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इस साल का संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप30) ब्राज़ील के उत्तरी शहर बेलेम में हो रहा है. इसे अक्सर दुनिया के सबसे बड़े वर्षावन अमेज़न का प्रवेश द्वार कहा जाता है.
यह एक प्रतीकात्मक स्थान है. दुनिया भर के देश पेरिस में हुए जलवायु सम्मेलन के दस साल बाद बेलेम में जमा हो रहे हैं. पेरिस में एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था जिसका मकसद धरती को गर्म करने वाली गैसों के उत्सर्जन को सुरक्षित सीमा तक रोकना था.
लेकिन अब तक ये प्रयास सफल नहीं हुए हैं, क्योंकि उत्सर्जन लगातार बढ़ रहा है.
यही वजह है कि पर्यावरण से भारी मात्रा में कार्बन डाइऑक्साइड सोखने वाले अमेज़न के जंगल, इस स्थिति को सुधारने के उपायों में अहम भूमिका निभाने वाले हैं.
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लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि दशकों से हो रही वनों की कटाई और अब जलवायु प्रभावों के कारण, अमेज़न का भविष्य ख़ुद ही अनिश्चित हो गया है. जिस पारा राज्य की राजधानी बेलेम है, वहां वर्षावन के विनाश का स्तर पूरे अमेज़न में सबसे ज़्यादा है.
इसी वजह से बीबीसी अमेज़न की मौजूदा स्थिति और उन ख़तरों पर गहराई से नज़र डाल रहा है, जिनका उसे सामना करना पड़ रहा है.
ब्राज़ील के हिस्से में अमेज़न का लगभग 60 फ़ीसदी इलाका आता है. ब्राज़ील का कहना है कि वह उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की मज़बूत सुरक्षा के लिए एक नया समझौता करवाने की कोशिश करेगा.
उष्णकटिबंधीय वर्षावन ज़्यादातर भूमध्य रेखा के पास पाए जाते हैं. यहां ऊंचे, ज़्यादातर सदाबहार पेड़ होते हैं.
दुर्लभ प्रजातियों का ठिकाना

अमेज़न में सिर्फ़ जंगल ही नहीं, बल्कि दलदल और सवाना यानी घास के मैदान भी हैं. यह दक्षिण अमेरिका के 67 लाख वर्ग किलोमीटर से ज़्यादा क्षेत्र में फैला है, जो भारत के आकार से दोगुना बड़ा है. यह धरती के सबसे समृद्ध और जैव विविधता वाले इलाकों में से एक है.
इसमें शामिल हैं:
- कम से कम 40,000 पौधों की प्रजातियां,
- 427 स्तनपायी प्रजातियां
- पक्षियों की 1,300 प्रजातियाँ, जिनमें हार्पी ईगल और टूकान शामिल हैं
- हरी इगुआना से लेकर ब्लैक कैमन तक 378 सृप प्रजातियां
- 400 से ज़्यादा उभयचर प्रजातियां, जिनमें डार्ट पॉयज़न फ्रॉग और स्मूथ-साइडेड टोड शामिल हैं
- और लगभग 3,000 मीठे पानी की मछलियों की प्रजातियां, जिनमें पिरान्हा और विशाल अरपाइमा शामिल हैं, जिसका वज़न 200 किलोग्राम तक हो सकता है.
इनमें से कई प्रजातियां दुनिया में और कहीं नहीं पाई जातीं. इसके अलावा, इस क्षेत्र में सैकड़ों मूलनिवासी समुदाय रहते हैं.
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अमेज़न दुनिया की सबसे बड़ी नदी है. अपनी 1,100 से ज़्यादा सहायक नदियों के साथ यह धरती पर मीठे पानी का सबसे बड़ा स्रोत है.
यह पानी अटलांटिक महासागर में जाकर मिलता है और समुद्री धाराओं को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है.
अमेज़न के जंगल एक बड़ा-सा कार्बन सिंक हैं. हालांकि अब अमेज़न के कुछ हिस्सों में पेड़ों के कटने और भूमि के खराब होने की वजह से यह देखा गया है कि वे जितना कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं, उससे ज़्यादा उत्सर्जित कर रहे हैं.
अमेज़न भोजन और दवाओं का भी एक प्रमुख स्रोत है. यहां धातुओं, ख़ासकर सोने के लिए खनन किया जाता है.
यह क्षेत्र तेल और गैस का भी एक बड़ा उत्पादक बन सकता है. जंगलों के बड़े हिस्से के नष्ट होने से यह लकड़ी का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है.
अमेज़न में क्या हो रहा है?
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तापमान में तेज़ बढ़ोतरी और लंबे समय तक चले सूखे ने अमेज़न के प्राकृतिक संतुलन पर गहरा असर डाला है.
आमतौर पर नम रहने वाला यह जंगल अब ज़्यादा सूखा हो गया है और आग के प्रति अधिक संवेदनशील बन गया है.
उदाहरण के तौर पर, ब्राज़ील की अंतरिक्ष एजेंसी आईएनपीई के अनुसार सितंबर 2024 में ब्राज़ीलियाई अमेज़न में 41,463 जगहों पर आग के हॉटस्पॉट दर्ज किए गए. यह 2010 के बाद सितंबर महीने में दर्ज की गई सबसे ज़्यादा संख्या थी.
अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में ‘इकोसिस्टम कार्बन कैप्चर’ के एसोसिएट प्रोफ़ेसर पाउलो ब्रांडो कहते हैं, “हम सूखे और आग की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी देख रहे हैं और इसके कारण अमेज़न के कई हिस्सों में क्षरण बढ़ गया है.”
वह आगे कहते हैं, “कई क्षेत्रों में यह क्षरण अब अमेज़न के लिए एक बड़ा ख़तरा बनकर सामने आ रहा है.”
फ़्लाइंग रिवर्स पर असर
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समस्या यहीं से शुरू होती है. विशाल अमेज़न क्षेत्र में अपनी ख़ुद की मौसम प्रणालियां हैं.
इसके जंगल अटलांटिक महासागर से आने वाली नमी को सर्कुलेट करते हैं, जिन्हें आकाश में बहने वाली “हवाई नदियां” या “फ्लाइंग रिवर्स” कहा जाता है.
ये वायुमंडलीय नदियां सबसे पहले अमेज़न के पूर्वी हिस्से में, यानी अटलांटिक के पास बारिश करती हैं. इसके बाद ज़मीन और पेड़ों से पानी भाप बनकर ऊपर उठता है, जो वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया से हवा में फैलता है और वर्षावन के दूसरे हिस्सों पर गिरने से पहले पश्चिम की ओर बढ़ता है.
वर्षावन के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पानी का यह चक्र पूरे अमेज़न में चलता है. यही बताता है कि यह विशाल वर्षावन इतने लंबे समय तक कैसे फलता-फूलता रहा है.
वायुमंडलीय नदियां वास्तव में जलवाष्प की नदियां हैं, जो आसमान में पानी को लाती-ले जाती हैं.
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हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अब अमेज़न में नमी का यह प्राकृतिक संतुलन टूट गया है.
जिन हिस्सों में जंगलों की कटाई हुई है या ज़मीन का क्षरण हुआ है, वे महासागर से आने वाली नमी को पहले की तरह सर्कुलेट नहीं कर पा रहे हैं. नतीजतन, ज़मीन और पेड़ों से वाष्प बनकर हवा में लौटने वाली नमी की मात्रा बहुत कम हो गई है.
अमेज़न कंज़र्वेशन के वैज्ञानिक और “फ्लाइंग रिवर्स और अमेज़न के भविष्य” पर हालिया रिपोर्ट के सह-लेखक मैट फ़ाइनर कहते हैं, “नमी को सर्कुलेट करने वाली जो छोटी-छोटी मौसम प्रणालियां पहले पूरे अमेज़न में आपस में जुड़ी हुई थीं, वे अब टूट चुकी हैं.”
उनका कहना है कि इसका सबसे बुरा असर पश्चिमी अमेज़न में पड़ा है, जो अटलांटिक महासागर से सबसे दूर है, ख़ासकर दक्षिणी पेरू और उत्तरी बोलीविया के इलाकों में.
वह कहते हैं, “पेरू और बोलीविया के वर्षावनों का अस्तित्व वास्तव में पूर्व में स्थित ब्राज़ील के जंगलों पर निर्भर करता है. अगर ये जंगल नष्ट हो जाते हैं, तो ‘फ्लाइंग रिवर्स’ बनाने वाला जल चक्र टूट जाएगा और नमी पश्चिमी अमेज़न तक नहीं पहुंच पाएगी. यह सब आपस में जुड़ा हुआ है.”
यह समस्या जून से नवंबर तक चलने वाले शुष्क मौसम में सबसे गंभीर रूप ले लेती है.
निर्णायक मोड़
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पहले अमेज़न का यह भीगा और नम वर्षावन, जंगल की आग के प्रति काफी मज़बूत था. लेकिन जिन इलाकों में बारिश कम हो गई है, वहां यह प्रतिरोध धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ रहा है.
कुछ वैज्ञानिकों को आशंका है कि सूखते हुए वर्षावन अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां से यह दोबारा उबर नहीं पाएंगे. इनके हमेशा के लिए नष्ट होने का ख़तरा है.
मैट फ़ाइनर कहते हैं, “निर्णायक बदलाव के शुरुआती संकेत हमें अमेज़न के कुछ हिस्सों में दिख रहे हैं.”
यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑक्सफ़र्ड के ‘इकोसिस्टम्स लैब’ में सीनियर रिसर्च एसोसिएट एरिका बेरेनगुएर भी मानती हैं कि ख़तरा लगातार बढ़ रहा है. फ़ाइनर की तरह वह भी कहती हैं कि कुछ हिस्से बाकी क्षेत्रों की तुलना में ज़्यादा प्रभावित हैं.
वह कहती हैं, “यह एक बहुत धीमी प्रक्रिया है, जो कुछ ख़ास इलाकों में हो रही है.”
पानी का संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेज़न के आसमान में नमी के कम सर्कुलेशन का असर सिर्फ़ जंगल की सेहत पर ही नहीं, बल्कि अमेज़न और उसकी कई सहायक नदियों पर भी गहराई से पड़ रहा है.
पिछले कुछ सालों में अमेज़न बेसिन की कई नदियों में जलस्तर रिकॉर्ड स्तर तक नीचे चला गया है. 2023 में यहां पिछले 45 साल का सबसे भयानक सूखा पड़ा था.
2023 और 2024 के शुरुआती महीनों में सूखे की यह स्थिति आंशिक रूप से ‘एल नीनो’ के कारण बनी थी. यह एक प्राकृतिक मौसम प्रणाली है जिसमें पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान बढ़ जाता है. इसका असर पूरी दुनिया के बारिश के पैटर्न पर पड़ता है, ख़ासकर दक्षिणी अमेरिका में.
माइनिंग की चुनौती
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जंगलों की कटाई और जलवायु संकट से होने वाला नुक़सान ही काफ़ी नहीं था कि अब अवैध खनन, ख़ासकर सोने के खनन ने भी अमेज़न को भारी नुकसान पहुँचाया है.
एरिका बेरेनगुएर कहती हैं, “अब इस क्षेत्र में रेयर अर्थ खनिजों के लिए भी खनन शुरू हो गया है.”
ये खनिज इलेक्ट्रिक वाहनों, पवन टर्बाइनों, मोबाइल फ़ोन और उपग्रहों में इस्तेमाल होते हैं, इसलिए आधुनिक अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
हालांकि खनन से बहुत बड़े पैमाने पर जंगलों की कटाई नहीं होती, लेकिन यह पारे जैसे रसायनों से नदियों, मिट्टी और पेड़ों को प्रदूषित कर देता है. आगे चलकर यही ज़हर जानवरों और इंसानों दोनों के लिए घातक बन सकता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि अवैध खनन करने वालों और संगठित अपराध के नेटवर्क के बीच संबंध लगातार बढ़ रहे हैं. इनमें हथियार और बंदूक की तस्करी करने वाले गिरोह भी शामिल हैं.
मैट फ़ाइनर कहते हैं, “आपराधिक नेटवर्क पूरे अमेज़न में फैल चुका है, जिससे प्रशासन के लिए ज़मीनी स्तर पर नियंत्रण बनाए रखना बेहद मुश्किल हो गया है.”
अमेज़न आठ देशों में फैला हुआ है और हर देश के अपने कानून और उन्हें लागू करने का अपना तरीका है. यही वजह है कि सीमा-पार अपराधों से निपटना बेहद कठिन हो जाता है.
चिंता की एक और वजह यह है कि अमेज़न के नीचे बड़ी मात्रा में हाइड्रोकार्बन पाए गए हैं.
इन्फोअमेज़ोनिया के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच लगभग 5.3 अरब बैरल के बराबर तेल के भंडार खोजे गए हैं. इसका कहना है कि इस क्षेत्र में दुनिया के हाल ही में खोजे गए तेल भंडारों का लगभग पांचवां हिस्सा मौजूद है, जिससे यह जीवाश्म ईंधन उद्योग के लिए एक नया केंद्र बन गया है.
इन भंडारों की खोज से पहले ही, और ‘फ्लाइंग रिवर्स’ पर ताज़ा रिसर्च से पहले, साइंस पैनल फॉर द अमेज़न की रिपोर्ट में दिखाया गया था कि वर्षावन के विनाश के कारण 10,000 से ज़्यादा पौधों और जानवरों की प्रजातियां विलुप्त होने के गंभीर ख़तरे में हैं.
इलाक़े के लिए ही नहीं, दूर तक है अहमियत
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अमेज़न अब भी एक मज़बूत कार्बन सिंक है, जो धरती को गर्म करने वाली मुख्य गैस कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की भारी मात्रा को अवशोषित करने की क्षमता रखता है.
2024 में जारी ‘मॉनिटरिंग ऑफ द एंडीज अमेज़न प्रोग्राम’ (एमएएपी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 तक अमेज़न की ज़मीन के ऊपर और नीचे लगभग 71.5 अरब मीट्रिक टन कार्बन जमा था.
यह मात्रा 2022 के स्तर पर वैश्विक CO2 उत्सर्जन के लगभग दो साल के बराबर है.
लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि जंगलों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से इस बात का ख़तरा बढ़ रहा है कि क्षेत्र के और हिस्से अब कार्बन सोखने के बजाय उत्सर्जन करने लगें.
उनका कहना है कि अगर अमेज़न को खो दिया गया, तो यह जलवायु संकट के ख़िलाफ़ लड़ाई हारने जैसा होगा.
उष्णकटिबंधीय वन बादलों की एक परत बनाते हैं, जो सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर अंतरिक्ष में भेज देती है और धरती को ठंडा बनाए रखने में मदद करती है. जब तक यह प्रक्रिया जारी रहती है, यह पृथ्वी के गर्म होने की रफ्तार को धीमा करती है.
ब्राज़ीलियाई वन वैज्ञानिक टासो अज़ेवेदो कहते हैं, “जिस तरह अमेज़न जैसे उष्णकटिबंधीय वन कार्बन को सोखकर धरती के तापमान को सीमित रखते हैं, उसी तरह उनमें ग्रह को ठंडा करने की क्षमता भी होती है.”
वह कहते हैं, “इसीलिए इस गर्म होती दुनिया के लिए अमेज़न एक विशाल एयर कंडीशनर की तरह है.”
जैसा पहले बताया गया है, दुनिया के सबसे बड़े मीठे पानी के बेसिन का वैश्विक जलवायु पर भी गहरा असर पड़ता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि मीठे पानी का विशाल प्रवाह अटलांटिक महासागर की धाराओं को दिशा देने में मदद करता है, और इस प्रवाह में कोई भी बदलाव समुद्री धाराओं के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मौसम प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित