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इंटरनेट बैंकिंग फ्रॉड पर आखिर हाईकोर्ट ने क्यों SBI को दिया पैसे लौटाने का आदेश? – delhi high court order sbi to return money on internet banking fraud

Byadmin

Nov 21, 2024


नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को अपने ही एक ग्राहक को 2.6 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। हरे राम सिंह नाम के ग्राहक के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी हुई थी। कोर्ट ने पाया कि एसबीआई ने सिंह की शिकायत को ठीक से नहीं संभाला और धोखाधड़ी वाले लेनदेन को रोकने में नाकाम रही।

साइबर अटैक का शिकार हुआ था ग्राहक

हरे राम सिंह साइबर अटैक का शिकार हुए थे। उन्होंने तुरंत एसबीआई के कस्टमर केयर और ब्रांच मैनेजर को सूचित किया था। लेकिन, बैंक समय पर सहायता देने में विफल रहा। कुछ महीनों बाद, एसबीआई ने सिंह के दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि फ्रॉड में ओटीपी का इस्तेमाल किया गया था और सिंह ने एक गलत लिंक पर क्लिक किया था, जिसके कारण अनऑथराइज ट्रांजेक्शन हुआ।

हाई कोर्ट ने मानी बैंक की गलती

हालांकि, हाईकोर्ट एसबीआई के रुख से सहमत नहीं थी। जस्टिस धर्मेश शर्मा ने शिकायत का जवाब देने में बैंक की चौंकाने वाली सेवा कमी का जिक्र किया। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि एसबीआई द्वारा तेजी से कार्रवाई करने और संदिग्ध ट्रांजेक्शन को रोकने में विफलता, देखभाल के अपने कर्तव्य के उल्लंघन के समान है। कोर्ट ने कहा, ‘यह माना जाना चाहिए कि बैंक की ओर से एक ऐसा सिस्टम स्थापित करने में विफलता के कारण ऐसा हुआ, जो इस तरह की निकासी को रोकती है, जिससे याचिकाकर्ता को वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा’।

कोर्ट ने बैंक को मुआवजा देने का दिया आदेश

अदालत ने डिजिटल भुगतान सुरक्षा पर आरबीआई की गाइलाइंस का पालन न करने पर भी एसबीआई पर जोर दिया। कोर्ट ने फैसला सुनाया कि ट्रांजेक्शन जीरो लायबिलिटी कैटेगरी में आते हैं, जिससे एसबीआई को नुकसान के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। कोर्ट ने एसबीआई को सिंह को ब्याज के साथ खोई हुई राशि वापस करने और 25 हजार रुपये का टोकन मुआवजा देने का आदेश दिया।

यह फैसला इस बात पर जोर देता है कि बैंकों को अपने ग्राहकों को साइबर अटैक से बचाने के लिए सक्रिय उपाय करने की जरूरत है। बैंकों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं का जवाब देने में तेजी और कुशलता से काम करें।

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