अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने कहा है कि 24 दिसंबर की रात पकतीका के बरमल ज़िले में पाकिस्तानी हवाई हमले में 46 लोग मारे गए हैं. इनमें ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.
बरमल ज़िला दक्षिणी वज़ीरिस्तान के वाना और रज़मक इलाक़ों के पास है. तालिबान अधिकारियों के अनुसार हमले में “वज़ीरिस्तान के शरणार्थियों को निशाना बनाया गया है.”
तालिबान के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने समाचार एजेंसी एएफ़पी को बताया कि पकतीका प्रांत के चार इलाक़ों को निशाना बनाया गया है.
तालिबान सरकार के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फ़ितरत ने भी कहा है कि मरने वालों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.
उन्होंने कहा, ”ये बड़े अफ़सोस की बात है कि कल रात पकतीका प्रांत के बरमल ज़िले में चार जगहों पर बमबारी की गई, जिसमें 46 लोग मारे गए. छह लोग घायल हुए. कई घर ध्वस्त हो गए. मरने वालों में ज़्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.”
पकतीका अस्पताल के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि 22 शवों और 46 घायलों को उनके स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाया गया है. इनमें से कुछ को बेहतर इलाज के लिए बेहतरीन उपकरणों से लैस अस्पतालों में भेजा गया है.
तालिबान सरकार के रक्षा मंत्रालय से जारी एक बयान में हमले की निंदा करते हुए इसे “बर्बर” बताया गया है.
इस बयान में कहा गया है, “पाकिस्तानी सेना की बमबारी में नागरिकों को निशाना बनाया गया, जिनमें ज़्यादातर वज़ीरिस्तान के शरणार्थी थे. हमले में बच्चों सहित कई नागरिक शहीद और घायल हो गए.”
बयान के मुताबिक़, ”अफ़ग़ानिस्तान के इस्लामी अमीरात का मानना है कि यह क्रूर कार्रवाई सभी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है और इसकी कड़ी निंदा की जाती है. पाकिस्तानी पक्ष को समझना चाहिए कि इस तरह की मनमानी कार्रवाई किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.”
“इस्लामी अमीरात इस क्रूर कार्रवाई का जवाब देगा. वह अपनी धरती और इलाके़ की रक्षा करना अपना अधिकार समझता है.”
पाकिस्तान इस घटना पर क्या कह रहा है?
पाकिस्तान की सरकार या सेना ने आधिकारिक तौर पर हमलों के बारे में कुछ नहीं कहा है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर संवाददाताओं से कहा कि उनकी सेना ने बरमल ज़िले में “आतंकवादियों” को मार गिराया.
अधिकारियों ने दावा किया कि उन्होंने एक प्रशिक्षण केंद्र को नष्ट कर दिया और हमलों में पाकिस्तानी तालिबान से जुड़े कई प्रमुख हथियारबंद कमांडरों को मार डाला.
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के प्रवक्ता के रूप में अपना परिचय देने वाले मुहम्मद खोरासानी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, “हमें बड़े अफसोस के साथ ख़बर मिली है कि पाकिस्तान पर अपना क़ब्ज़ा जमाए रखने वाले और वर्चस्ववादी अत्याचारियों और उनकी सेना ने लाचार शरणार्थियों के घरों पर हमला किया.”
“2014 में पाकिस्तानी सेना के ऑपरेशन (ज़र्ब ए अज़्ब ) के कारण पाकिस्तान ने इस्लामी और अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के ख़िलाफ़ इन असहाय शरणार्थियों के घरों को निशाना बनाया है. इससे बड़ी संख्या में शरणार्थियों को भागना पड़ा.”
तहरीक-ए-तालिबान की प्रेस विज्ञप्ति में पाकिस्तानी सेना का ज़िक्र करते हुए कहा गया है कि वह पिछले कुछ दशकों से बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख़्वाह में निर्दोष लोगों के ख़िलाफ़ हिंसा कर रही है.
अफ़ग़ान राजनेताओं ने बताया संप्रभुता का उल्लंघन
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तानी सैनिकों के हमलों की कड़ी निंदा की और इसे अफ़ग़ानिस्तान की राष्ट्रीय संप्रभुता का साफ़ उल्लंघन बताया.
करज़ई ने दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव के लिए “क्षेत्र में उग्रवाद को मज़बूत करने की पाकिस्तान की नीतियों को ज़िम्मेदार ठहराया.”
एक समय तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए नियुक्त अमेरिका के पूर्व विशेष प्रतिनिधि ज़लमई ख़लीलज़ाद ने कहा कि अगर ये हवाई हमला सच में हुआ है तो तालिबान जवाब दे सकता है.
पाकिस्तान में तालिबान सरकार के पूर्व राजदूत अब्दुल सलाम ज़ईफ़ ने पकतीका पर हमले को “अफ़ग़ानिस्तान की संप्रभुता के ख़िलाफ़ एक बर्बर और क्रूर कार्रवाई” बताया.
अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद हनीफ़ अतमार ने बरमाल ज़िले में हुए हमलों की निंदा की है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”अफ़सोस की बात है कि तालिबान सरकार के पास इन हमलों को रोकने के लिए कोई साधन नहीं है. उसके पास कोई वायु सेना या रक्षा बल नहीं है.”
अफ़ग़ान राजनेताओं के अलावा कई अफ़ग़ान नागरिकों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर इस कार्रवाई की निंदा की है.
क्या है पाकिस्तान का ‘जर्ब ए अज़्ब’ ऑपरेशन
2014 में, पाकिस्तानी सेना ने “चरमपंथियों” को कुचलने के लिए उत्तरी वज़ीरिस्तान में “ज़र्ब ए अज़्ब” नामक एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया, जो लंबे समय तक जारी रहा.
इन ऑपरेशनों में सैकड़ों चरमपंथियों के मारे जाने का दावा किया गया था, लेकिन लाखों स्थानीय निवासियों को भी युद्ध के डर से अपने गांवों से भागने लिए मजबूर होना पड़ा था.
उनमें से कई पाकिस्तान के अन्य शहरों में भाग गए, लेकिन उनमें से कुछ डूरंड रेखा पार कर गए और अफ़ग़ानिस्तान में ‘वज़ीरिस्तान शरणार्थी’ शिविरों में बस गए.
पिछले वर्षों में उत्तरी वज़ीरिस्तान और पख्तूनख़्वाह के अन्य जनजातीय क्षेत्रों में सुरक्षा स्थिति अपेक्षाकृत अच्छी थी लेकिन हाल ही में पाकिस्तानी सेना के हमले बढ़े हैं.
पाकिस्तानी सरकार का कहना है कि ज़्यादातर पाकिस्तानी तालिबान मूवमेंट या ‘टीटीपी’ के चरमपंथियों की वजह से अशांति पैदा हुई है, इनके अड्डे अफ़ग़ानिस्तान में हैं और वे वहाँ से पाकिस्तान पर हमला करते हैं.
लेकिन अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने हमेशा इन आरोपों को ख़ारिज किया है और कहा है कि वह किसी को भी अफ़ग़ान धरती का इस्तेमाल किसी और के ख़िलाफ़ करने की इजाज़त नहीं देती है.
पहली बार नहीं हुआ है ऐसा हमला
यह पहली बार नहीं है कि पाकिस्तानी सेना ने अफ़ग़ानिस्तान के इलाके़ में बमबारी की है. इस साल मार्च में, तालिबान सरकार ने कहा था पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने पकतीका के बरमल और खोस्त के सापर ज़िलों में नागरिकों के घरों पर बमबारी की थी.
तालिबान सरकार के रक्षा मंत्रालय ने उस समय एक बयान में दावा किया था कि उसने हमलों के जवाब में डूरंड रेखा के आसपास पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर “भारी हथियारों से गोलीबारी” की थी.
पकतीका और खोस्त प्रांतों पर पाकिस्तानी सेना के हमलों के जवाब में, तालिबान सरकार ने पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों को समन कर विरोध पत्र सौंपा था.
पकतीका के बरमल ज़िले पर पाकिस्तानी सेना का हमला ऐसे समय में हुआ है जब तालिबान सरकार के कार्यवाहक गृह मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी और कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुतक्क़ी ने सोमवार (23 दिसंबर) को पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि मुहम्मद सादिक खान से मुलाकात की.
तालिबान सरकार के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंधों को बेहतर बनाने और मौजूदा समस्याओं को हल करने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़ रूम की ओर से प्रकाशित