भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी ऊषा ने मंगलवार को रिलायंस इंडिया लिमिटेड के साथ स्पॉन्सरशिप में अनियमितता बरतने के दावों को ख़ारिज कर दिया है.
आईओए के कोषाध्यक्ष सहदेव यादव ने सीएजी की एक रिपोर्ट में रिलायंस इंडिया लिमिटेड (आरआईएल) के साथ स्पॉन्सरशिप डील में गड़बड़ी के कारण 24 करोड़ रुपए के नुक़सान की बात कही थी.
पीटी ऊषा ने सोशल मीडिया पर जारी किए अपने बयान में कहा है कि यह उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने के तहत किया जा रहा है.
पीटी ऊषा ने चेतावनी दी कि जो भी ग़लत सूचना फैलाने में शामिल है, उसके ख़िलाफ़ वह क़ानूनी कार्रवाई करेंगी.
आईओए ने बयान में क्या कहा
आईओए की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “पीटी ऊषा मज़बूती से उन दावों को ख़ारिज करती हैं, जिसमें सहदेव यादव ने कैग की रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि आईओसी की कार्यकारी परिषद को अंधकार में रख फ़ैसले लिए गए.”
“पीटी ऊषा के मुताबिक़ ये दावे जानबूझकर उनकी प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाने और आईओसी को बदनाम करने के लिए किए गए हैं.”
बयान में कहा गया है, “सच्चाई यह है कि पिछले साल 9 सितंबर को डील का प्रस्ताव कार्यकारी परिषद के सभी सदस्यों को दिया गया था. बाद में इसे एक्टिंग सीईओ ने पिछले साल पाँच अक्तूबर को आगे बढ़ाया था. स्पॉन्सरशिप कमिटी का प्रतिनिधित्व रोहित राजपाल कर रहे थे और समझौते से जुड़ी बातचीत के दौरान वह मौजूद थे.”
एक अगस्त 2022 को हुए स्पॉन्सरशिप समझौते की शर्तों के अनुसार, आरआईएल को एशियन गेम्स (2022, 2026), कॉमनवेल्थ गेम्स (2022, 2026), 2024 पेरिस ओलंपिक और 2028 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में आधिकारिक रूप से आईओए के साथ प्रमुख साझेदार की अनुमति दी गई थी.
इस समझौते में आरआईएल को ये भी अधिकार दिया गया था कि वो इन खेलों के दौरान “इंडिया हाउस” का निर्माण करे.
लेकिन पाँच दिसंबर 2023 को कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि समझौते में संशोधन करके आरआईएल को विंटर गेम्स (2026, 2030) और यूथ ओलंपिक गेम्स (2026, 2030) के अतिरिक्त अधिकार भी सौंप दिए गए थे. ऐसा इसलिए था क्योंकि इंटरनेशनल ओलंपिक कमिटी ने किसी भी स्पॉन्सर को नेशनल ओलंपिक कमिटी हाउस पर अपना नाम लिखे जाने का अधिकार देने से इनकार कर दिया था..”
बदनाम करने की कोशिश- पीटी ऊषा
पीटी ऊषा ने दावा किया है कि आरआईएल के साथ हुए समझौते में संशोधन के दौरान प्रक्रिया का पालन किया गया.
पीटी ऊषा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, “समझौते में अतिरिक्त धारा को बेंगलुरु के एनके लॉ से जुड़े भारत के अग्रणी खेल वकील नंदन कामथ के निर्देश में तैयार किया गया था. कार्यकारी सीईओ को इस बारे में संज्ञान में रखा गया था और सभी इमेल उन्हें भेजे गए थे.”
बयान के अनुसार, “डॉ. उषा ने इस पर हैरानी जताई थी कि समझौते में संशोधन के कुछ ही दिनों बाद आईओए की वित्त कमिटी और कोषाध्यक्ष ने कामथ की सेवाओं को समाप्त करने का फ़ैसला ले लिया था जबकि उन्होंने ही मई 2003 में कामथ को आईओए का क़ानूनी सलाहकार नियुक्त किया था.”
इसके अनुसार, “सभी फ़ैसले आईओए और भारतीय एथलीट्स के बेहतर हित में लिए गए थे और ये सुनिश्चित किया गया था कि कोई भी वित्तीय नुकसान न हो. जनता को गुमराह करने या आईओए के कार्यों को बदनाम करने की आगे से किसी भी कोशिश पर उचित क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी.”