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- Author, मोहर सिंह मीणा
- पदनाम, बीबीसी हिंदी के लिए, जयपुर से
गुजरात के अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने कई ज़िंदगियां छीन लीं. इसी हादसे के एक पीड़ित परिवार की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की जा रही है- तीन बच्चों और उनके माता-पिता की सेल्फ़ी, जो पेशे से डॉक्टर बताए जा रहे हैं.
ये वो परिवार था, जो कई साल बाद एक साथ रहने का अपना सपना पूरा करने के लिए यूनाइटेड किंगडम जा रहा था.
उड़ान से पहले ली गई यह सेल्फ़ी अब उनके परिजनों के लिए उनकी आख़िरी याद बनकर रह गई है.
इस दर्दनाक हादसे में डॉ. प्रतीक जोशी, उनकी पत्नी डॉ. कौमी व्यास, उनकी आठ साल की बेटी मिराया और पांच साल के जुड़वा बेटे प्रद्युत और नकुल की मौत हो गई है.
राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले के रहने वाले थे डॉ. प्रतीक
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गुजरात की सीमा से सटे राजस्थान के बांसवाड़ा ज़िले के रहने वाले डॉ. प्रतीक जोशी एक रेडियोलॉजिस्ट थे. वो पिछले क़रीब चार साल से यूके में रह रहे थे और रॉयल डर्बी हॉस्पिटल में बतौर रेडियोलॉजिस्ट काम कर रहे थे.
उनकी पत्नी, पैथोलॉजिस्ट डॉ. कौमी व्यास, उदयपुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के तौर पर काम कर रही थीं. उन्होंने एक महीने पहले इस्तीफ़ा दिया था और हादसे से दो दिन पहले ही कॉलेज से रिलीव हुई थीं.
अहमदाबाद में मौजूद डॉ. प्रतीक जोशी के कज़िन डॉ. चिंतन जोशी ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया, “लगभग बारह साल पहले डॉ. प्रतीक और डॉ. कौमी की शादी हुई थी. उनकी आठ साल की एक बेटी और पांच साल के जुड़वा बेटे थे.”
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डॉ. चिंतन ने कहा, “डॉ. प्रतीक के पिता डॉ. जयप्रकाश जोशी रेडियोलॉजिस्ट और मां डॉ. अनिता जोशी फ़िजिशियन हैं. वे बांसवाड़ा में ही प्रैक्टिस करते हैं. डॉ. प्रतीक की एक छोटी बहन शुभि जोशी हैं, जिन्होंने एमबीए किया है.”
डॉ. कौमी व्यास के छोटे भाई प्रबुद्ध हादसे के बाद से अहमदाबाद में हैं. बहन का परिवार खोने के बाद उन्होंने बीबीसी से फ़ोन पर बेहद दुखी आवाज़ में कहा, “हम तीन भाई-बहन हैं और कौमी दीदी सबसे बड़ी थीं. उनके तीनों बच्चे स्कूल जाते थे.”
कौमी व्यास के माता-पिता अब सेवानिवृत्त हैं. उनके पिता पीडब्ल्यूडी विभाग में इंजीनियर थे और मां निकुंज व्यास सरकारी स्कूल में शिक्षिका रही हैं. वे इन दिनों बांसवाड़ा में ही रहते हैं.
डीएनए टेस्ट रिपोर्ट का इंतज़ार
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डॉ. प्रतीक जोशी और डॉ. कौमी व्यास के माता-पिता समेत कई रिश्तेदार अहमदाबाद से लंदन के सफ़र पर रवाना हो रहे इस परिवार को विदा करने पहुंचे थे.
अब ये सभी परिजन अपनों के शवों की पहचान के लिए डीएनए सैंपल देने के बाद रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहे हैं.
प्रबुद्ध ने फ़ोन पर बातचीत में कहा, “पहचान के लिए परिवार का डीएनए टेस्ट हो चुका है. हमें बताया गया है कि रिपोर्ट आने में 72 घंटे लग सकते हैं, फिलहाल हम इंतज़ार कर रहे हैं.”
वह बताते हैं, “हमें कुछ दस्तावेज़ मिलने की सूचना दी गई है. फॉरेंसिक जांच के लिए भी हमसे कुछ निशानियां मांगी गई थीं, जो हमने अधिकारियों को दे दी हैं. अब पूरी प्रक्रिया पूरी होने का इंतज़ार है.”
“हमें लगातार फ़ोन के ज़रिए अपडेट मिल रहे हैं. डीएनए सैंपल तो हमने पहले ही दिन दे दिया था.”
कैसे मिली मौत ख़बर
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बांसवाड़ा के साथ-साथ डॉ. प्रतीक जोशी का एक घर अहमदाबाद में भी है. वह बांसवाड़ा से परिवार के साथ एक दिन पहले ही अहमदाबाद आ गए थे. यहीं से वह अपने परिवार के साथ लंदन जाने वाले थे.
डॉ. चिंतन कहते हैं, “माता-पिता के साथ मिलकर दोनों ने पैकिंग की और एयरपोर्ट पर हम सब उन्हें सी-ऑफ़ करने के लिए गए थे.”
“एयरपोर्ट से वापस निकले हमें क़रीब आधा घंटा ही हुआ था. इसके कुछ ही देर में हादसे की ख़बरें आने लगीं. लोग हमें फ़ोन कर पूछने लगे तभी हमें हादसे की जानकारी मिली.”
डॉ. कौमी व्यास के छोटे भाई प्रबुद्ध बताते हैं, “एयरपोर्ट से निकलने के कुछ समय बाद मीडिया में प्लेन हादसे की रिपोर्ट आने लगीं, मीडिया के ज़रिए हमें हादसे की सूचना मिली. हम तुरंत ही वापस एयरपोर्ट पहुंचे. वहां अफ़रा-तफ़री का माहौल था.”
इधर, प्लेन हादसे की सूचना में मृत्यु होने की जानकारी मिलते ही बांसवाड़ा के ज़िला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह यादव और पुलिस अधीक्षक हर्षवर्धन अग्रवाल उनके घर पहुंचे.
परिवार के साथ यूके में बसना चाहते थे डॉ. प्रतीक
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डॉ. प्रतीक जोशी कई साल पहले से ही परिवार के साथ यूके में बसने का मन बना चुके थे.
उन्होंने एफ़आरसीएस सहित कई अन्य मेडिकल परीक्षाएं पास की थीं और भारत के कई बड़े अस्पतालों में काम किया था. लेकिन, वह अक्सर अपने कज़िन डॉ. चिंतन जोशी से कहा करते थे कि वह अपनी शिक्षा और योग्यता के साथ न्याय करना चाहते हैं.
डॉ. चिंतन बताते हैं, “कोरोना से पहले भी वह क़रीब एक साल लंदन में ही रहे थे. उन्होंने परिवार के साथ वहीं सेटल होने का मन बनाया था. लेकिन कई फैक्टर के कारण वह वापस भारत आ गए थे. उसके बाद फिर लंदन गए और बीते चार साल से लंदन में ही थे.”
डॉ. प्रतीक की यह भी इच्छा थी कि बच्चों को एक ही जगह पर स्थिर माहौल में बड़ा किया जाए, इसलिए वह लंदन में ही स्थायी रूप से बसने की योजना बना रहे थे.
डॉ. चिंतन कहते हैं, “अब परिवार को साथ लेकर वहीं सेटल होने जा रहे थे. लेकिन, होनी को कुछ और ही मंजू़र था.”
डॉ. कौमी नौकरी छोड़ कर जा रही थीं यूके
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डॉ. कौमी व्यास एमडी पैथोलॉजिस्ट थीं और उदयपुर में उमरड़ा के पीआईएमसी में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के तौर पर सेवाएं दे रही थीं. उन्होंने यूके जाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी थी.
डॉ. कौमी व्यास के छोटे भाई प्रबुद्ध बताते हैं, “एक महीना पहले ही उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. एक महीने का नोटिस पीरियड सोमवार को ही पूरा हुआ था और बुधवार को वह लंदन जा रही थीं.”
डॉ. चिंतन कहते हैं, “लंदन का वीज़ा लग गया था और वहां बच्चों के स्कूल में एडमिशन का समय भी आ रहा था. इसलिए उन्होंने उदयपुर में पीआईएमसी में अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी. वह नहीं चाहती थीं कि एक साल और निकल जाए, इसलिए उन्होंने जल्द शिफ्टिंग का फ़ैसला लिया.”
नोटिस पीरियड पूरा होने पर डॉ. कौमी व्यास सोमवार को ही पीआईएमसी में अपने साथियों से मिलने गई थीं. उस दिन को याद कर उनके साथी रहे दुखी हैं.
पीआईएमसी में उनकी सहयोगी पैथोलॉजिस्ट डॉ. नंदना मीणा बीबीसी से कहती हैं, “हमें अब भी विश्वास नहीं हो पा रहा है कि डॉ. कौमी हमारे बीच नहीं हैं. वह बेहद सरल और मिलनसार स्वभाव की थीं. वह सोमवार को आई थीं और खुश थीं कि परिवार के साथ सेटल हो जाएंगी.”
पीआईएमसी में डॉ. कौमी की एक सहयोगी डॉ. ज्योति कहती हैं, “डॉ. कौमी व्यास ने लंदन जाने के लिए एक महीने पहले ही रिज़ाइन दिया था. पॉलिसी के तहत एक महीने का नोटिस पीरियड पूरा कर सोमवार को ही वह रिलीव हुई थीं.”
“वह एमडी पैथोलॉजिस्ट थीं और क़रीब सात साल से यहीं काम कर रही थीं. बीच में कुछ समय के लिए अपने पति के पास लंदन चली गई थीं और लौटने के बाद फिर से यहीं नौकरी कर रही थीं.”
डॉ. ज्योति अपनी साथी रहीं डॉ. कौमी को याद कर कहती हैं, “उनका स्वभाव बेहद अच्छा था. हमेशा मुस्कुराते हुए सभी से मिलती थीं. हम उनके लिए बहुत खुश थे कि बहुत समय बाद पूरा परिवार एक साथ रहेगा. डॉ. प्रतीक उनको लेने लंदन से आए थे. लेकिन, इस घटना के बाद से हम बेहद दुखी हैं.”
डॉ. प्रतीक को कैसे याद कर रहे उनके सहकर्मी
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यूके के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स ऑफ़ डर्बी एंड बर्टन एनएचएस फ़ाउंडेशन ट्रस्ट ने कहा, “ट्रस्ट, डॉ. जोशी और उनके परिवार की मौत से बेहद दुखी है.”
डॉ. जोशी के साथ काम कर चुके रेडियोलॉजिस्ट मारियो डिमिट्रियो डोनाडियो ने बीबीसी को बताया कि जब उन्हें इस ख़बर के बारे में पता चला, तो उन्हें काफी धक्का लगा.
उन्होंने अपने पूर्व सहकर्मी और फ्लैटमेट को “एक बेहतरीन प्रोफ़ेशनल” बताया और कहा कि मई में जब वह अन्य रेडियोलॉजिस्टों के साथ खाना खाने गए थे, तो डॉ. जोशी “बहुत खुश” थे.
डॉ. डोनाडियो ने बताया कि कुछ दिन पहले डॉ. जोशी ने उनसे कहा था कि वो अपने परिवार को यूके लाने की योजना बना रहे हैं ताकि “ज़िंदगी का एक नया चैप्टर” शुरू कर सकें, उस वक़्त वो “वाक़ई बेहद उत्साहित” थे.
डॉ. डोनाडियो ने कहा, “वो हमेशा हंसमुख रहने वाले शख़्स थे, उनका स्वभाव बहुत आकर्षक था. ऐसे लोगों को खोना, दुनिया के लिए एक बहुत बड़ा नुक़सान है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित