विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि भारत ने किसानों व छोटे कारोबारियों को देखते हुए अपनी सीमा रेखा तय कर ली है। उन्होंने रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर देते हुए बाहरी दबाव में न झुकने की बात कही। जयशंकर ने पाकिस्तान के साथ संबंधों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को भी अस्वीकार किया।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले एक हफ्ते के दौरान अमेरिका के वाणिज्य सचिव, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार और कुछ अन्य अधिकारियों के भारत पर लगाये गये एक-एक आरोप का विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब दिया है। अमेरिका के साथ कारोबारी वार्ता के जारी रहने की बात कही है लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत ने किसानों व छोटे कारोबारियों को देखते हुए अपनी तरफ से रेड-लाइन (सीमा रेखा) खींच दी है।
उन्होंने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर देते हुए कहा कि भारत अपनी नीतियों में किसी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा और पाकिस्तान के साथ संबंधों में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। रूस से तेल खरीद कर मुनाफा कमाने के ट्रंप प्रशासन के आरोपों पर जयशंकर ने दो टूक कहा कि, “यह बहुत ही हास्यास्पद है कि जो लोग अमेरिकी प्रशासन के कारोबारी हितों के लिए काम कर रहे हैं वह हम पर कारोबार करने का आरोप लगा रहे हैं।”
लादेन का नाम लिए बिना पाक पर निशाना
शनिवार को यहां एक मीडिया हाउस के कार्यक्रम में जयशंकर ने पाकिस्तान और अमेरिका के “ऐतिहासिक संबंधों” पर खास तौर पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, “उनका एक-दूसरे के साथ इतिहास रहा है, और उनके पास अपने इतिहास को नजरअंदाज करने का भी इतिहास है। यह वही सेना है जो एबटाबाद गई थी और वहां किसे पाया था।” वह वर्ष 2011 में अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के एबटाबाद में अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मारने के अमेरिकी सेना के ऑपरेशन की ओर इशारा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपने राजनीतिक फायदे के लिए रिश्तों का इस्तेमाल किया है। जयशंकर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज किया जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच हाल के सैन्य तनाव को कम करने में भूमिका निभाने की बात कही थी। विदेश मंत्री ने कहा, “लगभग 50 वर्षों से भारत की नीति रही है कि हम पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों में किसी भी प्रकार की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेंगे।”
अमेरिकी हस्तक्षेप को खारिज किया
उन्होंने जोर दे कर कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर दृढ़ है और बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करेगा। भारत व अमेरिका के बीच कारोबारी समझौते को लेकर बात जारी है या नहीं, इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि “वार्ता जारी है, ऐसा नहीं है कि कुट्टी हो गई है, किसी ने वार्ता समाप्त की बात नहीं कही है लेकिन हमने अपनी तरफ सीमा रेखा खींच दी है।”
उन्होंने भारत की तीन प्रमुख ‘रेड लाइन्स’ को रेखांकित किया, किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा, राष्ट्रीय हितों के अनुरूप तेल आयात और पाकिस्तान के साथ संबंधों में किसी भी मध्यस्थता का विरोध। उन्होंने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए हालिया शुल्क को ‘अनुचित और असंगत’ करार दिया और कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस से तेल आयात के मुद्दे पर भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन और कुछ यूरोपीय देश बड़े आयातक होने के बावजूद आलोचना से बचे हुए हैं।