राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहा इंडो–यूके संयुक्त सैन्य अभ्यास अजेय वॉरियर–25 उच्च पेशेवर स्तर पर आगे बढ़ रहा है। भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट और यूके आर्मी का दल एक संयुक्त राष्ट्र जनादेश के तहत इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने के लिए केंद्रित प्रशिक्षण गतिविधियां कर रहा है।
फायरिंग अभ्यास से लेकर वास्तविक युद्ध स्थितियों की नकल तक
अभ्यास में दोनों देशों की टुकड़ियों ने विभिन्न कठिन और तकनीकी गतिविधियां पूरी की हैं, जिनमें फायरिंग प्रैक्टिस, रिफ्लेक्स शूटिंग, रॉकेट लॉन्चर फायरिंग, स्नाइपर और मीडियम मशीन गन (MMG) ड्रिल्स शामिल हैं। इसके साथ ही वास्तविक युद्ध स्थितियों की नकल करते हुए परिदृश्य-आधारित एंगेजमेंट भी किए गए, जिनसे सैनिकों की निर्णय क्षमता और प्रतिक्रिया समय में सुधार हुआ।
IED निष्क्रियकरण और रणनीतिक अध्ययन से बढ़ी समझ
संयुक्त टीमों ने IED निष्क्रियकरण पर सत्र किए, जिनमें टैक्टिक्स, टेक्नीक्स और प्रोसीजर्स (TTPs), सर्वश्रेष्ठ प्रथाएं और समकालीन परिचालन चुनौतियों पर केस स्टडीज शामिल रहीं। इन सत्रों ने सैनिकों की सामरिक समझ और जटिल स्थितियों में कार्य करने की क्षमता को मजबूत किया।
#WATCH | The Indo-UK Joint Military Exercise AJEYA WARRIOR-25, currently underway at the Mahajan Field Firing Ranges, Rajasthan, continues to progress with high professional intensity as troops from the Indian Army’s Sikh Regiment and the UK Army engage in a focussed training… pic.twitter.com/rSWceHLpSl
— ANI (@ANI) November 25, 2025
शहरी एवं अर्ध-शहरी युद्ध अभ्यास में तालमेल का प्रदर्शन
अभ्यास के दौरान हाउस और रूम इंटरवेंशन, काफिला सुरक्षा, रोड ओपनिंग पेट्रोल जैसे शहरी और अर्ध-शहरी युद्ध कौशलों का प्रदर्शन किया गया। दोनों सेनाओं ने पूरी सटीकता और तालमेल के साथ इन अभियानों को अंजाम दिया, जिससे संयुक्त ऑपरेशन क्षमता और अधिक मजबूत हुई।
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हेलिबोर्न ऑपरेशन और स्लिदरिंग तकनीक का भी अभ्यास
ALH और Mi-17 हेलीकॉप्टरों से स्लिदरिंग और छोटे दलों के हेलिबोर्न ऑपरेशन ने सैनिकों की इनसर्शन और एक्सट्रैक्शन क्षमता को निखारा। ये कौशल विशेष रूप से काउंटर-टेरर ऑपरेशनों में अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
शारीरिक प्रशिक्षण और आधुनिक हथियारों का प्रदर्शन
दैनिक योग सत्र, फिजिकल ट्रेनिंग, बैटल ऑब्स्टेकल कोर्स और 5 से 10 मील की बैटल लोड एंड्योरेंस रन ने सैनिकों की शारीरिक सहनशक्ति और टीमवर्क को मजबूत किया है। दोनों सेनाओं द्वारा आधुनिक हथियारों और नई पीढ़ी के उपकरणों का प्रदर्शन भी किया गया, जिससे एक-दूसरे की क्षमताओं को समझने में सहायता मिली।