आतंकवादी संगठन चंदे के लिए डिजिटल हवाला का उपयोग कर रहे हैं। जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन इस पैसे से अपने सरगनाओं के लिए आलीशान सुख-सुविधाएं जुटा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार जैश हर महीने लगभग 30 नए वॉलेट सक्रिय करता है और सालाना 80-90 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का लेनदेन करता है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। आतंकवादी संगठनों की वित्तीय फंडिंग रोकने के वैश्विक प्रयासों के बीच अब चंदे डिजिटल हवाला को धन उगाही का जरिया बना रहे जैश-ए-मोहम्मद तथा लश्करे तोयबा जैसे आतंकी संगठन इसमें से एक बड़ी रकम का इस्तेमाल अपने सरगनाओं और आतंकी कमांडरों के ऐशो-आराम की सुविधाओं के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
जैश के सरगना मसूद अजहर से लेकर उसके परिवार जनों के लिए महंगी लग्जरी गाड़ियो की खरीद से लेकर आलीशान सुख-सुविधाएं मुहैया कराने में चंदे से जुटाई रकम खर्च की जा रही है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार आतंक की फैक्ट्री का संचालन जारी रखने के लिए छोटे बच्चों-किशोरों के ब्रेनवॉश के लिए भी इससे जुटाए संसाधनों का इस्तेमाल हो रहा है।
चंदे की रकम, ऐशो-आराम पर खर्च
चंदे से जुटाई जा रही रकम आतंकी सरगनाओं के ऐशो-आराम पर खर्च किए जाने के सबूत भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने डिजिटल हवाला के पाकिस्तान के नए तौर-तरीकों की पड़ताल के दौरान पकड़ी है। सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक जैश प्रमुख मसूद अजहर का परिवार एक समय में सात-आठ मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल करता है। हर तीन-चार महीने में उन्हें बदलकर नए खातों में एकमुश्त रकम ट्रांसफर करता है।
बड़ी रकम मुख्य वॉलेट में जमा होती है। फिर उसे नकद निकासी या ऑनलाइन वॉलेट आधारित ट्रांसफर के लिए 10-15 वॉलेट में छोटी-छोटी रकमों में बांट दिया जाता है। जैश हर महीने कम से कम 30 नए वॉलेट सक्रिय करता है ताकि स्त्रोत का पता न चल सके। वर्तमान में जैश की 80 प्रतिशत फंडिंग इन डिजिटल वॉलेट के माध्यम से होती है जिसमें सालाना 80-90 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का लेन-देन होता है। डिजिटल वॉलेट, बैंक ट्रांसफर और नकदी के जरिए जैश सालाना 100 करोड़ से अधिक पाकिस्तानी रुपए इकठठा करता है जिसका लगभग 50 प्रतिशत हथियारों पर खर्च होता है।
सस्ते में हथियार खरीदने में मदद
जैश के हमास और टीटीपी से संबंधों और नेतृत्व की बैठकों को देखते हुए इस धन का इस्तेमाल उन्नत हथियार और हमास जैसे हमलावर ड्रोन या टीटीपी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले क्वाडकॉप्टर हासिल करने के लिए किया जा सकता है। यह सर्वविदित है कि आईएसआई जैश को काले बाजार से सस्ते में हथियार खरीदने में मदद करती है और उसके भंडार में मशीनगन, रॉकेट लांचर और मोर्टार आदि मौजूद हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार इस धन का बड़े हिस्से का इस्तेमाल मसूद अजहर के परिवार के लिए हथियारों की खरीद, आतंकी कैंप संचालन, प्रचार, लग्जरी गाडि़यों और सामानों की खरीदारी के लिए किया जाता है। इसका एक बड़ा हिस्सा खाड़ी देशों से आता है। ऑनलाइन दान के अलावा जैश के कमांडर प्रतिबंध के बावजूद हर शुक्रवार मस्जिदों में भी नगद चंदा इकट्ठा करते हैं।
गाजा की मदद के नाम चंदा
सुरक्षा एजेंसियों को खैबर पख्तूनख्वा का एक वीडियो मिला है जिसमें जैश का कमांडर वसीम चौहान उर्फ वसीन खान जुमे की नमाज के बाद पैसे गिनते हुए दिख रहा है जो कथित तौर पर गाजा की मदद के नाम पर लिया गया। जैश का अल रहमत ट्रस्ट भी हर साल 10 करोड़ पाकिस्तानी रुपए जुटाता है।
बहावलपुर स्थित नेशनल बैंक में गुलाम मुर्तजा नाम से एक खाते में यह रकम जमा होती है। रहमत ट्रस्ट का संचालन मसूद अजहर, तल्हा अल सैफ और बहावलपुर के मोहम्मद इस्माइल, लाहौर के मोहम्मद फारूक, चित्राल के फजल-उर-रहमान और कराची के रेहान अब्दुल रज्जाक सहित अन्य लोग करते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार कराची में जैश-ए-मोहम्मद डेढ़ एकड़ में फैले मरकज इफ्ता का संचालन कर रहा जहां मौलवी छोटे बच्चों का ब्रेनवॉश करते हैं। यह जैश-ए-मोहम्मद का प्रकाशन और प्रचार केंद्र भी है। मसूद अजहर और उसके भाइयों के पत्र और भाषण प्रतिदिन प्रॉक्सी सोशल मीडिया अकाउंट्स के जरिए यहीं से जारी किए जाते हैं। जैश का आधिकारिक सोशल मीडिया पेज रोजीना नाम की एक महिला के नाम इफ्ता के पते पर ही पंजीकृत है।