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जसप्रीत बुमराह की ग़ैर-मौजूदगी में लंदन के ओवल पर मिली भारत की रोमांचक टेस्ट जीत और भी ख़ास बन गई.
मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा और आकाश दीप की तिकड़ी ने जुनून और हुनर दिखाकर गेंदबाज़ी का पूरा बोझ संभाल लिया.
तीनों ने मिलकर ऐसा कमाल किया कि टेस्ट क्रिकेट के इतिहास की सबसे यादगार जीतों में एक दर्ज हो गई. इस तिकड़ी ने आख़िरी टेस्ट मैच में गिरे सभी 19 विकेट अपने नाम किए.
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सिराज का ‘बिलीव’
टेस्ट के पांचवें और आख़िरी दिन मोहम्मद सिराज सुबह छह बजे उठे. उन्होंने अपने मोबाइल वॉलपेपर पर फ़ुटबॉल सुपरस्टार क्रिस्टियानो रोनाल्डो की तस्वीर डाउनलोड की, जिस पर लिखा था – बिलीव (यक़ीन).
इंग्लैंड के पास चार विकेट बचे थे और जीत के लिए सिर्फ़ 35 रन चाहिए थे. अगर ये रन बन जाते तो एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफ़ी 3-1 से इंग्लैंड के नाम हो जाती.
नॉन-स्ट्राइकर एंड पर क्रिस वोक्स खड़े थे, जिनका बायां कंधा पूरी तरह पट्टियों में बंधा हुआ था.
स्ट्राइकर एंड पर गस एटकिंसन थे, जो जी-जान लगाकर बल्लेबाज़ी कर रहे थे. यह साफ़ दिख रहा था कि इंग्लैंड की टीम इस जीत के लिए कितनी बेताब है.
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भारत की तरफ से गेंद सिराज के हाथों में थी और वो बिना थके पुरानी गेंद को लेकर दौड़े. एटकिंसन को उम्मीद थी कि गेंद मिडिल और लेग स्टंप पर पड़ेगी, इसलिए उन्होंने अपना बायां पैर हटाकर मिडविकेट के ऊपर बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की.
लेकिन गेंद हल्की-सी अंदर आई, बल्ले का स्विंग मिस हुआ और सीधा ऑफ़ स्टंप उखड़ गया. यॉर्कर ने काम कर दिया था, भारत ने केवल छह रन से मैच जीत लिया.
टेस्ट क्रिकेट के 148 साल के इतिहास में सिर्फ़ सात मुक़ाबले ऐसे हुए हैं जिनमें जीत का अंतर इससे कम रहा हो.
सिराज के आत्मविश्वास ने करिश्मा कर दिखाया. आख़िरी दिन बचे हुए चार में से उन्होंने तीन विकेट झटके और भारत ने सिरीज़ 2-2 से बराबर कर दी.
कमाल यह रहा कि सिराज ने लॉर्ड्स टेस्ट की नाकामी और ओवल में ब्रुक का कैच छोड़ने जैसी यादों को बहुत जल्दी भुला दिया और आख़िरी लम्हों में मैच पर छा गए.
सिराज की यॉर्कर से एटकिंसन का ऑफ़-स्टंप उड़ने की तस्वीर लंबे समय तक भारतीय फ़ैंस की यादों में रहेगी.
नए खिलाड़ी चमके
लेकिन इस ऐतिहासिक जीत में प्रसिद्ध कृष्णा और आकाश दीप की भूमिका भी कम नहीं थी. दोनों ने अपने नए लीडर सिराज का पूरे जोश से साथ दिया.
इस तिकड़ी ने ग़ज़ब का जज़्बा दिखाया और ख़ुद को भारत का नया बॉलिंग अटैक साबित किया. पूरी सिरीज़ में भारतीय गेंदबाज़ों ने 84 विकेट लिए, जिनमें से 50 विकेट इन तीनों के नाम रहे.
सिराज ने, जिस यक़ीन के साथ ‘बिलीव’ वाला वॉलपेपर लगाया होगा, उसी जुनून से गेंदबाज़ी की. उन्होंने पांच टेस्ट में 23 विकेट लिए. उनका औसत 32.43 और स्ट्राइक रेट 48.3 रहा.
वहीं प्रसिद्ध कृष्णा ने तीन मैचों में 14 विकेट लिए. उनका औसत 37.07 और स्ट्राइक रेट 45 रहा.
आकाश दीप ने भी तीन मैचों में 13 विकेट झटके, उनका औसत 36.46 और स्ट्राइक रेट 50.3 रहा.
ये पहली बार था जब सिराज ने किसी टेस्ट सिरीज़ में दो बार पांच विकेट लिए.
दोनों बार भारत ने मैच जीते, एजबेस्टन में 6 विकेट 70 रन देकर और ओवल में 5 विकेट 104 रन देकर.
आकाश दीप ने मौक़े को भुनाया
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अगर ओवल टेस्ट सिराज के नाम रहा तो एजबेस्टन टेस्ट पूरी तरह आकाश दीप का शो रहा. उन्होंने अपने सीनियर साथी सिराज से भी बेहतर प्रदर्शन करते हुए करियर का पहला टेस्ट 10 विकेट झटके.
पहली पारी में आकाश ने इंग्लैंड के तीन बड़े बल्लेबाज़ों को आउट किया. उन्होंने लगातार दो गेंदों पर बेन डकेट और ओली पोप को बिना खाता खोले पवेलियन भेजा.
इसके बाद उन्होंने तब इंग्लैंड की छठे विकेट के लिए 303 रन की बड़ी साझेदारी को तोड़ा, जब उन्होंने 158 रन बनाकर खेल रहे हैरी ब्रुक को ख़तरनाक इनस्विंगर से बोल्ड कर दिया.
बिहार के सासाराम से आने वाले इस गेंदबाज़ ने पहली पारी में चार विकेट लेकर 88 रन दिए.
चौथी पारी में उन्होंने इंग्लैंड के मिडिल ऑर्डर को ध्वस्त कर दिया. ओली पोप, जो रूट और हैरी ब्रुक को उन्होंने आउट किया.
ख़ास तौर पर जो रूट का विकेट सबको हैरान कर गया. आकाश ने पॉपिंग क्रीज़ के बिल्कुल किनारे से गेंद फेंकी, गेंद अंदर की तरफ़ स्विंग हुई, पिच पर गिरते ही गेंद सीम पर लगी और हल्की-सी बाहर निकल गई. रूट का बल्ला छू भी नहीं पाया और गेंद सीधे ऑफ़ स्टंप उड़ा गई.
कुछ सेकंड तक मैदान पर सन्नाटा छा गया. दुनिया के महान बल्लेबाज़ों में गिने जाने वाले रूट भी समझ नहीं पाए कि उनके साथ अभी क्या हुआ.
बाद में सचिन तेंदुलकर ने इस डिलीवरी को ‘बॉल ऑफ़ द सिरीज़’ करार दिया. आकाश ने चौथी पारी में छह विकेट 99 रन देकर इंग्लैंड को झटका दिया.
सिर्फ़ सात टेस्ट खेलने के बाद इस सिरीज़ में आए आकाश दीप की सबसे बड़ी ताक़त थी उनकी लाइन और पांच-छह मीटर की लेंथ पर लगातार नियंत्रण, जिसने पूरी सिरीज़ में इंग्लैंड के बल्लेबाज़ों को परेशान किया.
गेंदबाज़ी ही नहीं, उनकी बल्लेबाज़ी ने भी कमाल किया. आकाश दीप के बल्ले से 66 रन निकले, जिनमें 12 चौके शामिल थे, इंग्लैंड की उम्मीदों पर और चोट कर गए.
प्रसिद्ध की उम्मीद और फिर वापसी
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सिरीज़ से पहले सिर्फ़ तीन टेस्ट खेलने वाले प्रसिद्ध कृष्णा मानो किसी नए सिपाही की तरह मैदान पर उतारे गए थे. लेकिन उन्होंने शुरुआती टेस्ट, लीड्स में ही हिम्मत दिखा दी.
शुरुआत में उनकी लेंथ थोड़ी ग़लत रही, मगर जल्दी ही उन्होंने सुधार किया और शतक बना चुके ओली पोप (106) को आउट कर दिया. पिच से असामान्य उछाल निकालते हुए उन्होंने इसका फ़ायदा उठाया और हैरी ब्रुक को हुक शॉट खेलने पर मजबूर किया.
ब्रुक 99 पर खेल रहे थे और शार्दुल ठाकुर ने फ़ाइन लेग पर उनका कैच पकड़ा. बाद में इसी हथियार का इस्तेमाल कर उन्होंने विकेटकीपर जेमी स्मिथ (40) को भी आउट किया.
शायद प्रसिद्ध को यह भी खल रहा था कि उन्हें सिरीज़ के आख़िरी दो टेस्ट में नहीं खिलाया गया. तेज़ गेंदबाज़ का अभिमान दांव पर था. लेकिन ओवल टेस्ट में लौटते ही इस लंबे क़द के गेंदबाज़ ने पूरा दमखम झोंक दिया, यहां तक कि उन्होंने जो रूट की स्लेजिंग भी की.
चौथे दिन उन्होंने सिराज के साथ मिलकर धुआंधार स्पेल डाला और लगातार पोप और रूट को बीट करते रहे. उस दौरान दोनों बल्लेबाज़ बल्ला तक नहीं छू पाए.
जब इंग्लैंड आराम से जीत की तरफ़ बढ़ रहा था, जो रूट 105 पर थे और टीम को बस 37 रन की ज़रूरत थी, तभी प्रसिद्ध ने कमाल कर दिया. उन्होंने एक शानदार गेंद फेंकी, गेंद जो रूट के बल्ले से हल्का किनारा लेकर विकेटकीपर ध्रुव जुरेल तक पहुँची. जुरेल ने डाइव लगाकर शानदार कैच पकड़ा.
रूट के आउट होते ही इंग्लैंड की पारी बिखर गई और मैच का रुख़ बदल गया.
सच है कि प्रसिद्ध कभी-कभी महंगे साबित हुए और उनकी लाइन-लेंथ थोड़ी डगमगाई, लेकिन उन्होंने लगातार ऐसी गेंदें फेंकीं जिनसे विकेट मिलते रहे. ख़ासकर आख़िरी टेस्ट में उनका प्रदर्शन अहम रहा.
उन्होंने मैच में कुल आठ विकेट लेकर 188 रन दिए और अपनी कोशिशों से खुद को साबित किया.
एजबेस्टन और ओवल की रोमांचक जीत ने दिखा दिया कि भारत के पास अब तेज़ गेंदबाज़ी के नए रखवाले तैयार हो चुके हैं. जसप्रीत बुमराह की वापसी और दूसरे गेंदबाज़ों का शानदार खेल, विपक्षी टीमों के लिए उनके ही घर में और भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित