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भारत की राजधानी दिल्ली इस समय दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है और प्रदूषण सिर्फ़ लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि राजधानी के राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित कर रहा है.
बढ़ते प्रदूषण और दम घोंटू हवा के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रैप 4 के तहत आपातकालीन क़दम उठाते हुए दफ़्तरों में 50 फ़ीसदी लोगों का घर से काम करना अनिवार्य कर दिया है.
साथ ही निर्माण और तोड़फोड़ जैसी उन सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनसे धूल उड़ने या प्रदूषण बढ़ने का ख़तरा हो.
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली का प्रदूषण हर साल होता है और इसको दूर करने के लिए दीर्घकालिक योजना की ज़रूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और दिल्ली नगर निगम (एमसीडीसी) से दिल्ली की सीमा पर स्थित एमसीडी की 9 टोल चौकियों को भी अस्थायी रूप से बंद करने या कहीं और स्थानांतरित करने के लिए कहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मापदंडों के आधार पर दिल्ली की हवा इस समय ‘बेहद ख़तरनाक श्रेणी में है.
बीते सप्ताह दिल्ली का एक्यूआई हर दिन 300 के पार रहा है और कुछ दिनों में यह 500 के भी ऊपर रहा है.
एक्यूआई यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स या वायु गुणवत्ता सूचकांक वो पैमाना है जिस पर हवा में प्रदूषण फैलाने वाले तत्वों की मात्रा को मापा जाता है.
दिल्ली में प्रदूषण पर राजनीति
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एक तरफ़ दिल्ली सरकार ये दिखाने का प्रयास कर रही है कि वह प्रदूषण को लेकर गंभीर है तो दूसरी तरफ़ दिल्ली में इस मुद्दे पर जमकर राजनीति भी हो रही है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है, “दिल्ली को प्रदूषण की बीमारी आम आदमी पार्टी ने दी है और हम इसे ठीक करने में लगे हैं.”
दिल्ली में गंभीर हो रही प्रदूषण की स्थिति को लेकर मंजिंदर सिंह सिरसा ने माफ़ी मांगते हुए कहा, “मैं दिल्ली के प्रदूषण के लिए माफ़ी मांगता हूं. हमने हर दिन एक्यूआई को कम किया है.”
वहीं आम आदमी पार्टी दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर है.
सिरसा के बयान के बाद आप विधायक और पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने एक एक्स पर किए एक पोस्ट में कहा, “आज भाजपा सरकार प्रदूषण के लिए माफ़ी मांग रही है. मगर ये वो फ़्रॉड लोग हैं जिन्होंने सरकार बनने के एक महीने बाद ही साफ़ हवा के दावे करने शुरू कर दिए. इन्हें लगा एक्यूआई के डेटा में फर्ज़ीवाड़ा करके सारे देश को बेवकूफ बना देंगे.”
केजरीवाल की ग़ैर-मौजूदगी पर सवाल
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आम आदमी पार्टी ने हाल के दिनों में दिल्ली में प्रदूषण के ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी किए हैं.
सौरभ भारद्वाज और पार्टी के कई अन्य स्थानीय नेता प्रदूषण के मुद्दे पर मुखर रहे हैं लेकिन इस सबके बीच आम आदमी पार्टी के संयोजक और तीन बार मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल ने इस गंभीर मुद्दे पर बहुत सीमित बयान दिए हैं.
इसी बीच, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी अरविंद केजरीवाल की ग़ैर-मौजूदगी को लेकर सवाल उठाया.
रेखा गुप्ता ने इसी सप्ताह एक्स पर अपना एक बयान शेयर करते हुए लिखा, “दिल्ली में प्रदूषण की समस्या का हम दिल्ली में रहकर समाधान निकाल रहे हैं. हम उनके जैसे नहीं हैं कि दिल्ली को उसके हाल पर छोड़ कर हर 6 महीने विपश्यना करने भाग जाएं.”
रेखा गुप्ता के इस पोस्ट के जवाब में केजरीवाल ने लिखा, “आपका मुझसे राजनैतिक बैर है. इसके चलते आपका इस तरह से भगवान बुद्ध द्वारा सिखाई गई दिव्य विपश्यना साधना विधि का मज़ाक़ उड़ाना आपको शोभा नहीं देता. विपश्यना करने जाने को भाग जाना नहीं कहते.”
हालांकि, इस प्रतिक्रिया में उन्होंने दिल्ली में मौजूदा प्रदूषण की स्थिति पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की और ना ही ये बताया कि दिल्ली का मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने प्रदूषण से निपटने के लिए क्या ठोस क़दम उठाए.
केजरीवाल का रेखा गुप्ता पर पलटवार
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हालांकि, केजरीवाल ने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के प्रदूषण को लेकर बयानों पर निशाना ज़रूर साधा है.
हाल ही में, रेखा गुप्ता ने एक साक्षात्कार के दौरान एक्यूआई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर छिड़काव से जुड़े सवाल पर कहा था, “छिड़काव हॉटस्पॉट पर ही तो करेंगे, मॉनिटर पर करके एक्यूआई डाउन होता है क्या? एक्यूआई एक ऐसा आपका टेंपरेचर है, जो आपको किसी भी इंस्ट्रूमेंट से पता चलता है, तो उसमें पानी छिड़कना ही एकमात्र समाधान है, जो हम भी कर रहे हैं और पिछली सरकारें भी करती थीं.”
8 दिसंबर को अरविंद केजरीवाल ने एक्स पर किए गए एक पोस्ट में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री ने ये मान लिया है कि आंकड़ों को छुपाकर ‘हवा साफ़’ दिखाने का खेल चल रहा है.
रेखा गुप्ता पर सीधी टिप्पणी करते हुए केजरीवाल ने कहा, “ये नया विज्ञान कब आया कि एक्यूआई अब टेंपरेचर बन गया?”
दिल्ली सरकार पर एक्यूआई के डेटा को प्रभावित करने के आरोप लगते रहे हैं.
मीडिया में प्रकाशित कई रिपोर्टों में ये दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार एक्यूआई डेटा को प्रभावित करने के लिए मॉनिटरिंग स्टेशनों के आसपास पानी का छिड़काव कर रही है.
बीबीसी की एक ग्राउंड रिपोर्ट में भी एक्यूआई मॉनिटरिंग स्टेशन के पास लगातार पानी का छिड़काव होता हुआ दिखा था.
अब तक प्रदूषण को लेकर केजरीवाल ने क्या कहा?
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मुख्यमंत्री के बयानों पर प्रतिक्रिया देने के अलावा, अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दों पर सीमित बयान ही दिए हैं.
उन्होंने 28 नवंबर को एयर प्यूरिफ़ायर और वॉटर प्यूरिफ़ायर पर जीएसटी हटाने की मांग करते हुए लिखा था, “समाधान नहीं दे सकते तो कम से कम जनता की जेब पर बोझ डालना बंद कीजिए.”
अरविंद केजरीवाल ने 7 नवंबर को पंजाब में पराली जलाने में आई कमी से संबंधित एक रिपोर्ट को एक्स पर शेयर करते हुए पंजाब सरकार को बधाई दी थी.
दिल्ली में प्रदूषण के लिए आसपास के राज्यों में पराली जलाए जाने को कारण बताया जाता रहा है.
हालांकि, रिपोर्टों के मुताबिक़, इस साल पंजाब समेत अन्य राज्यों में पराली जलाए जाने की घटनाओं में कमी आई है, बावजूद इसके दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर बनी हुई है.
6 नवंबर को केजरीवाल ने प्रदर्शन के आह्वान से जुड़ी एक सोशल मीडिया पोस्ट को साझा करते हुए दिल्ली के लोगों से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की थी.
दिल्ली में प्रदूषण के ख़िलाफ़ अब तक पांच बार प्रदर्शन हुए हैं लेकिन केजरीवाल किसी प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए.
अरविंद केजरीवाल ने अपना राजनीतिक करियर भ्रष्टाचार और दूसरे मुद्दों के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों से ही आगे बढ़ाया था. लेकिन केजरीवाल प्रदूषण के मुद्दे पर ज़मीनी स्तर पर सक्रिय दिखाई नहीं दिए हैं.
हालांकि, सोशल मीडिया के ज़रिए उन्होंने दिल्ली में प्रदूषण के लिए बीजेपी सरकार पर निशाना ज़रूर साधा है.
तीन नवंबर को दिल्ली में प्रदूषण से जुड़ी एक ख़बर को शेयर करते हुए केजरीवाल ने लिखा, “चार इंजन की सरकार ने सब बेड़ा गर्क कर दिया है. दिल्ली के लोगों से मेरी अपील है कि अपना ध्यान रखें. ये सरकार आपके लिए कुछ नहीं करने वाली.”
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण कम करने के लिए कृत्रिम बारिश कराने के लिए आईआईटी कानपुर की मदद से क्लाउड सीडिंग कराने का प्रयास किया था जो नाकाम रहा था.
इस पर टिप्पणी करते हुए 29 अक्तूबर को केजरीवाल ने पोस्ट किया था, “दरअसल इस सरकार के सारे इंजन ही फ़ेल हैं. ये सरकार ही पूरी तरह से फ़ेल है.”
केजरीवाल की दिल्ली से दूरी

विश्लेषक मान रहे हैं कि दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से जुड़े मुद्दों या राजधानी की राजनीति से एक स्पष्ट दूरी बनाई है.
अरविंद केजरीवाल 12-14 दिसंबर के बीच तीन दिन के गोवा दौरे पर थे. उससे पहले वह 7-9 दिसंबर के बीच गुजरात में थे.
यही नहीं, अरविंद केजरीवाल के एक्स अकाउंट पर किए गए पोस्ट से पता चलता है कि बीते तीन महीनों के दौरान उन्होंने अधिकतर समय पंजाब में बिताया और राज्य में कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया.
विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि दिल्ली में सत्ता गंवाने के बाद से अरविंद केजरीवाल का पूरा ध्यान पंजाब पर है.
वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री कहते हैं, “पिछले दस सालों में, जब दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर हुई, केजरीवाल ही सत्ता में थे. यदि वो प्रदूषण पर बहुत मुखर होंगे तो सवाल उनसे ही होगा कि दस साल तक आप क्या कर रहे थे.”
पंजाब यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार मानते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर बहुत सक्रिय ना होना ही केजरीवाल के लिए राजनीतिक रूप से ठीक है और उनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
प्रोफ़ेसर आसुतोष कुमार कहते हैं, “दिल्ली में कुछ महीने पहले ही सत्ता परिवर्तन हुआ है, ऐसे में प्रदूषण को राजनीतिक मुद्दा ना बनाना ही केजरीवाल के लिए सही है क्योंकि अगर वो बहुत ज़्यादा बोलेंगे तो सवाल उनसे ही होंगे.”

विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के मुद्दे पर चुप रहकर केजरीवाल स्थानीय नेतृत्व को मज़बूत होने का मौक़ा दे रहे हैं.
प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, “प्रदूषण पर उनकी चुप्पी और ग़ैर मौजूदगी आम आदमी पार्टी के लिए मददगार ही है क्योंकि ये व्यक्ति आधारित पार्टी है, ऐसे में प्रदूषण के लिए जवाबदेही केजरीवाल पर ही आएगी पार्टी पर नहीं.”
वहीं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश केजरीवाल का मानना है कि भले ही केजरीवाल प्रदूषण के मुद्दे पर बहुत सक्रिय ना हों लेकिन उनकी पार्टी इसे दिल्ली में ज़ोर-शोर से उठा रही है.
मुकेश केजरीवाल कहते हैं कि चूंकि अरविंद केजरीवाल इस समय सत्ता में नहीं है ऐसे में उनकी सीधी जवाबदेही नहीं बनती है, हालांकि उनसे ये सवाल ज़रूर किया जाएगा कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने प्रदूषण कम करने के लिए क्या किया.
मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा है जिससे निपटने के लिए दीर्घकालिक क़दम उठाने की जरूरत होती है. सरकारें इसे लेकर काम कर रही होती हैं, विपक्ष सरकार की ग़लतियों पर ध्यान दिलाता है और आम आदमी पार्टी फिलहाल यही कर रही है.”
विश्लेषक यह भी मान रहे हैं कि दिल्ली में सत्ता जाने के बाद से केजरीवाल बहुत सक्रिय नहीं हैं.
मुकेश केजरीवाल कहते हैं, “सिर्फ़ प्रदूषण ही नहीं, केजरीवाल ने दिल्ली के अन्य मुद्दों पर बोलना बहुत सीमित कर दिया है. वो दिल्ली सरकार के साथ किसी भी मुद्दे पर बहुत आक्रामक नहीं हैं.”
पंजाब पर ध्यान देना केजरीवाल की मजबूरी
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विश्लेषक इस बात पर एकमत हैं कि हाल के महीनों में अरविंद केजरीवाल पंजाब में अधिक सक्रिय रहे हैं और उनका पूरा ध्यान इस समय वहीं है.
प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार कहते हैं, “पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है जहां आम आदमी पार्टी सत्ता में है और यहां भी उप-चुनाव जीतने के बावजूद पार्टी ज़मीनी स्तर पर बहुत अच्छा करती हुई दिखाई नहीं दे रही है.”
इसका कारण बताते हुए प्रोफ़ेसर कुमार कहते हैं, “पार्टी के सामने वादे पूरे करनी की चुनौती हैं. राज्य पर क़र्ज़ बढ़ रहा है, ड्रग्स, रेत माफ़िया और स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार बड़े मुद्दे बन रहे हैं. गैंगस्टर भी बड़ी समस्या हैं. “
वहीं वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्नीहोत्री मानते हैं कि पंजाब में सत्ता बरक़रार रखना आम आदमी पार्टी के लिए अस्तित्व का सवाल होगा और यही वजह है कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे पार्टी के शीर्ष नेता व्यावहारिक रूप से पंजाब शिफ़्ट हो गए हैं.
विनोद अग्निहोत्री कहते हैं, “अगर पंजाब हाथ से निकल जाता है तो आम आदमी पार्टी का जो ग्राफ़ दिल्ली का चुनाव हारने के बाद गिरा है वो और नीचे चला जाएगा और पार्टी के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती होगी.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.