भारतीय रिजर्व बैंक ने प्राइवेट सेक्टर के बैंक, इंडसइंड बैंक के बारे में जताई जा रही आशंकाओं को दरकिनार किया है.
आरबीआई ने बैंक के डिपोज़िटरों से कहा है कि इंडसइंड बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है और इसकी वित्तीय सेहत स्थिर है.
आरबीआई ने शनिवार को एक बयान जारी कर डिपोज़िटरों से कहा है कि वो बैंक के बारे में अटकलबाजियों पर ध्यान न दें, बैंक की वित्तीय सेहत ठीक है और केंद्रीय बैंक इस पर नजदीकी नज़र बनाए हुए है.
इंडसइंड बैंक ने सोमवार को स्टॉक एक्सचेंजों को अपने यहां अकाउंटिंग से जुड़ी एक गड़बड़ी की जानकारी दी थी. इसके बाद बैंक के डिपोज़िटरों में कथित तौर पर घबराहट देखी गई थी और बैंक के शेयरों की कीमतें लगभग 27 फ़ीसदी गिर गई थीं.
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आरबीआई का बयान और उसके मायने
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आरबीआई ने 15 मार्च को एक बयान जारी कर कहा है कि इंडसइंड बैंक को लेकर कुछ हलकों में अटकलें और अफ़वाहें देखने को मिल रही है.
बयान में आरबीआई ने इंडसइंड बैंक की वित्तीय सेहत के बारे में स्पष्टीकरण देते हुए कहा है, ”इंडसइंड बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है और इसकी वित्तीय हालत संतोषजनक है.”
”31 दिसंबर, 2024 को ख़त्म हुई तिमाही के जिन नतीजों की ऑडिटरों ने समीक्षा की है उसके हिसाब से कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो 16.46 फ़ीसदी है. बैंकिंग मानकों के हिसाब से ये संतोषजनक है.”
कैपिटल एडिक्वेसी रेश्यो अच्छा होने का मतलब ये है कि बैंक अपना काम करते हुए दिए गए कर्ज और कामकाज से जुड़े जोखिमों से अच्छे ढंग से निपट सकता है.
आसान भाषा में कहें तो बैंक किसी भी संभावित घाटे को बर्दाश्त कर सकता. डिपोजिटरों के पैसे को डूबने से बचा सकता है और अपने कर्ज भी चुका सकता है.
आरबीआई ने कहा कि इंडसइंड बैंक का प्रॉविजन कवरेज रेश्यो भी 70.20 फ़ीसदी है. वहीं लिक्वडिटी कवरेज रेश्यो 9 मार्च 2025 के हिसाब से 113 फ़ीसदी है, जबकि आरबीआई के नियम के हिसाब से ये 100 फ़ीसदी होना चाहिए.
प्रॉविजन कवरेज रेश्यो के तहत बैंक एनपीए (डूबने वाले कर्ज) से होने वाले घाटे की भरपाई के लिए अलग से एक निश्चित राशि निकाल कर रख देते हैं. 70.20 फ़ीसदी का प्रॉविजन कवरेज रेश्यो अच्छा माना जाता है.
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लिक्वडिटी कवरेज रेश्यो वो अनुपात है जो ये बताता है कि बैंक के पास लिक्विड एसेट यानी तुरंत भुगतान के लिए कितना पैसा है. इससे कम समय में उसके भुगतान की क्षमता का पता चलता है. जैसे ये देखा जाता है कि 30 दिनों के लिए कैश आउटफ्लो क्षमता कितनी है.
आरबीआई ने बैंक की वित्तीय सेहत के बारे में उठ रहे सवालों के बारे में स्पष्टीकरण करते हुए कहा है कि सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध डिस्कलोज़र से पता चलता है कि बैंक ने अपने मौजूदा सिस्टम की व्यापक समीक्षा के लिए बाहरी ऑडिटरों की सेवा ली है.
ये ऑडिटर पता करेंगे कि बैंक जिस अकाउंटिंग ग़लती की बात कर रहा है उससे बैंक के अकाउंट पर कितना असर पड़ा है.
आरबीआई ने बैंक के बोर्ड और प्रबंधन को निर्देश दिया है कि वो वित्त वर्ष की मौजूदा तिमाही (वित्त वर्ष 2024-25 की आख़िरी तिमाही) के दौरान ग़लती सुधारने के सारे कदम उठा ले.
इसके पहले उसे सभी स्टेकहोल्डर्स को इसकी सूचना देनी होगी.
आरबीआई ने कहा कि इस समय डिपोज़िटरों को बैंक के बारे में चल रही अटकलबाजियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए.
इंडसइंड बैंक के साथ क्या हुआ था?
बैंक का कहना था कि इससे उसकी कमाई और नेटवर्थ में गिरावट आ सकती है.
इंडसइंड बैंक ने अपनी आतंरिक समीक्षा में पाया कि इस गड़बड़ी की वजह से दिसंबर 2024 में इसकी नेटवर्थ में 2.35 फ़ीसदी की गिरावट आ सकती है.
बैंक की ओर से इस सूचना के सार्वजनिक होने के बाद ही डिपोज़िटरों और निवेशकों में चिंता दिखने लगी. डिपोज़िटरों को लगने लगा कि बैंक मुश्किल में फंस सकता है और उनका पैसा डूब सकता है.
बैंक की ओर से स्टॉक एक्सचेंजों को ये सूचना देने के अगले दिन इंडसइंड बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई.
इस दौरान ये 27 फ़ीसदी से ज्यादा गिर कर 649 रुपये पर पहुंच गया था. ये 2020 नवंबर के बाद इस शेयर में सबसे बड़ी गिरावट थी. हालांकि बाद में ये रिकवर होकर 672 रुपये पर पहुंच गया था।
हालांकि उन्होंने कहा, “मुझे यकीन है कि अगले दो से तीन तिमाही में बैंक तरक्की की तरफ बढ़ती दिखने लगेगा.”
उन्होंने कहा था “मैं मानता हूं कि थोड़ी बहुत उठापटक होती रही है और इससे हम प्रभावित भी हुए हैं. लेकिन ये वक्त की बात है. हमने निवेशकों से कभी कुछ नहीं छिपाया है, हम पूरी तरह पारदर्शी हैं.”
शेयरों में गिरावट पर निवेशकों ने क्या कहा?
इंडसइंड बैंक के शेयरों में गिरावट पर लोगों ने सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रिया दी.
अभिषेक अग्रवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “लंबे वक्त तक शेयर बाज़ार में निवेश करने वालों के लिए इंडसइंड बैंक का शेयर तबाही साबित हुआ.”
“दस साल हो गए, पैसा नहीं लौटा, पैसा डूब गया. इस बीच प्रोमटरों की हिस्सेदारी भी बैंक में कम हो गई है. साथ ही उन्होंने कहा कि ये वो शेयर नहीं जिसे आप अपने पोर्टफोलियो में नहीं रखना चाहेंगे.”
प्रिया नाम की यूजर ने लिखा, ”इंडसइंड बैंक के शेयर में निवेश किए दस साल हो गए. रिटर्न का एक पैसा नहीं मिला. ‘
आफताब ने लिखा, ”इसके शेयरों में 55 फ़ीसदी की गिरावट है. हम रेतीली ज़मीन पर घर बना रहे हैं.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.