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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सभी शिक्षण संस्थानों में ‘वंदे मातरम’ गाना अनिवार्य किया जाएगा. इसको लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आ रही है.
इस बीच प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के लोधा विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय शाहपुर क़ुतुब में बुधवार को प्रार्थना सभा के दौरान ‘वंदे मातरम’ को लेकर विवाद गहरा गया.
बताया जा रहा है कि सहायक अध्यापक शम्सुल हसन को प्रार्थना सभा में वंदे मातरम का विरोध करने के बाद निलंबित कर दिया गया है.
हालाँकि शम्सुल हसन ने बीबीसी से कहा है कि उन्हें फंसाया जा रहा है.
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शम्सुल हसन पर अनुशासनहीनता, शिक्षक आचरण नियमों के उल्लंघन और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है. ज़िला प्रशासन और शिक्षा विभाग दोनों ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच और क़ानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है.
अलीगढ़ के बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश प्रताप सिंह ने कहा, ”हमने इस मामले की जांच कराई है. यह सही पाया गया है. इसके बाद शम्सुल हसन को निलंबित कर दिया गया है. आगे नियमों के तहत कार्रवाई की जा रही है.”
प्रार्थना सभा के दौरान शुरू हुआ विवाद
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यह घटना 12 नवंबर की सुबह तब हुई जब स्कूल में नियमित प्रार्थना सभा चल रही थी.
बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) के मुताबिक़ राष्ट्रगान के बाद सहायक अध्यापक चंद्रपाल सिंह बच्चों से वंदे मातरम का उच्चारण करा रहे थे. जैसे ही ‘वंदे मातरम’ का नारा लगाया गया, वहां मौजूद सहायक शिक्षक शम्सुल हसन ने इसका विरोध कर दिया.
बीएसए के मुताबिक़ स्कूल के स्टाफ़ के अनुसार, हसन ने चंद्रपाल सिंह से कहा, “यह यहाँ नहीं चलेगा.” आरोप है कि उन्होंने यह भी कहा कि यह उनकी मज़हबी मान्यताओं के ख़िलाफ़ है.
इसके बाद स्कूल की प्रिंसिपल सुषमा रानी ने लिखित शिकायत में बताया कि शम्सुल हसन ने गुस्से में यह भी कहा कि ‘यहां मुस्लिम बच्चे हैं.’
प्रशासन के मुताबिक़ प्रिंसिपल सुषमा रानी और अन्य शिक्षक भी वहाँ पहुँच गए और उन्होंने वंदे मातरम के समर्थन में अपनी बात रखी.
शिक्षकों ने मामले की सूचना खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) रामशंकर कुरील को दी, जिन्होंने स्कूल पहुंचकर सभी के बयान दर्ज किए.
बीएसए ने लिया संज्ञान, हसन निलंबित
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मामला गंभीर होने पर बीएसए डॉक्टर राकेश कुमार सिंह दोपहर में स्कूल पहुंचे और तथ्य जुटाने के बाद शम्सुल हसन को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया.
बीएसए ने कहा, “लिखित बयान से स्पष्ट है कि शिक्षक ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ दोनों ही नारों का विरोध किया है, जो शिक्षक आचरण नियमावली का घोर उल्लंघन है.”
उन्होंने आगे कहा, “शिक्षा मंत्रालय ने वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर वर्षभर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश जारी किए हैं. ऐसे में इस तरह का विरोध अनुशासनहीनता के साथ धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी है.”
निलंबन के दौरान शम्सुल हसन को गंगीरी ब्लॉक के उच्च प्राथमिक विद्यालय राजगहीला से संबद्ध किया गया है.
बीएसए ने डीएम और सीडीओ को भी मामले की जानकारी भेज दी है. साथ ही विभागीय जांच के लिए खैर के बीईओ सुबोध कुमार को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है.
उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि निर्धारित समयसीमा में आरोप पत्र जारी कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें.
शिक्षक ने कहा- ‘नहीं किया विरोध’
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शम्सुल हसन ने अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने वंदे मातरम का कोई विरोध नहीं किया है. उन्होंने बीबीसी से फ़ोन पर कहा, ”मुझे फंसाया जा रहा है.”
लेकिन नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर एक शिक्षा अधिकारी ने बताया कि शम्सुल हसन ने अपना लिखित पक्ष अधिकारियों को सौंपा है.
उनके अनुसार, “स्कूल की असेंबली में पहली बार वंदे मातरम का नारा लगवाया गया था.”
शम्सुल हसन ने कहा, ”स्कूल में मिड डे मील को लेकर पहले से आपस में विवाद चल रहा है. इसलिए जानबूझकर मुझे निशाना बनाया गया है.”
अपना पक्ष रखते हुए हसन ने कहा, ”मैंने ख़ुद वंदे मातरम कहा और बच्चों ने भी कहा लेकिन शिकायतकर्ता अध्यापक ने कहा कि ‘तुमने नहीं बोला.’ तो मैंने कहा कि बोला है, लेकिन जब वो ज़्यादा ज़िद करने लगे तो मैंने बोला कि फिर उसको बंद कर दो, यही मेरी ग़लती है.”
शम्सुल हसन ने शिक्षा अधिकारियों से अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने कोई अभद्रता नहीं की है.
उनके मुताबिक़ मामला उतना गंभीर नहीं था जितना बताया गया है, बल्कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. हालांकि स्कूल स्टाफ के कई सदस्यों ने बहस की पुष्टि की है.
शम्सुल हसन ने बीबीसी से दावा किया कि गाँव वाले उनके पक्ष में हैं. वो इस स्कूल में साल 2005 से पढ़ा रहे हैं.
हसन ने कहा, ”मेरी सबसे बड़ी ग़लती है कि मैं मीडिया के सामने नहीं आया कि अपना पक्ष बता सकूँ.”
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने घटनाक्रम के बारे में उनसे लिखित में बयान ले लिया.
इस घटना के बाद बुधवार शाम शिक्षक चंद्रपाल सिंह ने शम्सुल हसन के ख़िलाफ़ रोरावर थाने में तहरीर दी और पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.
अलीगढ़ के एसपी मयंक पाठक ने बताया, “हमें सूचना मिली कि विद्यालय परिसर में एक शिक्षक द्वारा वंदे मातरम के विरोध की घटना हुई. पुलिस टीम ने मौके पर जांच की और तहरीर के आधार पर मुक़दमा दर्ज किया गया है.”
उन्होंने कहा कि विभागीय कार्रवाई भी समानांतर रूप से जारी है.
पुलिस ने जारी प्रेस नोट में बताया कि शम्सुल हसन के ख़िलाफ़ जानबूझकर अपमान, डराने-धमकाने और सार्वजनिक शांति भंग करने से जुड़ीं बीएनएस की धारा 351(2), 352, 292 के तहत मुक़दमा लिखा गया है.
वंदे मातरम को लेकर राजनीतिक विवाद
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वंदे मातरम् को अनिवार्य करने के मामले पर प्रदेश में राजनीति भी तेज़ है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 13 नवंबर को बरेली में कहा, “मुख्यमंत्री जी की कुर्सी जब हिलने लगती है तो वो साम्प्रदायिक हो जाते हैं.”
उन्होंने कहा, “यह बहस आज हम कर रहे हैं, क्या उस समय जो संविधान के निर्माता थे उन्होंने बहस नहीं की? इसीलिए राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत दिया. अगर यही होता कि इसे गाना ज़रूरी है तो क्यों अनिवार्य नहीं किया गया? उन्होंने लोगों की चॉइस पर छोड़ दिया था.”
अखिलेश यादव ने यह भी कहा, “भाजपाइयों से कई बार पूछा गया कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत क्या है, तो वे नहीं जानते थे. भाजपाई राष्ट्रगीत गा नहीं पाए.”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के स्कूलों में वंदे मातरम के गायन के फैसले के विरोध पर पहली प्रतिक्रिया दी है.
वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के कार्यक्रम के दौरान 11 नवंबर को बाराबंकी ज़िले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “जो भी वंदे मातरम का विरोध कर रहा है, वह भारत माता का विरोध कर रहा है.”
उन्होंने कहा कि आज भी कुछ लोग हैं, रहेंगे हिंदुस्तान में, खाएंगे हिंदुस्तान में, लेकिन वंदे मातरम नहीं गाएंगे.
इस गीत को स्कूलों में अनिवार्य किए जाने के ऐलान से मुस्लिम नेताओं ने भी ऐतराज़ जताया है.
संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद ज़ियाउर्रहमान बर्क ने मीडिया से कहा कि किसी को यह गीत गाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है, क्योंकि संविधान ने सभी को स्वतंत्रता दे रखी है.
संभल से ही समाजवादी पार्टी के विधायक इक़बाल महमूद ने बीबीसी से कहा, “संसद में गाया जाता है, विधानसभा में जब यह गाया जाता है तो हम भी खड़े हो जाते हैं, जबकि हमें याद नहीं है.”
उन्होंने कहा, “हालाँकि राष्ट्रगान का हम सम्मान करते हैं और उसे गाते भी हैं, लेकिन वंदे मातरम का न तो समर्थन करते हैं और न ही विरोध.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित