सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाह के बाद पति या पत्नी यह नहीं कह सकते कि वे अपने जीवनसाथी से स्वतंत्र होना चाहते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अगर कोई स्वतंत्र रहना चाहता है तो उसे विवाह नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने एक दंपती के मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यह असंभव है कि विवाह के बाद पति या पत्नी यह कह सकें कि वे अपने जीवनसाथी से स्वतंत्र होना चाहते हैं। जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने आगाह किया कि अगर कोई स्वतंत्र रहना चाहता है, तो उसे विवाह नहीं करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा- हम बिल्कुल स्पष्ट हैं। कोई भी पति या पत्नी यह नहीं कह सकता कि जब तक हमारा विवाह जारी है, मैं अपने जीवनसाथी से स्वतंत्र रहना चाहता हूं। यह असंभव है। विवाह का मतलब क्या है? दो दिलों और दो व्यक्तियों का एक साथ आना। आप स्वतंत्र कैसे हो सकते हैं?
‘…तो हमें खुशी होगी’
शीर्ष अदालत एक दूसरे से अलग रह रहे एक दंपती के मामले की सुनवाई कर रही थी। उनके दो नाबालिग बच्चे भी हैं। पीठ ने कहा कि अगर पति-पत्नी साथ आ जाते हैं, तो हमें खुशी होगी, क्योंकि बच्चे बहुत छोटे हैं। उन्हें घर टूटा हुआ देखने को न मिले। दोनों पक्षों को मतभेद सुलझाने का निर्देश देते हुए पीठ ने कहा कि हर पति-पत्नी का आपस में कोई न कोई विवाद होता ही है।
‘ताली एक हाथ से नहीं बजती’
वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अदालत में पेश हुई पत्नी ने कहा, एक हाथ से ताली नहीं बज सकती। इस पर पीठ ने कहा कि हम आप दोनों से कह रहे हैं, सिर्फ आपको नहीं। महिला ने दावा किया कि उसका पति, जो सिंगापुर में रह रहा था और इस समय भारत में है, इस मामले को सुलझाने के लिए तैयार नहीं है। वह सिर्फ मुलाकात का अधिकार तथा बच्चों की कस्टडी चाहता है।
पीठ ने हैदराबाद में रह रही महिला से पूछा कि आप सिंगापुर क्यों नहीं लौट सकतीं? बच्चों के साथ सिंगापुर लौटने में आपको क्या दिक्कत है? महिला ने कुछ कठिनाइयों का हवाला देते हुए कहा कि सिंगापुर में पति के व्यवहार के कारण उसके लिए वापस लौटना बेहद मुश्किल हो गया है।
सिंगल मदर होने के नाते आजीविका के लिए नौकरी की जरूरत पर जोर देते हुए महिला ने दावा किया कि उसे अलग रह रहे पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं मिला है। पति के वकील ने कहा कि दोनों की ही सिंगापुर में काफी अच्छी नौकरी है, लेकिन पत्नी ने बच्चों के साथ सिंगापुर लौटने से इन्कार कर दिया। पीठ ने पक्षकारों से कहा कि आप सभी शिक्षित हैं। आपको इन मुद्दों को सुलझाना होगा।