डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने देहरादून में त्रिपुरा के एक छात्र की कथित तौर पर नस्लीय नफरत की वजह से हुई हत्या की निंदा करते हुए इसे राष्ट्रीय शर्म और समाज की अपनी विविधता का सम्मान करने में विफलता करार दिया।
उन्होंने एक्स पर एंजेल चकमा की मौत पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक दुखद घटना नहीं है बल्कि एक राष्ट्रीय शर्म है। उन्होंने लोगों से एक ऐसा समाज बनाने की अपील की जहां किसी भारतीय भी भारतीय को अपने ही देश में विदेशी जैसा महसूस न कराया जाए।
थरूर ने कहा, त्रिपुरा का एक युवा, एक गर्वित भारतीय, नस्लीय भेदभाव का शिकार हुआ। उसे ‘चीनी’ और ‘मोमो’ जैसे नामों से अपमानित किया गया और आखिरकार उसकी हत्या कर दी गई। उन्होंने कहा कि यह हत्या सिर्फ हिंसा की एक अकेली घटना नहीं थी बल्कि समाज की अज्ञानता पूर्वाग्रह और हमारे समाज की अपनी विविधता को पहचानने और उसका सम्मान करने में विफलता का नतीजा थी।
शर्मनाक है कि उत्तर भारत में नस्लवाद बढ़ रहा है- थरूर
उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला और बहुत शर्मनाक है कि उत्तर भारत में नस्लवाद बढ़ रहा है, जो अक्सर हल्के-फुल्के मजाक या सिस्टम की अनदेखी की आड़ में छिपा होता है। पूर्वोत्तर अपनी समृद्ध संस्कृति, भाषाओं और परंपराओं के साथ भारतीय पहचान का कोई दूर का हिस्सा नहीं है; यह इसका केंद्र है। फिर भी, इस क्षेत्र के लोगों को नियमित रूप से नस्लीय भेदभाव, बहिष्कार और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। यह खत्म होना चाहिए।
मीडिया को पूर्वोत्तर भारतीयों को गरिमा के साथ दिखाना चाहिए- थरूर
थरूर ने कहा कि हमें अनिल के लिए न्याय की मांग करनी चाहिए, न केवल अदालतों में, बल्कि देश की अंतरात्मा में भी। उनकी मौत को सिर्फ एक आंकड़ा या कुछ समय की हेडलाइन तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। यह शिक्षा, सहानुभूति और सुधार के लिए एक आंदोलन को जन्म देना चाहिए। स्कूलों को सभी भारतीय समुदायों के इतिहास और संस्कृतियों को पढ़ाना चाहिए। मीडिया को पूर्वोत्तर भारतीयों को गरिमा के साथ दिखाना चाहिए। और समाज को अपने पूर्वाग्रहों को छोड़ना होगा।
ऐसी घटनाएं अज्ञानता और पूर्वाग्रह को दर्शाती हैं- तेमजेन
नागालैंड के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग ने सोमवार को देहरादून में त्रिपुरा के एक छात्र पर हुए नस्लीय हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उत्तर पूर्वी राज्य भारत का एक अटूट और अभिन्न अंग हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले, हमें बोलने से पहले सोचना चाहिए। मैं पूरे समुदाय की निंदा नहीं कर सकता, लेकिन जिन लोगों ने यह किया है, वे बुद्धिजीवी नहीं हैं और उत्तर पूर्व के लोगों के बारे में कुछ नहीं जानते।
उन्होंने कहा कि किसी भी तरह से हम खुद को चीनी नहीं मानते हैं और किसी भी रूप में हम ‘मोमो’ नहीं हैं। मोमो एक डिश है; यह बहुत अच्छी होती है और उन्हें भी इसे खाना चाहिए। लेकिन हमारे प्रति यह रवैया गलत है।”