इमेज स्रोत, X/INDEMBMOSCOW
भारत के रूस में राजदूत विनय कुमार ने कहा है कि भारतीय कंपनियां वहीं से तेल खरीदती रहेंगी जहां से उन्हें ‘सबसे अच्छा सौदा’ मिलेगा.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत ऐसे क़दम उठाता रहेगा जो देश के ‘राष्ट्रीय हित’ की रक्षा करें.
रविवार को रूस की सरकारी समाचार एजेंसी तास में छपे एक इंटरव्यू में विनय कुमार ने कहा कि भारत की प्राथमिकता देश की 140 करोड़ की आबादी के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
उनकी यह टिप्पणी उस समय आई है जब अमेरिका भारत के सस्ते रूसी कच्चे तेल की ख़रीद की आलोचना कर रहा है. भारत ने इस आलोचना को मज़बूती से ख़ारिज किया है.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
रविवार को अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने एक इंटरव्यू के दौरान भारत पर लगे टैरिफ़ का ज़िक्र किया है. उन्होंने कहा कि भारत पर अतिरिक्त टैरिफ़ लगाकर, रूस पर कड़ा आर्थिक दबाव डाला गया है.
ट्रंप ने भारत पर 50 फ़ीसदी का टैरिफ़ लगाया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा.
‘अमेरिका का फ़ैसला अनुचित, अव्यावहारिक और ग़ैर-ज़रूरी’
विनय कुमार का कहना है कि भारत और रूस को तेल आयात के भुगतान में कोई समस्या नहीं है.
उन्होंने कहा, “भारत और रूस के पास राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार निपटान की एक व्यवस्था है. अभी तेल आयात के भुगतान में कोई दिक़्क़त नहीं है.”
भारतीय निर्यात संगठन महासंघ (एफ़आईईओ) के महानिदेशक और सीईओ अजय साहा ने इससे पहले तास को बताया था कि भारतीय बैंकों में रूसी निर्यातकों के अरबों रुपये पड़े हैं. हालाँकि, उन्होंने सटीक राशि नहीं बताई.
उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय रुपये में रूस के साथ व्यापार अब भी जारी है.
विनय कुमार का कहना है, “हमने साफ़ कहा है कि हमारा उद्देश्य भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा है. रूस समेत कई अन्य देशों के साथ भारत का सहयोग वैश्विक तेल बाज़ार में स्थिरता लाने में मददगार रहा है. रूस के साथ व्यापार करने वाले अन्य देश भी हैं, जिनमें ख़ुद अमेरिका और यूरोप शामिल हैं.”
अमेरिका के फ़ैसले को “अनुचित, अव्यावहारिक और ग़ैर-ज़रूरी” बताते हुए कुमार ने कहा कि भारत सरकार “ऐसे क़दम उठाती रहेगी जो देश के राष्ट्रीय हित की रक्षा करें.”
शनिवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था, “यह अजीब है कि एक प्रो-बिज़नेस अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर बिज़नेस करने का आरोप लगा रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “यह वाकई अजीब है. अगर आपको भारत से तेल या रिफ़ाइंड प्रोडक्ट ख़रीदने में दिक़्क़त है, तो मत खरीदिए. कोई आपको ख़रीदने के लिए मजबूर नहीं कर रहा. लेकिन यूरोप भी ख़रीद रहा है, अमेरिका भी ख़रीद रहा है. अगर आपको अच्छा नहीं लगता, तो मत ख़रीदिए.”
रूस को अलग-थलग करने के लिए टैरिफ़ लगाए: जेडी वेंस
अमेरिका के उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस पर इस युद्ध को रोकने के लिए इतना आर्थिक दबाव डाला है, जितना बाइडन ने तीन साल में भी नहीं डाला था.
उप राष्ट्रपति जेडी वेंस ने एनबीसी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “राष्ट्रपति ने कड़ा आर्थिक दबाव डाला है. उदाहरण के लिए, भारत पर सेकेंडरी टैरिफ़ लगाए ताकि रूस अपने तेल के कारोबार से अमीर न बन सके.”
उन्होंने कहा, “उन्होंने (राष्ट्रपति ट्रंप) साफ़ कर दिया है कि अगर रूस हत्या और युद्ध बंद करता है तो उसे फिर से वैश्विक अर्थव्यवस्था में शामिल किया जा सकता है.”
जेडी वेंस का कहना है कि अगर रूस युद्ध नहीं रोकता तो उसे अलग-थलग रहना पड़ेगा.
जुलाई महीने के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25 फ़ीसदी का टैरिफ़ लगाया था.
बाद में उन्होंने ये कहकर भारत पर और 25 फ़ीसदी टैरिफ़ लगा दिया कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीदकर यूक्रेन के ख़िलाफ़ जंग में उसकी मदद कर रहा है.
भारत के समर्थन में अमेरिका में उठी आवाज़ें
अमेरिका में रिपब्लिकन नेता निकी हेली ने मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई है और कहा है कि अमेरिका को समझना चाहिए कि चीन का सामना करने के लिए उसे भारत जैसे मित्र की ज़रूरत है.
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा कि ट्रंप अपनी नीतियों से अपने सहयोगियों को दूर कर रहे हैं. वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी भारत पर लगाए टैरिफ़ का विरोध करते दिखे हैं.
20 अगस्त को निकी हेली ने अमेरिकी मैगज़ीन ‘न्यूज़वीक‘ में लिखा, “भारत को रूस से तेल ख़रीदने पर ट्रंप की आपत्ति को गंभीरता से लेना चाहिए और व्हाइट हाउस के साथ मिलकर इसका हल निकालना चाहिए. जितनी जल्दी हो, उतना अच्छा है. चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे दोस्त की ज़रूरत है.”
जॉन केरी ने नई दिल्ली में ईटी वर्ल्ड लीडर्स फ़ोरम में कहा, “हम चिंतित हैं. राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच जो तनाव है वो दुर्भाग्यपूर्ण है.”
“मुझे लगता है कि एक महान देश को अपनी महानता जताने के लिए हमेशा लोगों को धमकियां देना ज़रूरी नहीं है. ट्रंप प्रशासन ने कूटनीति के ज़रिए हल ढूंढने की बजाय आदेश और दबाव डालने का तरीक़ा अपनाया.”
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन भी भारत पर लगाए गए ट्रंप के टैरिफ़ का कड़ा विरोध करते नज़र आए.
जॉन बोल्टन ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा, ”ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर टैरिफ़ लगाया, लेकिन चीन पर नहीं लगाया जबकि वो भी रूस से तेल खरीदता है. इससे भारत चीन-रूस के और क़रीब जा सकता है. ट्रंप प्रशासन की यह अनदेखी उसकी अपनी बनाई हुई ग़लती है.”
बोल्टन ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे लेकिन 2019 में ट्रंप ने उन्हें हटा दिया था. तब से वह ट्रंप के कट्टर विरोधी हो गए हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित