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अभी तक एफआईआर नहीं…बड़े शार्क कौन हैं? क्या जज कैश कांड पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के सवाल सही हैं – no fir yet who are the big sharks are vice president jagdeep dhankhar questions on the judge cash scandal justified

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May 20, 2025


नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली हाई कोर्ट के एक जज के घर से बिना हिसाब के बरामद कैश की जांच को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है। सोमवार को उन्होंने इस केस की जांच के लिए बनाई गई इन-हाउस पैनल पर सवाल उठाए। उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर जली हुई नकदी मिलने के मामले में आपराधिक केस दर्ज करने और जांच करने की भी जरूरत पर जोर दिया। यह घटना मध्य मार्च में हुई थी। एक किताब के लॉन्च के मौके पर धनखड़ ने कहा कि एक मौजूदा हाई कोर्ट के जज के घर पर जली हुई नोटों का मिलना न्यायपालिका की छवि को खराब करता है। उन्होंने कहा कि तेजी से जांच से ही सच सामने आ सकता है।

सिस्टम में मौजूद कमियों का ठोस उदाहरण-धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, ‘…घटना को, जो अरबों लोगों के दिमाग में घूम रही है, उसे वैज्ञानिक, फोरेंसिक, विशेषज्ञ और पूरी जांच से शांत करें। इससे सब कुछ पता चलना चाहिए और कुछ भी छिपा नहीं रहना चाहिए। सच्चाई सामने आनी चाहिए… क्योंकि यह घटना इस समय सिस्टम में मौजूद कमियों का ठोस उदाहरण है।’ उपराष्ट्रपति ने हैरानी जताई कि घटना के दो महीने बाद भी FIR दर्ज नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि दूसरे लोगों के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली तुरंत काम करती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ।

इसके पीछे कौन से बड़े शार्क हैं- उपराष्ट्रपति

उन्होंने कहा कि एक हाई कोर्ट के जज के घर पर जले हुए नोटों का मिलना एक गंभीर मामला है। इससे न्यायपालिका की छवि खराब हुई है। उनके मुताबिक, मामले की तेजी से जांच होनी चाहिए। जांच से पता चलेगा कि ‘मनी ट्रेल क्या है, इसका मकसद क्या था, इसके पीछे कौन से बड़े शार्क हैं, और क्या इसने न्यायिक प्रणाली को दूषित किया है’। उनके अनुसार, यह जांच बहुत जरूरी है, ताकि सच्चाई सामने आ सके। जांच से पता चलेगा कि क्या इस घटना से न्यायपालिका पर कोई गलत असर पड़ा है।

‘ऐसे मामलों में पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है’

धनखड़ ने अपने भाषण का वीडियो X पर शेयर करते हुए लिखा है, ‘लुटियंस दिल्ली में एक जज के घर में जले हुए नोट और कैश मिले। लेकिन, आज तक इस मामले में कोई FIR दर्ज नहीं हुई है। यह मामला थोड़ा अजीब है, क्योंकि आमतौर पर ऐसे मामलों में पुलिस तुरंत कार्रवाई करती है।…देश में कानून का राज है। हमारे पास एक आपराधिक न्याय प्रणाली (criminal justice system) है। कानून के अनुसार, किसी भी काम में देरी नहीं होनी चाहिए।….किसी भी व्यक्ति या संस्था को बर्बाद करने का सबसे आसान तरीका है कि उसकी जांच-पड़ताल न की जाए। अगर ऐसा होता है, तो व्यक्ति खुद ही अपने लिए कानून बन जाता है…’

जस्टिस यशवंत वर्मा: क्या है जज कैश कांड

उपराष्ट्रपति ने यह मामला उस समय उठाया है, जब इस केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल हुई है। यह मामला 14-15 मार्च का है। तब जस्टिस वर्मा दिल्ली हाई कोर्ट के जज थे। उनके सरकारी आवास पर आग लग गई, जिसमें बड़ी मात्रा में नोट जल गए और बिना हिसाब के करोड़ों रुपये मिलने की बातें भी सामने आईं। तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच समिति गठित की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया। इसके बाद तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा था। जब जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया, तो CJI ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था।

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