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यमन में हूती विद्रोहियों के ठिकानों पर हुए अमेरिकी हमलों पर हूती विद्रोहियों ने प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वो अमेरिका के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई करेंगे.
शनिवार को अमेरिका की तरफ से किए गए हवाई हमलों में यमन में 30 लोगों की मौत हुई है.
हूती विद्रोहियों के प्रवक्ता मोहम्मद अल-बुख़ायती ने बीबीसी से कहा, “जब भी मुमकिन होगा, अमेरिकी ठिकानों पर हमला किया जाएगा.”
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका ने यमन में हूती विद्रोहियों पर “निर्णायक और शक्तिशाली” हवाई हमले शुरू किए हैं.
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ट्रंप ने क्या कहा था?
डोनाल्ड ट्रंप ने हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ सीधी कार्रवाई के लिए लाल सागर में जहाजों पर हूती विद्रोहियों के हमलों को वजह बताया.
ट्रंप ने अपने सोशल प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “ईरान से आर्थिक समर्थन पाने वाले हूतियों ने अमेरिकी विमानों पर मिसाइलें दागी हैं और हमारे सैनिकों और सहयोगियों को निशाना बनाया है.”
उन्होंने कहा कि उनकी (हूती विद्रोहियों की) “समुद्री डकैती, हिंसा और आतंक से अरबों डॉलर” का नुक़सान हुआ है और लोगों की जान ख़तरे में पड़ी है.
वहीं अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा है कि हूती विद्रोहियों पर हमले तब जारी रहेंगे जब तक इंटरनेशनल शिपिंग पर हमले करने की उनकी क्षमता ख़त्म नहीं हो जाती.
वहीं हूती विद्रोहियों का कहना है कि अगर इसराइल ग़ज़ा में जा रही राहत सामग्री पर लगी रोक नहीं हटाता है तो वो लाल सागर में मर्चेंट शिप पर दोबारा हमले करेंगे.
हूती विद्रोही और ईरान ने क्या कहा?
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हूती विद्रोहियों की राजनीतिक शाखा से जुड़े मोहम्मद अल-बुख़ायती, इस समूह के प्रवक्ता भी हैं.
बीबीसी न्यूज़आवर से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यमन में अमेरिका की आक्रामकता अनुचित है. हमने अमेरिका को निशाना नहीं बनाया और हमने तो ज़ायनिस्ट देश को निशाना बनाया है.
इसराइल की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा, “ये एक ऐसा देश है जो युद्धविराम के प्रति प्रतिबद्ध नहीं है और उसने ग़ज़ा पट्टी की घेराबंदी की हुई है. हमें लगता है कि ट्रंप की ग़ैर ज़िम्मेदाराना कदमों के कारण यहां तनाव और बढ़ सकता है.”
इस मामले में ईरान की भी प्रतिक्रिया आई है. ईरान के कहा है कि यमन में हूती विद्रोहियों की कार्रवाई के लिए उसे ज़िम्मेदार न ठहराया जाए.
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड के चीफ़ हुसैन सलामी ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर राष्ट्रपति ट्रंप यमन ने हूती विद्रोहियों की कार्रवाई के लिए ईरान को ज़िम्मेदार ठहराते हैं तो उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा.
उन्होंने कहा, “ईरान जंग का समर्थन नहीं करता है. लेकिन अगर कोई ख़तरा पैदा कर रहा है तो फिर उसे जवाब के लिए भी तैयार रहना है. अंसार अल्लाह यमन का प्रतिनिधित्व करते हैं और वो अपने रणनीतिक और संचालन के फैसले स्वंय लेते हैं.”
‘देखे गए धुएं के गुबार’
हूती विद्रोहियों ने ग़ज़ा में इसराइल-हमास युद्ध के जवाब में जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया था. हूती विद्रोहियों ने कहा है कि उसके सैन्य बल अमेरिकी हमलों का जवाब देंगे.
हूतियों ने शनिवार शाम को सना और उत्तरी प्रांत सादा में सिलसिलेवार धमाकों की सूचना दी. यह सऊदी अरब की सीमा पर हूती विद्रोहियों का मज़बूत ठिकाना है.
ईरान समर्थित यह विद्रोही समूह इसराइल को अपना दुश्मन मानता है. इसका सना और यमन के उत्तर-पश्चिमी हिस्से पर नियंत्रण है, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार नहीं है.
कई तस्वीरों में सना हवाई अड्डे के क्षेत्र में काले धुएं का गुबार दिखाई दे रहा है, जिसमें एक सैन्य ठिकाना भी शामिल है. हालांकि इन तस्वीरों की पुष्टि नहीं हो पाई है.
एक बयान में हूती विद्रोहियों ने यमन की राजधानी सना में आवासीय क्षेत्रों को निशाना बनाकर किए गए “शैतानी” आक्रमण के लिए अमेरिका और ब्रिटेन को जिम्मेदार ठहराया है.
हालांकि यह तय है कि ब्रिटेन ने हूती ठिकानों के ख़िलाफ़ शनिवार के अमेरिकी हमलों में भाग नहीं लिया था, लेकिन उसने अमेरिका के लिए नियमित ईंधन भरने में मदद की.
नवंबर 2023 से हूती विद्रोहियों ने लाल सागर और अदन की खाड़ी में दर्जनों व्यापारिक जहाजों को मिसाइलों, ड्रोन और छोटी नावों से निशाना बनाया है.
उन्होंने दो जहाजों को डुबो दिया है, एक जहाज को जब्त कर लिया है और चालक दल के चार सदस्यों को मार डाला है.
हूती विद्रोहियों की वजह से माल ढुलाई की लागत बढ़ी है
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ट्रंप ने कहा कि इन हमलों को “बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. जब तक हम अपना मक़सद हासिल नहीं कर लेते, तब तक हम अत्यधिक घातक बल का प्रयोग करेंगे.”
हूती विद्रोहियों ने कहा है कि वो गज़ा में इसराइल और हमास के बीच युद्ध में फलस्तीनियों के समर्थन में काम कर रहे हैं.
उन्होंने अक्सर ऐसे झूठे दावे किए हैं कि वो केवल इसराइल, अमेरिका या ब्रिटेन से जुड़े जहाजों को ही निशाना बना रहे हैं.
एक साल से अधिक समय से लाल सागर और अदन की खाड़ी में व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा के लिए पश्चिमी युद्धपोतों की तैनाती, या हूती सैन्य ठिकानों पर अमेरिका और ब्रिटेन के कई हवाई हमलों के बाद भी हूती विचलित नहीं हुए हैं.
इसराइल ने जुलाई से लेकर अब तक हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ हवाई हमले भी किए हैं. इसराइल का दावा है कि ये हमले यमन से उनके देश पर किए गए 400 मिसाइल और ड्रोन हमलों के जवाब में किए गए, जिनमें से ज़्यादातर को नाकाम कर दिया गया.
नवंबर 2023 से हो रहे हमलों के नतीजे में लाल सागर का इस्तेमाल करने वाले जहाज यूरोप और एशिया के बीच स्वेज नहर का उपयोग करने के बजाय दक्षिणी अफ्रीका की ओर अपना रास्ता बदल रहे हैं. इससे उनकी लागत बढ़ रही है और वैश्विक आर्थिक जोखिम की आशंका पैदा हो रही है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि एक साल से अधिक समय हो गया है जब कोई अमेरिकी झंडे वाला जहाज स्वेज नहर से सुरक्षित रूप से गुज़रा हो.
ट्रंप ने कहा है कि बीते चार महीने से कोई अमेरिकी युद्धपोत पूर्वी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप के बीच के जल क्षेत्र से नहीं गुज़रा है.
स्वेज नहर एशिया और यूरोप के बीच सबसे तेज़ समुद्री मार्ग है और यह तेल और लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस (एलएनजी) के ढुलाई के लिए खास तौर पर महत्वपूर्ण है.
‘हूती विद्रोहियों पर होगी विनाश की बारिश’
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हूतियों को सीधे तौर पर संबोधित करते हुए ट्रंप ने लिखा कि यदि वो नहीं रुके तो “आप पर विनाश की ऐसी बारिश होगी जैसी आपने पहले कभी नहीं देखी होगी.”
लेकिन हूतियों ने अपनी प्रतिक्रिया में कोई बदलाव नहीं किया और कहा कि इस आक्रमण से फलस्तीनियों के प्रति उनका समर्थन कम नहीं होगा.
उसने कहा, “इस आक्रामकता का जवाब दिया जाएगा और यमन के हमारे सशस्त्र बल इस आक्रामकता का जवाब देने के लिए तैयार हैं.”
इस बीच, अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने कहा कि हूती के “आर्थिक सहयोग देने वाले” ईरान को “चेतावनी” दी गई है.
बीते एक साल से अधिक समय से प्रमुख शिपिंग कम्पनियों को लाल सागर का इस्तेमाल बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इस रास्ते से वैश्विक समुद्री व्यापार का 15% हिस्सा गुज़रता है. इसके बदले उन्हें दक्षिणी अफ्रीका के आसपास के लंबे रास्ते का इस्तेमाल करना पड़ा.
अमेरिकी कांग्रेस के मुताबिक़ हूती विद्रोहियों ने नवंबर 2023 और अक्तूबर 2024 के बीच लाल सागर में 190 हमले किए.
इससे पहले ब्रिटेन और अमेरिका ने हूती विद्रोहियों के ख़िलाफ़ साझा नौसैनिक और हवाई हमले किए थे. इसराइल ने भी अलग-अलग हमलों में हूती विद्रोहियों के ठिकानों को निशाना बनाया है.
ट्रंप ने ईरान से हूती विद्रोहियों को समर्थन बंद करने की अपील की और चेतावनी दी और कहा कि इसके लिए अमेरिका “पूरी तरह से ईरान को ज़िम्मेदार ठहराएगा” और हम “उनके लिए अच्छे नहीं रहेंगे.”
उन्होंने जो बाइडन के नेतृत्व वाले अमेरिका के पुराने प्रशासन पर “दयनीय स्तर तक कमजोर” होने और “अनियंत्रित हूती विद्रोहियों” को बने रहने देने का भी आरोप लगाया.
कौन हैं हूती विद्रोही
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हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ‘ज़ैदी’ समुदाय का एक हथियारबंद समूह है.
इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था.
उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है. वे ख़ुद को ‘अंसार अल्लाह’ यानी ईश्वर के साथी भी कहते हैं.
साल 2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक़ पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, ”ईश्वर महान है. अमेरिका का ख़ात्मा हो, इसराइल का ख़ात्मा हो. यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो.”
उन्होंने ख़ुद को हमास और हिज़्बुल्लाह के साथ मिलकर इसराइल, अमेरिका और पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ ईरान के नेतृत्व वाली ‘प्रतिरोध की धुरी’ का हिस्सा बताया था.
हूती विद्रोही लेबनान के सशस्त्र शिया समूह हिज़्बुल्लाह के मॉडल से प्रेरणा लेते हैं.
हूती ख़ुद को ईरान का सहयोगी भी बताते हैं क्योंकि उनका साझा दुश्मन सऊदी अरब है.
शक जताया जाता है कि हूती विद्रोहियों को ईरान हथियार भी दे रहा है.
अमेरिका और सऊदी अरब का कहना है कि ईरान ने हूती विद्रोहियों को बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस किया था, जिनका इस्तेमाल 2017 में सऊदी अरब की राजधानी रियाद पर हमले के लिए किया गया था. इन मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया गया था.
सऊदी अरब ने ईरान पर हूती विद्रोहियों को क्रूज़ मिसाइल और ड्रोन देने का भी आरोप लगाया है, जिन्हें 2019 में सऊदी अरब के तेल कारखानों पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया था.
हूती विद्रोही सऊदी अरब पर कम रेंज वाली हज़ारों मिसाइल दाग़ चुके हैं और उन्होंने यूएई को भी निशाना बनाया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित