कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नेता के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है. अब वो अगला नया नेता चुने जाने तक देश के प्रधानमंत्री पद पर रहेंगे.
इसका मतलब ये है कि अब उनकी पार्टी को आम चुनाव में जाने से पहले एक नया नेता चुनना होगा.
हालांकि, चुनाव को लेकर आ रहे सर्वे में उनकी पार्टी हार की ओर बढ़ती दिख रही है.
ट्रूडो के इस्तीफ़े के साथ ही देश के प्रधानमंत्री पद और लिबरल पार्टी के नए नेता के लिए कई नाम सामने आ रहे हैं.
इनमें पूर्व उप-प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड से लेकर विदेश मंत्री मेलनी जोली के नाम शामिल हैं.
ऐसे सात नाम चल रहे हैं जो देश के अगले प्रधानमंत्री हो सकते हैं इनमें सबसे दिलचस्प नाम देश की परिवहन मंत्री अनीता आनंद का है.
कौन हैं अनीता आनंद
भारतीय मूल की अनीता आनंद के माता-पिता 60 के दशक में नाइजीरिया से कनाडा के नोवा स्कोशिया के केंटविल में बस गए थे.
अनीता के माता-पिता पेशे से चिकित्सक थे, उनकी दो बहनें और हैं. उन्होंने ऑक्सफ़र्ड और क्वींस यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और डलहौज़ी यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली. इसके अलावा उन्होंने टोरंटो यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर्स किया.
इसके बाद उन्होंने टोरंटो यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने येल, क्वींस और वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में भी लॉ पढ़ाया है.
अनीता को लिबरल पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गुट में सबसे अधिक महत्वाकांक्षी सदस्यों में से एक माना जाता है.
57 साल की अनीता की राजनीति में एंट्री साल 2019 में हुई. टोरंटो के बाहर ओकविल से वो सांसद चुनी गईं. नवंबर 2019 से लेकर अक्तूबर 2021 तक वो सार्वजनिक सेवाओं और ख़रीद मामलों की मंत्री रहीं.
पहली हिंदू महिला सांसद
सांसद चुने जाने के तुरंत बाद वो मंत्री बनीं और उनके सामने कोविड-19 महामारी की चुनौती थी. इस दौरान उन्हें वैक्सीन और पीपीई किट सुरक्षित रखने के मिशन की कमान सौंपी गई.
अनीता आनंद के काम को देखते हुए उन्हें साल 2021 में रक्षा मंत्रालय की कमान सौंपी गई. इस दौरान उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में कनाडा की यूक्रेन को मदद मुहैया कराने की चुनौतियों का नेतृत्व किया.
साथ ही अनीता को कनाडा के सैन्य बलों में यौन दुर्व्यवहार के स्कैंडल्स के संकट से भी गुज़रना पड़ा.
एकाएक अनीता आनंद को रक्षा मंत्रालय से हटाकर ट्रेज़री बोर्ड को संभालने के लिए भेज दिया गया. इस फ़ैसले को अनीता आनंद का ओहदा कम किए जाने से भी जोड़कर देखा गया जबकि ट्रूडो के आलोचकों का आंकलन था कि ये पार्टी का नेतृत्व करने की उनकी महत्वाकांक्षा की सज़ा थी.
दिसंबर में मंत्रिमंडल में बदलाव के बाद एक बार फिर उनका मंत्रालय बदला गया और इस बार उन्हें परिवहन मंत्री और आंतरिक व्यापार मंत्री की ज़िम्मेदारी दी गई.
ये चेहरे भी हैं मैदान में
अनीता आनंद भले ही लिबरल पार्टी के नेता की दौड़ में शामिल हों लेकिन वो इस रेस में टॉप पर नहीं हैं.
इस दौड़ में कनाडा की पूर्व उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ़्रीलैंड को सबसे आगे माना जा रहा है. टोरंटो से सांसद क्रिस्टिया ट्रूडो की टीम में अब तक का सबसे जाना-पहचाना चेहरा रह चुकी हैं.
वो पार्टी के इनर सर्कल में वरिष्ठ नेताओं की सबसे विश्वस्त भी हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय से हुए मतभेदों के कारण उन्होंने दिसंबर में अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
क्रिस्टिया ने अपने सार्वजनिक इस्तीफ़े में ट्रूडो की आलोचना की थी जिसके बाद से उन पर दबाव था और माना जा रहा था कि उनका जाना तय है.
अलबर्टा के पश्चिमी प्रांत में एक यूक्रेनी मां की संतान क्रिस्टिया की आयु 56 वर्ष है और राजनीति में आने से पहले वो पत्रकार थीं.
साल 2013 में वो संसद में पहुंचीं और दो साल बाद ट्रूडो की कैबिनेट में शामिल हुईं.
विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने अमेरिका और मेक्सिको के साथ मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत में कनाडा की मदद की. इसके बाद उन्हें उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्रालय का पद दिया गया.
ये पद संभालने वालीं वो कनाडा की पहली महिला थीं और उन्होंने कोविड महामारी के दौरान कनाडा के वित्तीय प्रबंधन को देखा.
पूर्व बैंकर की क्यों हो रही है चर्चा
बैंक ऑफ़ कनाडा और बैंक ऑफ़ इंग्लैंड के प्रमुख रह चुके मार्क कार्नी को काफ़ी अरसे से ट्रूडो अपना वित्त मंत्री बनाना चाहते थे.
जुलाई 2024 में नेटो कॉन्फ़्रेंस से इतर ट्रूडो ने पत्रकारों से कहा था कि उनका होना बेहद शानदार हो सकता है वो भी तब जब कनाडाई लोगों को अच्छे लोगों के राजनीति में आने की बेहद ज़रूरत है.
59 वर्षीय मार्क कार्नी ट्रूडो के विशेष सलाहकार रह चुके हैं. हालांकि उन्होंने आज तक कोई भी सार्वजनिक कार्यालय नहीं संभाला है लेकिन उनका एक मज़बूत आर्थिक बैकग्राउंड है.
अर्थव्यवस्था के साथ-साथ उनकी पर्यावरण मामलों पर भी गहरी पकड़ है क्योंकि वो जलवायु कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत रह चुके हैं.
इन दो चेहरों के बाद अनीता आनंद तीसरे पायदान पर हैं जो देश के शीर्ष पद पर पहुंच सकती हैं. जबकि अनीता के बाद पूर्व व्यापारी और केंद्रीय मंत्री फ़्रांस्वा फ़िलिप शैंपेन का नाम भी चर्चाओं में है.
54 वर्षीय शैंपेन साल 2015 में सांसद बने थे. इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विदेश मामलों का मंत्रालय संभाला और हाल ही में वो नवाचार, विज्ञान और उद्योग विभाग संभाल रहे हैं.
चर्चित चेहरा जो रेस में है
साल 2021 से ट्रूडो के बाद जो चेहरा विश्व पटल पर सबसे अधिक कनाडा का प्रतिनिधित्व करता रहा है वो मेलनी जोली का है.
45 साल की मेलनी जोली रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कनाडा का समर्थन दिखाने के लिए कई बार यूक्रेन की यात्रा कर चुकी हैं. इसराइल-हमास युद्ध के बाद क्षेत्र से कनाडाई नागरिकों को निकालने के लिए उन्होंने जॉर्डन की यात्रा की थी.
देश की कई बड़ी विदेश नीति चुनौतियों के दौरान जोली ही केंद्र में रहीं. सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत के साथ हुए राजनयिक संकट में जवाब देने के लिए ट्रूडो के बाद वो ही नज़र आती रही हैं.
ट्रूडो के नज़दीकी और भरोसेमंद साथी डोमिनिक लाब्लां को भी इस दौड़ में माना जा रहा है.
57 वर्षीय डोमिनिक की दोस्ती ट्रूडो से बेहद गहरी रही है और मुश्किल समय में वो उनकी मदद करने वाले के तौर पर जाने जाते हैं. वित्त मंत्री फ़्रीलैंड के चौंकाने वाले इस्तीफ़े के बाद ही उन्होंने ये पद संभाला था.
नवंबर में मार-आ-लागो में ट्रंप से ट्रूडो की मुलाक़ात कराने में लाब्लां ने बड़ी भूमिका निभाई थी.
ब्रिटिश कोलंबिया की पूर्व प्रीमियर क्रिस्टी क्लार्क को भी इस रेस में समझा जा रहा है.
59 वर्षीय क्रिस्टी ने अक्तूबर में एक बयान में कहा था कि वो लिबरल पार्टी के भविष्य की चर्चा का हिस्सा बनना चाहती हैं.
उन्होंने साल 2011 से लेकर 2017 तक कनाडा के सुदूर पश्चिमी प्रांत को संभाला है. इस दौरान उन्होंने ब्रिटिश कोलंबिया के ऊर्जा उद्योग को विकसित करते हुए पर्यावरण की प्राथमिकताओं में संतुलन बनाए रखने को लेकर उनकी ख़ासी तारीफ़ हुई.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित