डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2025 अब विदाई की देहरी पर खड़ा है। अगर इसे किसी किस्सागो से सुना जाए तो वह कहेगा- प्रिय 2025, तुम किसी पूरी कहानी जैसे थे। तुम्हारे पन्नों में ताकत दिखाती राजनीति भी थी और नीली जर्सी में चौके-छक्के लगाती बेटियों का जादू भी। सपनों का सिरा थामे अमेरिका पहुंचे भारतीयों को हथकड़ियों और बेड़ियों के साथ लौटते देखा तो 50 प्रतिशत टैरिफ की खबर ने माथे पर चिंता की लकीरें खींच दीं।
आसमान से गिरते विमान ने दिल दहलाया तो इंसानी कठघरे में खड़े आवारा कुत्तों को सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर द्वार दिखाया। साइबर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ का जाल बिछा बड़े-बड़े समझदारों की जमा-पूंजी उड़ा ली। 2025 उथल-पुथल, उम्मीद और सवालों से भरा रहा। भारत और दुनिया को खुद के बारे में नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया। आइए 2025 की उन घटनाओं को रीकैप करें, जिनका हम पर असर पड़ा..
‘मैन ऑफ द ईयर’ ट्रंप के फैसलों ने दिखाया आईना
अमेरिका में जब डोनल्ड ट्रंप ने दोबारा सत्ता संभाली, तब भारत में एक अलग ही माहौल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप को अपना ‘दोस्त’ बताते हुए जीत की बधाई दी। हाउडी मोदी, क्वाड और रक्षा समझौते की यादें ताजा कीं। सर्वे बता रहे थे कि तीन-चौथाई भारतीय ट्रंप की वापसी से खुश थे, लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी।
ट्रंप ने सत्ता संभालने के 72 घंटे के भीतर ही गैर-प्रतिबंधित आयात पर 10% पारस्परिक टैरिफ लगा दिया, जिससे भारतीय वस्तुओं – कपड़ा, समुद्री भोजन, ऑटो पार्ट्स पर शुल्क बढ़कर 26% हो गया। भारत के $40 बिलियन (3.32 लाख करोड़ रुपये) के व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) पर असर पड़ा। गुजरात और तमिलनाडु के छोटे कारोबारियों के ऑर्डर रद होते रहे। ये तो बस शुरुआत थी।

हथकड़ियों और बेड़ियों में US से लौटे भारतीय
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में अवैध प्रवासियों को ढूंढ-ढूंढ कर बाहर का रास्ता दिखाया। भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ा। 5 फरवरी, 2025 को अवैध तरीके से अमेरिका गए भारतीयों को लेकर अमेरिकी वायुसेना का सी-17 विमान अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरे।
जब विमान के दरवाजे खुले तो जो तस्वीर दिखी, उसने न सिर्फ सपनों को तोड़ा, बल्कि भारतीय सरकारी सिस्टम पर सीधा तमाचा भी जड़ा। अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाकर भारत भेजा गया था।

ट्रंप का टैरिफ और रूसी तेल
अगस्त 2025 में ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया कि इंडिया रूस फंडिंग कर रहा है, जिससे यूक्रेन जंग में लोग मारे जा रहे हैं। जबकि भारत अपनी ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस से कच्चा तेल खरीद रहा था, न कि वैश्विक राजनीति का हिस्सा बनने के लिए। अगस्त के आखिरी दिनों में आरोप टैरिफ बम बनकर बरसे।
ट्रंप ने एलान किया- ‘भारत से आने वाले सामान पर 50% टैक्स लगेगा। वजह बेहद साफ और कड़वी थी- भारत का सस्ते दाम पर रूसी तेल खरीदना। ट्रंप ने कहा- ‘मुझे फर्क नहीं पड़ता कि भारत रूस के साथ क्या करता है।’ ट्रंप का यह कहना महज एक बयान नहीं था, यह चेतावनी थी और भारत के लिए बड़ा झटका भी।
आत्मनिर्भरता और वैकल्पिक कूटनीति
खैर, भारत न रुका और झुका। आत्मनिर्भर भारत की बात अचानक दूरदर्शी लगने लगी। सेमीकंडक्टर, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स पर निवेश बढ़ा। अमेरिका को होने वाला निर्यात घटा, लेकिन साथ ही नए बाजार तलाशे गए। बातचीत कठिन थी, मगर जारी रही। एक छोटा समझौता हुआ और बड़े समझौते की उम्मीद 2026 के लिए छोड़ दी गई।
इसी बीच रिश्तों की रणनीतिक तस्वीर भी बदली। अमेरिकी दस्तावेजों में भारत का जिक्र कम हुआ। चीन से अमेरिका की नजदीकी बढ़ी, पाकिस्तान को एफ-16 मिले। भारत ने भी यूरोप, ब्रिक्स, रूस और एशिया की ओर रुख किया। यह साल भारत को सिखा गया कि दोस्ती स्थायी नहीं होती, संतुलन जरूरी होता है।

बंदिशों ने किया मजबूत
ट्रंप ने एच-1बी वीजा और स्टूडेंट्स वीजा के न सिर्फ नियम कड़े किए, बल्कि H-1B वीजा की फीस भी बढ़ा दी। इससे अमेरिका जाने का सपना देख रहे हजारों भारतीय परिवार ठहर गए। हैदराबाद और बेंगलुरु में मायूसी फैल गई, लेकिन यहीं से एक नई कहानी भी शुरू हुई। अनुभवी प्रोफेशनल्स भारत लौटे, स्टार्टअप्स को ताकत मिली। जो नीति भारत को रोकना चाहती थी, वही भारत को मजबूत करने लगी।
वुमन ऑफ द ईयर: रात के अंधेरे में चमकी नीली जर्सी
2 नवंबर, 2025 की आधी रात। जैसे ही दीप्ति शर्मा ने आखिरी ओवर की तीसरी गेंद फेंकी। अफ्रीका की नादिन डी क्लार्क ने बल्ले से हिट की और हरमनप्रीत कौर ने लपक कर पकड़ ली, उस पल पूरा भारत खुशी से झूम उठा।
दरअसल, भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने पहली बार वनडे वर्ल्ड कप जीतकर इतिहास रख दिया था। यह ऐतिहासिक सफलता केवल कप्तान हरमनप्रीत कौर के साहस का परिणाम नहीं थी, बल्कि टीम की हर खिलाड़ी के धैर्य, दृढ़ता और अटूट आत्मविश्वास की जीत थी।
यह सिर्फ ट्रॉफी नहीं थी, भरोसे की जीत थी और 2017 के उस दर्द के लिए मरहम था, जब 7 रन से वर्ल्ड कप जीतने का सपना टूट गया था। स्टेडियम खचाखच भीड़ से भरा था। रिकॉर्ड इनाम मिले और साथ ही संदेश भी कि क्रिकेट अब सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं।

इस जीत ने फिल्म ‘चक दे इंडिया’ की यादें ताजा कर दीं। टीम के मुख्य कोच अमोल मजूमदार एक ‘असली कबीर खान’ बनकर उभरे, जिन्होंने एक खिलाड़ी के तौर पर कभी राष्ट्रीय टीम में जगह न मिल पाने के बावजूद, कोच के रूप में टीम को विश्व विजेता बनाया।
आवारा कुत्ता: सड़क से शेल्टर तक चर्चित रहा
साल 2025 में किसी जानवर की बात की जाए तो आवारा कुत्ते सबसे ज्यादा चर्चित रहे। जहां कुछ लोगों के लिए गली-मोहल्ले का कुत्ता एक भरोसेमंद साथी है, जो अंधेरी गलियों में सुरक्षा का एहसास कराता है। वहीं कुछ लोगों के लिए वही कुत्ता डर, चिंता और सड़कों पर फैलती अव्यवस्था का प्रतीक बन गया। यह डर बेवजह नहीं है।
दिल्ली से लेकर मुंबई और तमिलनाडु तक आवारा कुत्तों का आतंक की खबरें मिलती। तमिलनाडु में नवंबर तक कुत्तों के काटने के मामले 5 लाख तक पहुंच गए। महाराष्ट्र के तीन साल के मासूम अरमान को कुत्तों ने नोंच-नोंचकर मार डाला। अनगिनत दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आईं। आखिर में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर में रखने का आदेश दिया।

आवारा कुत्ता आतंक की पूरे साल पर चर्चा रही, लेकिन लेकिन साल के आखिरी महीने में बंगाल से एक ऐसी खबर भी आई, जिसने हम सबको भावुक भी किया। बंगाल में सड़क पर छोड़ी गई एक नवजात बच्ची को आवारा कुत्तों के झुंड ने घेरकर सुरक्षित रखा, जब तक कोई मदद के लिए नहीं आया और बच्ची को अस्पताल नहीं पहुंचाया गया।
डिजिटल अरेस्ट: न चाकू न कट्टा, सिर्फ गिरफ्तारी के डर वाली लूट
साल 2015 में सबसे चर्चित शब्द रहा ‘डिजिटल अरेस्ट’। साल 2025 में अनजान फोन कॉल्स लोगों को डराने लगे। मन में पहला सवाल आता था- कहीं ईडी, एनआईए या पुलिस तो नहीं? इसी डर का फायदा उठाकर ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम का सबसे खतरनाक और कमाई वाले साइबर स्कैम किया।
इस ठगी में कॉल करने वाले खुद को जांच एजेंसियों का अधिकारी बताते थे। वे लोगों को खासकर बुजुर्गों को वीडियो कॉल पर घंटों, कभी-कभी कई दिनों तक बैठे रहने को मजबूर करते थे। नकली गिरफ्तारी, झूठी पूछताछ और फर्जी केस दिखाए जाते थे। डराया जाता था कि अगर तुरंत पैसे नहीं दिए गए, तो जेल जाना पड़ेगा।
पीड़ितों को लगता था कि पैसे देकर ही रिहाई मिल सकती है। जब कॉल से रिहाई मिलती, तब तक बैंक खाते और जमा-पूंजी जा चुकी होती थी। दैनिक जागरण की ‘लुटेरा ऑनलाइन है’ से लेकर सरकारी जागरूकता अभियानों के बावजूद यह ठगी रुक नहीं पाई।

सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो सितंबर 2024 से अब तक साइबर क्राइम ब्यूरो ने 8,031 करोड़ की फर्जी लेन-देन रोका। 24.6 लाख फर्जी बैंक खातों की पहचान की है। इससे साफ है कि यह घोटाला कितना बड़ा है और इससे लड़ाई कितनी मुश्किल।
एम डैश (—): इंसानी चिह्न बना AI की पहचान
जब कोई लेखक लिखते समय बीच में ठहरने की जगह देता, तब एम डैश (—) फिर से वाक्य को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता। यह चिह्न बातों को खुलकर समझाने में मदद करता। लेकिन साल 2025 में इसका नया मतलब निकलकर सामने आया। जब किसी लेख में या बड़ी बहुत ज्यादा चमकदार और परफेक्ट स्टोरी में एम डैश (—) नजर आता है तो मान लिया जाता है कि यह एआई से लिखा कंटेंट है। यह बदलाव अपने आप में बताता है कि लिखने-पढ़ने की दुनिया किस तेजी से बदल रही है।