अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% शुल्क से भारतीय निर्यात को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए वित्तीय पैकेज की घोषणा जल्द हो सकती है। एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत एमएसएमई को विशेष वित्तीय सुविधाएँ दी जा सकती हैं जिसमें कम ब्याज दरों पर लोन और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट क्रेडिट कार्ड शामिल हैं। यह कदम भारतीय निर्यातकों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने में मदद करेगा।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। भारत पर अमेरिका के 50 प्रतिशत शुल्क से निर्यात को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए जल्द ही वित्तीय पैकेज की घोषणा हो सकती है।
गत बजट में घोषित एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत निर्यातकों को खासकर एमएसएमई को विशेष वित्तीय सुविधा देने कि ऐलान किया जा सकता है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन के तहत इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है।
अमेरिकी शुल्क के बाद यह कवायद और तेज हो गई है और विभिन्न एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल से विचार-विमर्श किया जा रहा है। निर्यात प्रोत्साहन के लिए निर्यात ऋण विकास स्कीम, ई-कामर्स एक्सपोर्ट क्रेडिट कार्ड, फोकस्ड मार्केट इंसेंटिव स्कीम, एमएसएमई निर्यातकों को बिना गिरवी के लोन देने जैसी सुविधा दी जा सकती है।
अमेरिका ने इन देशों पर भारत के मुकाबले शुल्क भी कम लगाया है
वैश्विक बाजार के साथ अमेरिका में भी भारत का मुकाबला चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया, कंबोडिया, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देशों से हैं जहां भारत की तुलना में निर्यातकों को कम ब्याज दर पर लोन मिलता है।
अमेरिका ने इन देशों पर भारत के मुकाबले शुल्क भी कम लगाया है। ऐसे में भारतीय निर्यातकों की लागत को कम करने के लिए उन्हें भी कम ब्याज दर पर लोन देने की विशेष व्यवस्था बनाई जा सकती है।
इस व्यवस्था का नाम निर्यात ऋण विकास दिया जा सकता है। निर्यात ऋण विकास के तहत मुकाबले वाले देशों की ब्याज दर को ध्यान में रखकर एमएसएमई और पहली बार निर्यात करने वालों को लोन दिया जाएगा। जिन वस्तुओं के निर्यात में संभावना होगी, उनके निर्यात के लिए ही कम ब्याज पर लोन दिए जाएंगे।
हर साल प्रतिद्वंद्वी देश की ब्याज दरों को देखते हुए इस स्कीम की दरें घोषित होंगी।भारत में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत है जबकि चीन में तीन प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 2.75 प्रतिशत, वियतनाम में 4.5 प्रतिशत, ताइवान में दो प्रतिशत तो कंबोडिया में 0.77 प्रतिशत है। छोटे निर्यातकों को बिना गिरवी के लोन देने के लिए विशेष इंतजाम किए जा सकते हैं।
ई-कामर्स के माध्यम से निर्यात करने वाले छोटे निर्यातकों को एक निश्चित राशि सीमा वाले क्रेडिट कार्ड जारी हो सकते हैं। विदेश में माल रखने के लिए वेयरहाउस बनाने और संभावित बाजार की प्रदर्शनी में हिस्सा लेने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाएगी।
भारत अमेरिका में 88 अरब डालर का निर्यात करता है और 50 प्रतिशत शुल्क के बाद 30 अरब डालर तक के निर्यात के प्रभावित होने की आशंका जाहिर की जा रही है। इनमें अधिकतर निर्यात रोजगारपरक सेक्टर के हैं जिनमें गिरावट होने पर रोजगार भी प्रभावित होगा। निर्यात के प्रभावित होने से देश की विकास दर में भी कमी आ सकती है।
लाल किले से बड़े एलान संभव
सूत्रों का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस पर 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मैन्यूफैक्च¨रग और निर्यात प्रोत्साहन की दिशा में बड़ा ऐलान कर सकते हैं।
आर्थिक विशेषज्ञ अमेरिकी शुल्क की चुनौती को बड़े अवसर के रूप में देख रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि इस चुनौती को अवसर में बदलने के लिए बड़े सुधार की आवश्यकता है। 15 अगस्त को इस दिशा में सरकार का प्रयास दिख सकता है।