इजरायल ने शुक्रवार की सुबह ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले किए हैं। हमले में ईरान के कई शीर्ष कमांडर भी मारे गए हैं। ईरान ने शुक्रवार रात को इजरायल पर जवाबी हवाई हमले किए जिसमें देश के दो सबसे बड़े शहरों यरुशलम और तेल अवीव में विस्फोटों की आवाज सुनी गई। ईरान ने इजरायल पर दो बार में लगभग 150 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं।
जागरण रिसर्च, नई दिल्ली। इजरायल ने शुक्रवार की सुबह ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमले किए हैं। हमले में ईरान के कई शीर्ष कमांडर भी मारे गए हैं। आइये जानते हैं कि कभी गुप्त रिश्ते रखने वाले ईरान और इजरायल एक दूसरे के जानी दुश्मन क्यों बन गए हैं और इस हमले के पीछे इजरायल का क्या मकसद है?
इजरायल और ईरान क्यों हैं दुश्मन
ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद नेतृत्व ने तुरंत अमेरिका और इजरायल को अपने मुख्य शत्रु के रूप में पहचाना। इसकी वजह इस्लामी क्रांति से पहले ईरान के शासकों की अमेरिका और पश्चिमी देशों से करीबी थी। 1948 में इजरायल की स्थापना होने पर ज्यादातर मुस्लिम देश ने उसे मान्यता देने से मना कर दिया। अरब देशों के साथ असहज रिश्ते रखने वाला शिया बहुल देश ईरान इसका अपवाद था।
ईरान ने इजरायल को आधिकारिक तौर पर तो मान्यता नहीं दी लेकिन साझा रणनीतिक चिंताओं की वजह से दोनों ने गुप्त रिश्ते रखे। शाह मोहम्मद रजा पहलवी के शासन में ईरान ने शीत युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के अनुकूल विदेश नीति अपनाई। उसका अहम क्षेत्रीय सहयोगी अमेरिका था।
इजरायल अमेरिका के साथ समर्थन पर निर्भर था, ऐसे में उस समय उसने ईरान को अपना स्वाभाविक सहयोगी माना। ईरान के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी इस्लामी क्रांति से पहले नए नेताओं की उपेक्षा की वजह से देश से भाग गए थे। उस समय वह गंभीर रूप से बीमार थे।