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दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को मात देते हुए बीजेपी 27 साल बाद सत्ता पर काबिज होगी.
अरविंद केजरीवाल बीते 12 साल से दिल्ली में बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती बने हुए थे.
आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य और अरविंद केजरीवाल के पुरान सहयोगी योगेंद्र यादव का मानना है कि दिल्ली चुनाव के नतीजे बीजेपी की जीत कम और ‘आप’ की हार ज्यादा हैं.
बीबीसी को दिए इंटरव्यू में योगेंद्र यादव ने दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार की तमाम वजहों पर बात की है.
योगेंद्र ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के प्रति थोड़ी सी निराशा ही बीजेपी की जीत की वजह है.
योगेंद्र यादव ने क्या, “ये आम आदमी पार्टी की हार ज़्यादा है, बीजेपी की जीत कम है. पिछले दोनों बार लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के 15 फ़ीसदी वोट आम आदमी पार्टी के पास आ गए. लेकिन इस बार 15 प्रतिशत में से आधे लोगों ने कहा कि लोकसभा में जो वोट डाला वहीं डालेंगे.”
“लोगों का ये निर्णय कोई सकारात्मक निर्णय नहीं था कि अच्छा बीजेपी ये कर रही है इसलिए वहां जाएंगे. कहीं न कहीं आप से निराशा, उदासी थी. ये उतना परिणाम नहीं है, वोट में फ़ासला सिर्फ 3.5 प्रतिशत का है.”
योगंद्रे यादव ने कहा, “कुल मिलाकर आप से थोड़ी सी निराशा बीजेपी की जीत की वजह है.”
दावा ज्यादा काम कम
योगेंद्र यादव ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने जितना दावा किया उतना काम नहीं किया.
उन्होंने कहा, “मैं उन्हें नज़दीक से नहीं जानता था, अगर जानता तो वो सारी गलतियां नहीं होती. आप ने शुरू में कहा कि राजनीति का ढर्रा बदलेंगे, उन्होंने अपनी राजनीति का मॉडल बनाया. पर इसके बाद पार्टी राजनीति के पुराने ढर्रे में समा गई.”
“आप ने कहा कि हम गुड गर्वनेंस देंगे, पहले कार्यकाल में उन्होंने एजुकेशन और हेल्थ में उतना काम किया जितना उनसे पहले की पार्टियों ने नहीं किया था. हालांकि उन्होंने दावा ज़्यादा का किया. लेकिन दूसरा कार्यकाल आते-आते उनके पास कहने के लिए ये ही था कि हमने फ़्री बिजली दे रखी है, महिलाएं फ्री में बस में यात्रा करती हैं तो लोगों ने पूछना शुरू किया कि आप इसके अलावा क्या करते हैं तो इसका जवाब उनके पास था नहीं.”
योगेंद्र यादव ये भी मानते हैं कि उप राज्यपाल की वजह से भी आम आदमी पार्टी ज्यादा काम नहीं कर पाई.
उन्होंने कहा, “ये बात सही है कि उप राज्यपाल इन्हें काम करने नहीं दे रहे थे. उप राज्यपाल का दफ़्तर बीजेपी की ऑफ़िस की तरह था.”
योगेंद्र यादव ये भी मानते हैं कि आम आदमी पार्टी जो कहकर आई थी वैसा करने में कामयाब नहीं रही.
योगेंद्र यादव कहते हैं, “ये जो आप कहती थी कि हम नई तरह की राजनीति करेंगे. हम दूसरों से अलग हैं. हम राजनीति में देशभक्ति के लिए आए हैं. आपने कहा था कि गाड़ी नहीं लेंगे, बंगला नहीं लेंगे.”
“उसके बाद आप बंगला लेते हैं जो कि स्वाभाविक है लेकिन बंगला भी क्या बंगला, अब उसकी सारी बातें भले ही नहीं पता हो लेकिन इससे ये संदेश तो जाता है कि लोगों में कि आप जो कह रहे थे , वो नहीं है.”
दिल्ली मॉडल क्या फेल हो गया ?
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योगेंद्र यादव कहते हैं कि दिल्ली का मॉडल गुजरात की तरह था.
वो कहते हैं, “दिल्ली मॉडल कुछ मायनों में गुजरात मॉडल की तरह था, उसके बारे में दावे बहुत थे, लेकिन हक़ीकत बहुत कम थी. गुजरात मॉडल में भी एक- दो चीजें हुई थीं लेकिन प्रचार बहुत ज़्यादा था. आपको कभी बताया नहीं गया कि गुजरात में ह्यूमन डेवलपमेंट इंडिकेटर्स कितने ख़राब हैं. दिल्ली में प्रचार बहुत ज़्यादा था.”
“इस मायने में मोदी और अरविंद एक जैसे हैं, इतना काम और प्रचार बहुत ज़्यादा. दो-तीन चीजे हुईं लेकिन दिल्ली मॉडल जैसा कुछ नहीं था. अगर दिल्ली मॉडल जैसा होता तो प्रदूषण पर काम नहीं होना चाहिए था?बार-बार कहा गया यमुना की सफाई होगी लेकिन कहां हुई? एमसीडी हाथ में आने के बाद भी सफाई पर कहां हुई?”
2015 में योगेंद्र यादव को आम आदमी पार्टी से निष्काषित कर दिया था. क्या इस वजह आम आदमी पार्टी को नुकसान हुआ?
इस पर योगेंद्र यादव ने कहा, “हम लोग चले गए इसलिए उनको नुकसान हुआ लेकिन हमारे जाने के बाद उनकी विक्ट्री तो बड़ी हुई थी न! मुझे नहीं लगता कि उनके जीत-हार में हमारे जैसे लोगों से कोई फ़र्क पड़ा है.”
“एक चीज में फ़र्क पड़ा जब आज आम आदमी पार्टी चुनाव हार गई है तो आपके साथ कौन टिकता है, ये बड़ी बात होगी. वो जो किसी संकल्प से टिकता है जो आदर्श से टिकता है, उसकी कमी आज खलेगी.”
कुमार विश्वास के बयान पर क्या बोले योगेंद्र यादव
आम आदमी पार्टी में कुमार विश्वास भी योगेंद्र यादव के सहयोगी रहे हैं. आम आदमी पार्टी के हारने पर कुमार विश्वास ने कहा कि दिल्ली मुक्त हो गई है.
योगेंद्र यादव ने कुमार विश्वास पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “वो सपना जिसको लेकर आम आदमी पार्टी चुनाव में आई थी, वो तो 2015 में ही ख़त्म हो गया जब कुमार भाई पार्टी में हुआ करते थे.”
“मैं नहीं मानता कि अंत हो गया है, इसकी भविष्यवाणी करना जल्दबाजी हो गया है. ये पार्टी व्यक्ति केंद्रित है, दिल्ली केंद्रित है और चुनाव केंद्रित है. हालांकि मुझे ये बात ज़रूर कहनी चाहिए कि नई दिल्ली आप के लिए मज़बूत विधानसभा नहीं है लेकिन फिर भी सिसोदिया की तरह उन्होंने अपना विधानसभा क्षेत्र बदला नहीं.”
अरविंद केजरीवाल के लिए आगे की राह क्या है
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अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी कुछ साल पहले राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने में कामयाब रही है.
करीब दो साल पहले जब इंडिया गठबंधन बना तो अरविंद केजरीवाल महत्वपूर्ण भूमिका में दिखाई दे रहे थे. लेकिन दिल्ली चुनाव की हार के बाद अरविंद केजरीवाल के लिए आगे की राह पर सवालिया निशान जरूर लगा है.
इस पर योगेंद्र यादव कहते हैं, “अरविंद में काफी अवगुण हैं, लेकिन उनके अंदर एक गुण भी है. उनके अंदर फाइटर की क्षमता है. कुछ ना कुछ तो वो करेंगे. अब पंजाब बचा है. 2027 में पंजाब का चुनाव बहुत बड़ी परीक्षा है.”
“अगर पंजाब में वो ठीक गर्वनेंस नहीं दे पाए जो अभी तक वो नहीं दे पाएं हैं. इसकी वजह से वो पंजाब से बाहर होते हैं तो कैसे मुकाबला होगा? सवाल वो है.”
जेल जाने वाले नेताओं पर क्या बोले योगेंद्र यादव
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दिल्ली के कथित शराब घोटाले की वजह से अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को जेल जाना पड़ा था.
इन तीनों ही नेताओं को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है.
योगेंद्र यादव कहते हैं, “जेल से आकर अरविंद केजरीवाल ने खुद कहा कि मैं जनता से फैसला चाहता हूं. तो फिर अब आपको जनता के फैसले को मानना पड़ेगा. अरविंद केजरीवाल ने जनता से कहा कि मैं दिल्ली का सीएम बनूं या नहीं आप तय कीजिए, तो फिर अब आपको जनता की बात माननी चाहिए.”
“ये बात मनीष सिसोदिया पर भी लागू होती है. सत्येंद्र जैन पर भी लागू होती है. ये बड़े सवाल हैं जिनका आम आदमी पार्टी को सामना करना होगा. जो सपना था देश की राजनीति को बदलने का वो सपना बिखर गया.”
क्या योगेंद्र यादव आम आदमी पार्टी की हार से दुखी हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए योगेंद्र यादव ने कहा, “हर उस व्यक्ति को दुखी होना चाहिए जिसे इस देश में आस्था है. अपना व्यक्तिगत दुख अलग है. जब सोचे तो देश सोचना चाहिए.”
“देश के लिए ये अच्छी खबर नहीं है. अगर वो सबक लें सीख पाएं, पूरा विपक्ष सीख पाए. एक-दूसरे को कोहनी मारने के बजाए कुछ बड़ा कर पाएं वो कहीं बेहतर है.”
राष्ट्रीय राजनीति आगे कहां जाएगी?
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद इंडिया गठबंधन के दल बंटे हुए नज़र आए. अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने कांग्रेस की बजाए अरविंद केजरीवाल को समर्थन दिया.
योगेंद्र यादव कहते हैं, “महाराष्ट्र चुनाव के बाद से ही इंडिया गठबंधन में बिखराव साफ-साफ महसूस होती है. आज के दो नतीजें हो सकते हैं. इससे बिखराव और बढ़ सकता है.”
“दूसरा सबक लें कि हम एक साथ मिलकर कैसे काम कर सकते हैं. ये एक की हार नहीं है. हम सबकी हार है. इस वक्त देश की बड़ी चुनौती को देखते हुए मिलकर काम करना है, सिर्फ विरोध नहीं करना है बल्कि विकल्प देना है, तो ये एक सबका है.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित