत ने 2023 का एडिशन जीता था.
दक्षिण अफ़्रीकी टीम टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 82 रन पर ऑलआउट हो गई. टीम की ओर से मिक वान वूर्स्ट ने सबसे ज़्यादा 23 रन बनाए.
पूरी अफ़्रीकी टीम मैच के दौरान रन के लिए संघर्ष करते दिखी.
भारतीय गेंदबाज़ों ने किफ़ायती गेंदबाज़ी करते हुए न सिर्फ़ रन रोके, बल्कि सही अंतराल पर विकेट भी निकाले.
गेंदबाज़ी में भी दक्षिण अफ़्रीकी टीम कोई कमाल नहीं दिखा सकी और मैच हार गई. भारतीय बल्लेबाज़ों ने आक्रामक बल्लेबाज़ी की और महज़ 52 गेंद शेष रहते ही जीत हासिल कर ली.
इससे पहले भारत ने 2023 का एडिशन जीता था.
2025 एडिशन में भारत की जीत टीम के तीन बाएं हाथ के स्पिनरों – वैष्णवी, आयुषी और पारूणिका के प्रदर्शन पर आधारित है.
वैष्णवी और आयुषी दोनों क्रमशः 17 और 14 विकेट के साथ टूर्नामेंट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वालों की सूची में शीर्ष दो के रूप में वापसी की है, जबकि भारत ही की पारूणिका 10 के साथ सूची में चौथे स्थान पर हैं.
गोंगाडी तृषा 305 रनों के साथ टूर्नामेंट की सबसे ज़्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं, जबकि उनकी साथी सलामी बल्लेबाज़ जी कमलिनी 143 रनों के साथ दूसरे स्थान पर रहीं.
त्रिशा 2023 के एडिशन का भी हिस्सा थीं
उनके साथ फ़ास्ट बॉलर शबनम शकील और सोनम यादव ने भी 2023 वर्ल्ड कप में भाग लिया था. तृषा ने इस बार स्कॉटलैंड के ख़िलाफ़ नाबाद 110 रन बनाए. उसके अलावा हर बार उनकी अच्छी शुरुआत रही.
सिर्फ एक मैच में वो फेल हुई थीं और वो पहला मैच था वेस्ट इंडीज के ख़िलाफ़. उसके बाद उन्होंने नाबाद 27, 49 , 40 , नाबाद 110, 35 और 44 नाबाद रन बनाए.
वैष्णवी ने पहले ही मैच में पांच विकेट पांच रन देकर लिए और उसके बाद तीन-तीन विकेट तीन बार लिए. उन्होंने पांच विकेट के प्रदर्शन में एक हैट्रिक भी ली थी.
आयुषी का सबसे अच्छा प्रदर्शन स्कॉटलैंड के ख़िलाफ सुपर सिक्स मैच में रहा, जिसमें उन्होंने चार विकेट लिए थे. उसके अलावा उन्होंने मलेशिया के ख़िलाफ़ तीन विकेट लिए थे.
पारुणिका का सबसे शानदार प्रदर्शन सेमी फ़ाइनल और टूर्नामेंट के पहले मैच में रहे थे, जिनमे उन्होंने 3-3 विकेट लिए थे.
सभी खिलाड़ियों के प्रदर्शन से यह साबित होता है कि इंडियन टीम ने हर तरह से दबदबा बनाया है.
इंडिया ने पहले मैच में वेस्ट इंडीज को नौ विकेट से हराया, फिर मलेशिया को 10 विकेट से और श्रीलंका को 60 रन से हराया.
इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश को आठ विकेट से, सुपर सिक्स में स्कॉटलैंड को 150 रन से हराया और फिर सेमी फ़ाइनल में इंग्लैंड को नौ विकेट से हराया.
आंध्र प्रदेश के भद्राचलम की तृषा ने दो साल की उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था.
जब दाएं हाथ की यह बल्लेबाज़ नौ साल की हुईं, तब वह हैदराबाद की टीम के लिए अंडर-16 में खेल रही थीं और फिर जल्द ही अंडर-23 में पहुंच गईं. फिर इन्होंने साउथ ज़ोन का प्रतिनिधित्व किया.
इएसपीएनक्रिकइंफो को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मुझे क्रिकेट के बारे में अपने पिता के ज़रिए पता चला, उस समय मैं मुश्किल से समझ पाती थी कि क्रिकेट क्या होता है.”
न सिर्फ तृषा बल्कि वैष्णवी शर्मा, जो सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली गेंदबाज़ बनीं, उन्होंने भी बहुत कम उम्र में ही अपनी प्रतिभा दिखाई.
ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में ज्योतिष के प्रोफ़ेसर उनके पिता नरेंद्र शर्मा ने उन्हें चार साल की उम्र में क्रिकेट से परिचित कराया.
वैष्णवी के पिता ग्वालियर से ज्योतिष में पीएचडी करने वाले पहले व्यक्ति थे.
नरेंद्र शर्मा ने बीबीसी हिंदी से कहा, “सितारों का अध्ययन करके मुझे एहसास हुआ कि वह खेल के लिए बनी है और क्रिकेट उसका खेल है.”
“मैंने उसे चार साल की उम्र से ही क्रिकेट सिखाना शुरू कर दिया था. हम उसे क्रिकेट के लिए समर कैंप में ले जाने लगे. फिर हमने उसे तानसेन क्रिकेट अकादमी में डाल दिया, जहाँ से वह ग्वालियर डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन के लिए खेलने लगी.”
स्पिन बॉलिंग चुनने के लिए उसे प्रेरित करने वाली बात बताते हुए नरेंद्र शर्मा ने कहा कि उन्होंने उसे पहले दूर से और फिर दो कदम से दौड़ाकर परखा था.
उन्होंने लिखा, “जब वह सिर्फ़ दो कदम से दौड़ी तो उसने बेहतर प्रदर्शन किया. जब हमारी लड़की 8-10 साल की थी, तो जीडीसीए प्रतियोगिता में उसका प्रदर्शन शानदार था. अधिकारी प्रभावित हुए. सभी बल्लेबाज़ उसके सामने संघर्ष करते रहे. ज़्यादातर दूसरे उससे 3-4 साल बड़े थे. 18 वर्षीय लड़की ने 2017 में सिर्फ़ 11 साल की उम्र में मध्य प्रदेश के लिए अंडर-16 में डेब्यू किया.”
वहीं वैष्णवी शर्मा के कोच लवकेश चौधरी कहते हैं कि वह आर्मर बॉल बहुत अच्छी तरह से फेंकती है और बहुत सटीक बोलिंग करती हैं.
वो कहते हैं, “विकेट-टू-विकेट बॉलिंग करती हैं और एक बेहतरीन फील्डर हैं. वह ग्वालियर में अंतर-क्लब स्तर पर सीनियर लड़कों के बीच खेलती हैं. इस साल मध्य प्रदेश राज्य चैंपियन बना और वह सीनियर टीम का हिस्सा थी.”
17 वर्षीय आयुषी का क्रिकेट से परिचय संयोगवश हुआ था. उनके पिता लालजी शुक्ला इंदौर में पंडित हैं, जो धार्मिक काम करते हैं.
वो बताते हैं कि करीब 8-9 साल पहले पूर्व भारतीय महिला क्रिकेटर संध्या अग्रवाल (जिनकी बहन का निधन हो गया था) के साथ इंदौर से उज्जैन एक अनुष्ठान के लिए जाते समय, उनके मन में पहली बार उनकी बेटी के लिए क्रिकेट का विचार आया.
वो कहते हैं, “हम बात कर रहे थे और संध्या ने पूछा- ‘पंडितजी, आपके कितने बच्चे हैं.’ मैंने कहा- ‘मेरे तीन बेटे और एक बेटी है. मैंने उन्हें बताया कि मेरी लड़की सिर्फ नौ साल की है. तो इसपर उसने कहा- ‘आप लड़की को क्रिकेट क्यों नहीं खिलाते’. मैंने कहा- ‘मुझे क्रिकेट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. मैं देखता हूं लेकिन यह नहीं जानता कि इसे कैसे खेला जाता है.’ उन्होंने ही मुझसे आयुषी को किसी क्रिकेट अकादमी में डालने के लिए कहा था.”
आयुषी के निजी कोच देवाशीष निलोसे कहते हैं कि वह एक बेहतरीन बल्लेबाज़ हैं और अच्छी फील्डर भी हैं.
उनका कहना है कि “वह जिस भी टीम में खेलती है, उसमें संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है.”
वो कहते हैं, “जब वह चार-पांच साल पहले मेरे पास आई थी, तब वह बहुत छोटी थी. तीन साल में उसने अपने खेल में काफी सुधार किया है. वह 17 साल की है, लेकिन उसका मच्योरटी लेवल हाई है. उसके पास विविधता है और वह बहुत सटीक बाल डालती है. बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और फील्डिंग की अपनी क्षमता के कारण वह हर टीम में संतुलन लाती है.”
आयुषी ट्रेनिंग के लिए इंदौर के देवगुराड़िया में अपने घर से अकादमी जिमखाना क्लब तक 24 किलोमीटर, 12 किलोमीटर दोनों ओर साइकिल चलाती थी. ऐसा उसने देढ़ साल तक किया.
19 वर्षीय पारुणिका सिसोदिया इन सितारों में से एकमात्र ऐसी हैं जिनके परिवार के बैकग्राउंड में क्रिकेट था.
दिल्ली की इस लड़की के पिता एक क्रिकेट कोच हैं. पारुणिका खुद एक टेनिस खिलाड़ी हुआ करती थीं और अंडर-12 स्तर पर अखिल भारतीय रैंकिंग में शीर्ष 30 तक पहुंच गई थीं.
यमुना स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में अपनी टेनिस ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, वह हर दिन अपने पिता के पास जाती थीं, जो उसी कॉम्प्लेक्स में उभरते क्रिकेटरों को कोचिंग देते थे.
राजधानी के गार्गी कॉलेज में आरपी क्रिकेट अकादमी में आजकल ट्रेनिंग कर रही पारुणिका ने कहा, “मैं टेनिस के बाद फिटनेस के लिए पिताजी के पास जाती थी और वहीं मेरी क्रिकेट में रुचि पैदा हुई. फिर मैंने धीरे-धीरे क्रिकेट खेलना शुरू किया और मुझे एहसास हुआ कि मैं इसमें अपना करियर बना सकती हूं.”
उनके पिता सुधीर कहते हैं, “उसे लॉन टेनिस खेलना पसंद था. एक घंटे की टेनिस क्लास करने के बाद वह मेरे पास आकर बैठती थी. मैंने उससे कहा कि खाली बैठने के बजाय तुम्हें क्रिकेट में कुछ करना चाहिए.”
अकादमी में उनके कोच अजय वर्मा कहते हैं कि उनमें बचपन से ही प्रतिभा थी.
वो कहती हैं, “जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे लगा कि वह एक अद्भुत प्रतिभा है. हवा में और विकेट पर उसकी गति अच्छी थी और उसकी उम्र के हिसाब से यह अच्छा था. बल्लेबाज़ों के पास उसे खेलने के लिए बहुत कम समय था. यही कारण है कि उसे जूनियर टीमों में सफलता मिलनी शुरू हो गई.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित