भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार स्थानीय कौशल मांग के आधार पर विकास योजनाएं बना रही है। कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय केंद्रीय योजनाओं को जिला और राज्य की मांगों के अनुरूप बनाने पर जोर दे रहा है। मंत्रालय ने सभी राज्यों का जिलेवार अध्ययन कराया है जिसमें स्किल गैप की तस्वीर साफ हुई है। सरकार राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति- 2015 में संशोधन की तैयारी में है।
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्थानीय कारोबार को बढ़ाने में स्किल गैप की एक प्रमुख चुनौती का हल निकालने के लिए सरकार स्थानीय कौशल मांग के आधार पर विकास योजनाएं बनाने की पहल कर रही है।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय का जोर इस पर है कि केंद्रीय योजनाएं जिला और राज्य की मांगों के अनुरूप ही बनाई जाएं। इस दिशा में पहले कदम के रूप में मंत्रालय ने सभी राज्यों का जिलेवार अध्ययन करा लिया है जिसमें काफी हद तक स्किल गैप और मांग की तस्वीर साफ हुई है। अब जमीनी स्तर पर इस ढांचे को अधिक व्यावहारिक, सक्रिय और पारदर्शी बनाने की रूपरेखा पर काम चल रहा है।
जयन्त चौधरी ने जारी की रिपोर्ट
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयन्त चौधरी ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कि सभी राज्यों की जिला कौशल विकास योजनाओं का संकलन है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कहां किस क्षेत्र के कुशल पेशेवरों की अधिक मांग है और वर्तमान में स्किल गैप कितना है।
रिपोर्ट इस उद्देश्य से तैयार कराई गई है कि अब जिला कौशल विकास योजनाओं (डीएसडीपी) और राज्य कौशल विकास योजनाओं (एसएसडीपी) को अधिक व्यावहारिक बनाने के साथ ही केंद्रीय स्तर पर भी कौशल विकास योजनाएं उस तरह बनाई जाएं, जिससे के देशभर में स्किल गैप को पाटा जा सके। इससे न सिर्फ रोजगार व स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि उद्योगों के सामने भी कुशल श्रम बल की उपलब्धता का संकट नहीं रहेगा।
क्या है सरकार की मंशा?
इसी उद्देश्य राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति- 2015 में भी संशोधन की तैयारी है जिसमें योजनाओं का विकेंद्रीकरण एक प्रमुख एजेंडा होगा। केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और जिला प्रशासनों के बीच समन्वय बढ़ाने पर सरकार का जोर है। राज्यों और जिलों को प्रमुख राष्ट्रीय मिशनों, जैसे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, हरित भारत मिशन, दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन, परमाणु ऊर्जा मिशन और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए सक्रिय कर इन सभी से कौशल विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से जोड़ने की मंशा है।
सरकार का मानना है कि जब स्थानीय कौशल मांग और कमी की स्पष्ट तस्वीर सामने होगी तो नीति निर्माता अधिक बेहतर ढंग से देश में कौशल की कमी को पूरा करने का रोडमैप तैयार कर सकेंगे।
रिपोर्ट में की गईं प्रमुख सिफारिशें
डीएसडीपी की स्थिरता के लिए डीएसडीपी निर्माण की प्रक्रिया में जवाबदेही और संसाधन आवंटन को मजबूत करने की आवश्यकता है।
डीएसडीपी के निर्माण, प्रबंधन और अपडेट करने को जिला प्रशासन की आधिकारिक जिम्मेदारी के रूप में शामिल करना होगा।
– समर्पित डीएसडीपी योजना इकाइयों की स्थापना करनी होगी, जो जिला कौशल समितियों (डीएससी) के साथ समन्वय स्थापित करने और कौशल विकास योजनाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार हों।
– इन इकाइयों में प्रशिक्षित पेशेवर कर्मचारी होने चाहिए और जिलास्तरीय कौशल विकास को कुशलतापूर्वक प्रबंधित करने के लिए आवश्यक तकनीकी और वित्तीय संसाधनों से सुसज्जित होना चाहिए।
– डीएसडीपी कार्यान्वयन पर नजर रखने और प्रभाव को मापने के लिए एक मजबूत निगरानी और मूल्यांकन ढांचा आवश्यक है।
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